स्वास्थ्य

शहरी बच्चे अधिक होते हैं श्वास की बीमारी का शिकार

Paliwalwani
शहरी बच्चे अधिक होते हैं श्वास की बीमारी का शिकार
शहरी बच्चे अधिक होते हैं श्वास की बीमारी का शिकार

शहरों में रहने वाले बच्चे व ग्रामीण इलाकों में रहने वाले बच्चों की तुलना में श्वास संबंधी संक्रमण का खतरा अधिक होता है। पीडियाट्रिक पल्मोनोलॉजी पत्रिका में प्रकाशित एक शोध में यह जानकारी सामने आई है।

आपको बता दें कि अध्ययन में यह भी कहा गया है कि डे केयर (माता-पिता की अनुपस्थिति में बच्चों की देखरेख करने वाले संस्थान) में रहने, नम घरों में रहने या अधिक यातायात वाले क्षेत्रों के पास रहने जैसे कारकों की वजह से भी छोटे बच्चों में श्वसन संक्रमण का खतरा अधिक होता है। जबकि स्तनपान कराने से इसका जोखिम कम हो जाता है। यह अध्ययन इटली के मिलान में यूरोपियन रेस्पिरेटरी सोसाइटी इंटरनेशनल कांग्रेस में सोमवार को प्रस्तुत किया गया। डेनमार्क स्थित कोपेनहेगन विश्वविद्यालय के निकलस ब्रस्टैड द्वारा प्रस्तुत अध्ययन में 663 बच्चों और उनकी मांओं को शामिल किया गया। माताएं गर्भावस्था से लेकर अपनी संतानों के तीन साल का होने तक शोध में शामिल रहीं। श्वसन संक्रमण अधिक हुए।

  • अस्थमा होने का कारण
  • वाहनों से निकलने वाला धुआं
  • सर्दी
  • फ्लू
  • पेट पर अधिक अम्ल की मात्रा
  • शराब का अधिक सेवन
  • एलर्जी वाले फूड्स का सेवन
  • अधिक एक्सरसाइज
  • मौसम के कारण
  • अस्थमा के लक्षण
  • ठंडी हवा में सांस लेने से हालत गंभीर होना।  
  • एक्सरसाइज अधिक करने से
  • कई बार उल्टी होना।    
  • बलगम वाली खांसी या सूखी खांसी।   
  • सीने में जकड़न जैसा महसूस होना।  
  • सांस लेने में समस्या।
  • सांस लेते समय आवाज आना।

ऐसे करें खुद का बचाव

वैसे तो अस्थमा का कोई इलाज नहीं है, लेकिन इसे नियंत्रित किया जा सकता है। किसी प्रकार के लक्षण महसूस होने पर तुरन्त सम्पर्क करें। अस्थमा को नियंत्रित करने में दवा का नियमित सेवन जरूरी है। इसके अलावा इंहेलर थेरेपी सही ढंग से लेना भी जरूरी है। अस्थमा के लिए इंहेलर्स सबसे अच्छी दवा है। इंहेलर्स से दवा सीधे फेफड़ों में पहुंचती है, जिससे पीड़ित को आराम महसूस होता है। यह सीरप के मुकाबले ज्यादा फायदेमंद है। 

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