Monday, 04 August 2025

आपकी कलम

प्रखर-वाणी : गुरु पूर्णिमा जिससे मिला ज्ञान, वैराग्य , क्षमा...उस गुरु प्रणवन्दन का पर्व

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प्रखर-वाणी : गुरु पूर्णिमा जिससे मिला ज्ञान, वैराग्य , क्षमा...उस गुरु प्रणवन्दन का पर्व
प्रखर-वाणी : गुरु पूर्णिमा जिससे मिला ज्ञान, वैराग्य , क्षमा...उस गुरु प्रणवन्दन का पर्व

जिससे मिलता ज्ञान , वैराग्य और क्षमा...उसी के लिए बना पर्व गुरु पूर्णिमा...पूर्णिमा प्रकाश देने वाला वृहद उजियारा है...गुरु से ही ज्ञान प्राप्त कर रोशनी फैलाने वाला संसार सारा है...गुरु गणित का सूत्र है...गुरु पिता शिष्य जिसका पुत्र है...गुरु गौरव की गणनीय पाठशाला है...गुरु चेले के लिए अमृत का प्याला है...

गुरु गंगा सा पवित्र जल है...गुरु दुनिया में सच्चा व निश्छल है...गुरु गोविंद के मानिंद उद्धारक है...गुरु ही समग्र समाज का सुधारक है...गुरु गन्तव्य तक पहुँचाने वाला मार्गदर्शक है...गुरु सदमार्ग पर प्रतिष्ठित करने वाला पथ प्रदर्शक है...गुरु गीता है , गुरु सरिता है , गुरु रामायण है , गुरु पारायण है...गुरु कुरुक्षेत्र का मैदान है , गुरु दधीचि का अंगदान है , गुरु उत्तरायण है , गुरु दक्षिणायण है , गुरु नर को बनाता नारायण है...गुरु ग्रन्थ है ग्रन्थि का समाधान है...

गुरु हर युग में नवप्रवर्तनकारी अनुसन्धान है...गुरु दृष्टि है सृष्टि है...गुरु ही अनभिज्ञ के लिए पुष्टि है...गुरु गरिमा है , गर्व है...गुरु ही तो साक्षात पर्व है...गुरु राम गढ़ने वाला वशिष्ठ है...गुरु कृष्ण बन सुदामा का घनिष्ठ है...गुरु गौतम , गुरु महावीर , गुरु विवेकानंद है...गुरु माँ का ममत्व , बहन का समत्व , गुरु की गोद में आनन्द है...गुरु ने हमारे शिष्यत्व को स्वीकारोक्ति दी तब हम बने नेक...गुरु की महानता के उदाहरण दुनिया में हैं.

अनेक...गुरु चाणक्य का चन्द्रगुप्त मौर्य को मिला कौटिल्य शास्त्र है...मौर्य साम्राज्य में प्रबल रहे राजनीति , कूटनीति व अर्थशास्त्र है...गुरु बुद्ध से आनन्द , सारिपुत्र , महाकश्यप जैसे शिष्यों ने धम्मपद पाया...जीवन में मध्यमार्ग व ध्यान का उपदेश पाकर बौद्ध धर्म अपनाया...गुरु महावीर स्वामी से शिष्य गोशालक, सुधर्मा को जैन पंथ आदेश मिला...पूरी धरती को अहिंसा , अपरिग्रह , णमोकार और आत्म संयम का संदेश मिला...गुरु सोक्रेटीस को पश्चिम में प्लेटो जैसा शिष्य मिला...जो रहा आत्मज्ञान का पक्षधर जिसमें थी प्रश्न पूछने की कला...

गुरु प्लेटो के लिए अरस्तू जैसा शिष्य बना...जिसने किया शिक्षा पर चिंतन और जिसकी रही आदर्श राज्य की कल्पना...गुरु अरस्तू का शिष्य रहा सिकन्दर महान...जिसका था तर्कशास्त्र , राजनीति , विज्ञान व नैतिकता पर असाधारण योगदान...गुरुओं का महत्व किसी भी दौर में कम नहीं है...गुरुओं की शक्ति और आसक्ति कभी भी बेदम नहीं है ।

प्रो.( डॉ.) श्याम सुन्दर पलोड

लेखक , कवि एवं वक्ता

4, श्रीराम मंदिर परिसर , 

सुदामा नगर, डी-सेक्टर, इंदौर ( म.प्र.)

स्वरदूत-9893307800

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