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जानिए कानून के अनुसार क्या कोई किरायेदार 15 साल बाद मकान मालिक की संपत्ति पर कब्जा कर सकता है?
Paliwalwaniकई बार ऐसे मामले सामने आते है जिसमे किरायेदार प्रोपर्टी पर अपना हक़ जताने लगता है| कई वर्षो तक एक ही घरमे रहने की वजह से वह आदमी/औरत किराये के घर को हथिया लेता है| आपने कई बार ऐसा मिडिया मेभी देखा होगा| माकन मालिक नहीं चाहते है की उनके घर में किराए पर कोई ज्यादा समय तक रहे| लेकिन आप सबको किरायदार पर बने कानून की जानकारी अवश्य होनी चाहिए| आप किरायेदार होया घर के मालिक आप सबको इस कानून के बारेमे जानकारी अवश्य होनी चाहिए| हम आपको इसके बारेमे जानकारी इस लेख में देने जा रहे है|
वैसे देखा जाए तो किरायेदार का किराये पर लिए गए घर पर कोई हक़ नहीं रहता| लेकिन कुछ परिस्थितियों में किरायेदार इस पर दावा कर सकता है| अगर किसी घर मालिक ने अपना घर किसी किरायेदार को रहने के लिए दिया है और रेंट एग्रीमेंट नहीं करवाया| अगर ऐसी परिस्थिति में किरायेदार उस मकान में 12 साल तक रह जाता है और उस संपत्ति पर एडवर्स पजेशन रखता है तो उसे एक कानून “ट्रान्सफर और प्रॉपर्टी एक्ट” के तहत संपत्ति का अधिकार मिल जाता है| किरायेदार बादमे उस सम्पति को बेच भी सकता है|
अगर माकन मालिक हर साल रेंट एग्रीमेंट ख़तम होने पर दूसरा बनता है तो संपत्ति के मालिक को कोई दिक्कत नहीं उठानी पड़ती| बढ़ते ऐसे मामलो की वजह से सुप्रीम कोर्ट ने ऐसे मामलो पर एक फैसला लिया है| लिमिटेशन एक्ट 1963 के मुताबिक पर्सनल प्रोपर्टी पर लिमिटेशन का समय 12 साल और सरकारी संपत्ति पर 30 वर्ष का समय होता है| यह समय कब्जे के दिनसे शुरू होता है|
अगर कोई व्यक्ति इस समय को पूर्ण कर देता है तो वह संपत्ति के हक़ केलिए दावा कर सकता है| वही संपत्ति वापस पाने के लिए कानून की शरण में जाने कभी अधिकार दिया गया है| लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने अपने इस फैसले में सरकारी संपत्ति पर अतिक्रमण को इससे बहार रखा है| इसका मतलब यह है की कोई व्यक्ति सरकारी जमीन पर कब्ज़ा नहीं कर सकता| किसी व्यक्ति को सरकारी जमीन पर अतिक्रमण का कोई अधिकार नहीं दिया गया है|