अपराध
रेप केस में सजा मिली पर हो फरार हो गया था IPS अधिकारी का बेटा फिर केरल में बन गया था बैंक कर्मी, पढ़िए पूरी कहानी
Paliwalwaniआज बात बिट्टी मोहंती की जिसे साल 2006 में एक जर्मन युवती के साथ रेप केस में सात साल की सजा सुनाई गई थी। फिर इसी साल 20 नवंबर में उसने मां के बीमार होने की बात कहकर पैरोल ली और फरार हो गया। 4 दिसंबर 2006 को बिट्टी मोहंती हुआ और फिर नए नाम से नई जिंदगी शुरू की। जिसमें पहले वह एक टीचर बना, फिर एक छात्र और बाद में वह एक बैंक कर्मी बना। इस दौरान उसने कई फर्जी कागजों की भी मदद ली।
बिट्टी मोहंती सबसे पहले 2007 में आंध्रप्रदेश के अनंतपुर के पुट्टपर्थी पहुंचा। यहां उसने खुद को राघव रंजन बताया और कहा कि वह ओडिशा के कलिंगा इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी संस्थान से इंजीनियरिंग ग्रेजुएट है। उसके पिता राजीव रंजन एक जमींदार हैं। पुट्टपर्थी में पहले एक छोटे से संस्थान में बच्चों को पढाया फिर लगभग 18 महीनें तक उसने एक कॉलेज में टीचर की नौकरी की।
बिट्टी मोहंती उर्फ राघव रंजन ने साल 2010 में नौकरी छोड़कर पुट्टपर्थी भी छोड़ दिया। इसके बाद वह केरल के कन्नूर चला गया और चिन्मय इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से एमबीए किया। असल में बिट्टी के पिता बी. के. मोहंती आईपीएस अधिकारी थे और बिट्टी मोहंती भी पढ़ने-लिखने में होशियार था। एमबीए पूरा करने के दौरान वह कॉलेज के हॉस्टल में रहा और फिर आईबीपीएस की परीक्षा पास कर 2012 में प्रोबेशनरी अधिकारी (पीओ) बन गया।
इस बैंक की नौकरी के दौरान वह स्टेट बैंक ऑफ त्रावणकोर की मडायी शाखा में था। राघव रंजन यहां अपने साथी के साथ किराये के मकान में रहता था। गिरफ्तारी के बाद बिट्टी मोहंती/राघव रंजन के घर के नीचे किराने की दुकान वाले ने पुलिस को बताया था कि वह अक्सर उनके यहां ओडिशा का चिवड़ा लेने आता था। उसके मुताबिक, वह राघव रंजन को आंध्रप्रदेश का युवक मानता था जो बहुत ही शांत और सीधा था।
इन सबके बीच जब बिट्टी मोहंती/राघव रंजन को पकड़ा गया तो कई कहानियां सामने आईं। इनमें कहा गया कि राघव के किसी युवती से संबंध थे और उसी ने एक गुमनाम चिट्ठी उसकी बैंक शाखा भेज दी थी। जिसमें बिट्टी मोहंती/राघव रंजन के अतीत के बारे में लिखा गया था। बताया गया कि युवती उससे शादी करना चाहती थी, लेकिन दिल्ली की घटना के बाद कुछ टीवी चैनलों पर बिट्टी मोहंती की तस्वीर चलाई गई थी।
कहा जाता कि इन तस्वीरों को देखने के बाद ही यह गुमनाम ख़त बिट्टी मोहंती की बैंक शाखा में भेजा गया था। जिसे बैंक वालों ने अपनी मुख्य शाखा तिरुअनंतपुरम में भेज दिए थे। इसके बाद ही उसे जांच के बाद कन्नूर पुलिस ने हिरासत में ले लिया था। वहीं, राघव के पकड़े जाने के बाद उनके सहयोगियों ने उसे बेहद शांत और अनुशासित बताया था। हालांकि, राघव रंजन ने पहले खुद को बिट्टी मोहंती मानने से इंकार कर दिया था लेकिन घंटों तक चली पूछताछ में वह टूट गया।
कन्नूर पुलिस ने इसके बाद को सूचना दी और सभी सबूतों से बिट्टी मोहंती की पहचान हो गई। फिर उसे 9 मार्च 2013 को जयपुर जेल भेज दिया गया। कानून विशेषज्ञों का मानना था कि यदि वह सही तरीके से सजा का पालन करता तो इतने दिनों में वह रिहा हो जाता। इसके अलावा बिट्टी मोहंती की वजह से ही उसके पिता को भी नौकरी से हटा दिया गया था।