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ब्राह्मणों की वंशावली-ब्राह्मणों का प्राचीन इतिहास

Sunil Paliwal...✍
ब्राह्मणों की वंशावली-ब्राह्मणों का प्राचीन इतिहास
ब्राह्मणों की वंशावली-ब्राह्मणों का प्राचीन इतिहास

भविष्य पुराण के अनुसार ब्राह्मणों का इतिहास है की प्राचीन काल में महर्षि कश्यप के पुत्र कण्वय की आर्यावनी नाम की देव कन्या पत्नी हुई। ब्रम्हा की आज्ञा से दोनों कुरुक्षेत्र वासनी सरस्वती नदी के तट पर गये और कण् व चतुर्वेदमय सूक्तों में सरस्वती देवी की स्तुति करने लगे एक वर्ष बीत जाने पर वह देवी प्रसन्न हो वहां आयीं और ब्राह्मणो की समृद्धि के लिये उन्हें वरदान दिया।

● वर के प्रभाव कण्वय के आर्य बुद्धिवाले दस पुत्र हुए जिनका क्रमानुसार नाम था :-

उपाध्याय,
दीक्षित,
पाठक,
शुक्ला,
मिश्रा,
अग्निहोत्री,
दुबे,
तिवारी,
पाण्डेय,
और
चतुर्वेदी ।

● इन लोगो का जैसा नाम था वैसा ही गुण। इन लोगो ने नत मस्तक हो सरस्वती देवी को प्रसन्न किया। बारह वर्ष की अवस्था वाले उन लोगो को भक्तवत्सला शारदा देवी ने अपनी कन्याए प्रदान की। वे क्रमश:-

उपाध्यायी,
दीक्षिता,
पाठकी,
शुक्लिका,
मिश्राणी,
अग्निहोत्रिधी,
द्विवेदिनी,
तिवेदिनी
पाण्ड्यायनी,
और
चतुर्वेदिनी कहलायीं।

● फिर उन कन्याओं के भी अपने-अपने पति से सोलह-सोलह पुत्र हुए हैं वे सब गोत्रकार हुए जिनका नाम:-

कश्यप,
भरद्वाज,
विश्वामित्र,
गौतम,
जमदग्रि,
वसिष्ठ,
वत्स,
गौतम,
पराशर,
गर्ग,
अत्रि,
भृगडत्र,
अंगिरा,
श्रंगी,
कात्याय,
याज्ञवल्क्य,

● इन नामो से सोलह-सोलह पुत्र जाने जाते हैं। मुख्य 10 प्रकार ब्राम्हणों ये हैं:-

(1) तैलंगा,
(2) महार्राष्ट्रा,
(3) गुर्जर,
(4) द्रविड,
(5) कर्णटिका,

● यह पांच ष्द्रविणष् कहे जाते हैं, ये विन्ध्यांचल के दक्षिण में पाये जाते हैं। तथा विंध्यांचल के उत्तर में पाये जाने वाले या वास करने वाले ब्राह्मण:-

(1) सारस्वत,
(2) कान्यकुब्ज,
(3) गौड़,
(4) मैथिल,
(5) उत्कलये,

● उत्तर के पंच गौड़ कहे जाते हैं। वैसे ब्राह्मण अनेक हैं जिनका वर्णन आगे लिखा है। ऐसी संख्या मुख्य 115 की है। शाखा भेद अनेक हैं। इनके अलावा संकर जाति ब्राह्मण अनेक है। यहां मिली जुली उत्तर व दक्षिण के ब्राह्मणों की नामावली 115 की दे रहा हूं। जो एक से दो और 2 से 5 और 5 से 10 और 10 से 84 भेद हुए हैं। फिर उत्तर व दक्षिण के ब्राह्मण की संख्या शाखा भेद से 230 के लगभग है। तथा और भी शाखा भेद हुए हैं, जो लगभग 300 के करीब ब्राह्मण भेदों की संख्या का लेखा पाया गया है। उत्तर व दक्षिणी ब्राम्हणां के भेद इस प्रकार है, 81 ब्राह्मण की 31 शाखा कुल 115 ब्राह्मण संख्या, मुख्य है:-

(1) गौड़ ब्राह्मण,
(2) गुजरगौड़ ब्राह्मण (मारवाड,मालवा)
(3) श्री गौड़ ब्राह्मण
(4) गंगापुत्र गौडत्र ब्राह्मण
(5) हरियाणा गौड़ ब्राह्मण
(6) वशिष्ठ गौड़ ब्राह्मण,
(7) शोरथ गौड ब्राह्मण
(8) दालभ्य गौड़ ब्राह्मण
(9) सुखसेन गौड़ ब्राह्मण
(10) भटनागर गौड़ ब्राह्मण
(11) सूरजध्वज गौड ब्राह्मण (षोभर),
(12) मथुरा के चैबे ब्राह्मण
(13) वाल्मीकि ब्राह्मण
(14) रायकवाल ब्राह्मण
(15) गोमित्र ब्राह्मण
(16) दायमा ब्राह्मण
(17) सारस्वत ब्राह्मण
(18) मैथल ब्राह्मण
(19) कान्यकुब्ज ब्राह्मण
(20) उत्कल ब्राह्मण
(21) सरयुपारी ब्राह्मण
(22) पराशर ब्राह्मण
(23) सनोडिया या सनाड्य,
(24) मित्र गौड़ ब्राह्मण
(25) कपिल ब्राह्मण
(26) तलाजिये ब्राह्मण
(27) खेटुवे ब्राह्मण
(28) नारदी ब्राह्मण
(29) चन्द्रसर ब्राह्मण
(30) वलादरे ब्राह्मण
(31) गयावाल ब्राह्मण
(32) ओडये ब्राह्मण
(33) आभीर ब्राह्मण
(34) पल्लीवास ब्राह्मण
(35) लेटवास ब्राह्मण
(36) सोमपुरा ब्राह्मण
(37) काबोद सिद्धि ब्राह्मण
(38) नदोर्या ब्राह्मण
(39) भारती ब्राह्मण
(40) पुश्करर्णी ब्राह्मण
(41) गरुड़ गलिया ब्राह्मण
(42) भार्गव ब्राह्मण
(43) नार्मदीय ब्राह्मण
(44) नन्दवाण ब्राह्मण
(45) मैत्रयणी ब्राह्मण
(46) अभिल्ल ब्राह्मण
(47) मध्यान्दिनीय ब्राह्मण
(48) टोलक ब्राह्मण
(49) श्रीमाली ब्राह्मण
(50) पोरवाल बनिये ब्राह्मण
(51) श्रीमाली वैष्य ब्राह्मण
(52) तांगड़ ब्राह्मण
(53) सिंध ब्राह्मण
(54) त्रिवेदी म्होड ब्राह्मण
(55) इग्यर्शण ब्राह्मण
(56) धनोजा म्होड ब्राह्मण
(57) गौभुज ब्राह्मण
(58) अट्टालजर ब्राह्मण
(59) मधुकर ब्राह्मण
(60) मंडलपुरवासी ब्राह्मण
(61) खड़ायते ब्राह्मण
(62) बाजरखेड़ा वाल ब्राह्मण
(63) भीतरखेड़ा वाल ब्राह्मण
(64) लाढवनिये ब्राह्मण
(65) झारोला ब्राह्मण
(66) अंतरदेवी ब्राह्मण
(67) गालव ब्राह्मण
(68) गिरनारे ब्राह्मण

● सभी ब्राह्मण बंधुओ को मेरा नमस्कार बहुत दुर्लभ जानकारी है जरूर पढ़े। और समाज में शेयर करे हम क्या है इस तरह ब्राह्मणों की उत्पत्ति और इतिहास के साथ इनका विस्तार अलग अलग राज्यो में हुआ और ये उस राज्य के ब्राह्मण कहलाये। ब्राह्मण बिना धरती की कल्पना ही नहीं की जा सकती इसलिए ब्राह्मण होने पर गर्व करो और अपने कर्म और धर्म का पालन कर सनातन संस्कृति की रक्षा करें।

● नोट:- आप सभी ब्राह्मण बंधुओं से अनुरोध है कि सभी ब्राह्मणों को भेजें और यथासंभव अपनी वंशावली का प्रसार करने में सहयोग करें। दी जा रही जानकारी में कोई गलतियां हो सकती है। संशोधन करने के लिए कृपया जानकारी प्रेषित करने की कृपा करें। विभिन्न जानकारी एवं सूत्रों के अनुसारी जानकारी एकत्रित की गई। है।

● मुकेश पालीवाल (राही)...✍
खमनोर जिला राजसमंद, राजस्थान
● पालीवाल वाणी ब्यूरो...sunil paliwal...✍
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