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नृत्य कला में माहिर कोरियोग्राफर ज्योति पाठक
paliwalwani
मथुरा.
मथुरा जिले की रहने वाली ज्योति पाठक कोरियोग्राफर हैं, इन्होंने राजस्थान, हरियाणा उत्तर प्रदेश में डांस कला की दुनिया में काफी महशुर होकर आपने कई मैडल भी हासिल किए.
कोरियोग्राफर की जब बात आती हैं, तो मथुरा की ज्योति पाठक का नाम सबसे पहले आता है, एलाइट के नाम से ये अपनी डांस एकेडमी चलाती हैं, इनको बचपन से ही डांस का काफी शौक रहा हैं और अपने शौक को अपना कैरियर बनाया और अपने पैरों पड़ खड़े होकर अपने परिवार का नाम रोशन कर रही हैं. और इन्होंने आगे बताया कि कोरियोग्राफर में काफी अच्छी कमाई है, और आगे तक जाने आसानी रहती हैं. एक कुशल कोरियोग्राफर अपनी रचनात्मक प्रतिभा से इन सभी का उचित प्रयोग व प्रदर्शन कर नृत्य रचना में चमत्कारी प्रभाव उत्पन्न कर सकता है.
सामाजिक नृत्य, जो दर्शकों के बजाय भागीदारी के लिए होते हैं, उनमें विभिन्न प्रकार के माइम और कथात्मक रूप शामिल हो सकते हैं, लेकिन आम तौर पर संगीत के लयबद्ध पैटर्न के अधिक करीब होते हैं, ताकि वाल्ट्ज और पोल्का जैसे शब्द संगीत के टुकड़ों के साथ-साथ नृत्य को भी संदर्भित करें. नर्तकों के पैरों की लय भी संगीत का एक अनिवार्य हिस्सा बन सकती है, जैसा कि टैप डांस में होता है.
नृत्य का इतिहास उतना ही प्राचीन है जितना मानव जीवन का इतिहास. मानव जीवन की दैनंदिन क्रियाकलापों में खुशी के अवसरों ने लोक नृत्यों को जन्म दिया. ये लोकनृत्य हमेशा समूहों में ही किये जाते थे. इन नृत्यों के पद संचालन अत्यधिक सरल हुआ करते थे. अधिकांश नृत्यों में लोग एक गोल घेरा बनाकर सीमित अंग संचालन से अपने मनोभावों को प्रकट करते हुए थिरकते थे. यह नृत्य इतने सहज व सरल थे कि कोई देखने वाला भी इनके साथ लय ताल में झूमते हुए नृत्य में शामिल हो जाता था. कहने का आशय यह है कि इस प्रकार के नृत्यों की संरचना अत्यधिक सरल थी.