आपकी कलम
मलेशिया यात्रा : दुनिया को समझने की एक और कोशिश...!-नैवेद्य पुरोहित
paliwalwani
- विमान मलेशिया की धरती पर उतर चुका था, मेरे मन में एक अनोखी उत्सुकता जागी - यहां की संस्कृति, यहां के लोग, यहां की ज़िंदगी कैसी होगी? एमईएससी - मीडिया एंड एंटरटेनमेंट स्किल्स काउंसिल के स्टूडेंट एक्सचेंज प्रोग्राम ने मेरे लिए इस अनजान दुनिया के दरवाज़े खोल दिए जहां हर पल एक नई कहानी थी। यह एक ऐसा अनुभव रहा जिसने न सिर्फ़ मेरे ज्ञान को बढ़ाया, बल्कि विभिन्न तकनीकी कौशल को सीखने में मददगार साबित हुआ। साथ ही यह दुनिया को समझने की एक और कोशिश थी।
उड़ान की शुरुआत...,,
बात है लगभग तीन-चार महीने पहले की, जब मैंने सोशल मीडिया पर एक विज्ञापन देखा कि एमईएससी याने मीडिया एंड एंटरटेनमेंट स्किल्स काउंसिल मलेशिया में एशिया पैसिफिक यूनिवर्सिटी के साथ मिलकर स्टूडेंट एक्सचेंज प्रोग्राम आयोजित कर रहा हैं। मैंने बिना एक पल गँवाए आवेदन कर दिया। बेनेट यूनिवर्सिटी में मेरे प्रोफेसर रहे डॉ. तिलक झा ने मुझे समझाया था कि अगर आप सामर्थ्यवान हो अफोर्ड कर सकते हो तो जितना हो सके उतना इंटरनेशनल एक्सपोजर लेना चाहिए।
यह निश्चित रूप से आपके सीवी और पोर्टफोलियो को मजबूत करता है साथ ही नए दृष्टिकोण प्रदान करता है। अगस्त के दूसरे हफ़्ते में मेरे पास एक कॉल आया कि बधाई हो आपको इस प्रोग्राम के लिए सिलेक्ट कर लिया गया है। पहले पहल तो मुझे फ्रॉड लगा लेकिन बाद में जब मैंने तहक़ीकात की सब खरी पक्की कर ली तब विश्वास हुआ की यह विश्वसनीय है।
घरवालों को जब बताया तो वे भी बहुत खुश हुए। मैं भारत के उन 21 छात्रों में से एक था, जिन्हें एमईएससी इंडिया का प्रतिनिधित्व करने के लिए चुना गया था। कई अलग-अलग विश्वविद्यालयों से छात्र चुने गए थे कोई डॉट यूनिवर्सिटी चेन्नई से था, कोई आंध्र की केएल यूनिवर्सिटी से, तो कोई गुड़गांव की नॉर्थ केप यूनिवर्सिटी से और मैं माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय से अकेला विद्यार्थी!

दिल्ली की बस से मलेशिया की उड़ान तक
दीपावली का त्यौहार मनाने के बाद, 25 अक्टूबर की शाम, मैं इंदौर से दिल्ली के लिए बस में बैठा। सुबह की पहली किरणों के साथ दिल्ली पहुँचा। 26 अक्टूबर को रात 10 बजे की फ्लाइट थी और सुबह के 6 बजे मैंने मलेशिया की धरती पर कदम रखा। कुआला लम्पुर इंटरनेशनल एयरपोर्ट वाकई ऊर्जा, चमक और अंतर्राष्ट्रीयता से भरा हुआ है।
उसी समय शहर में आसियान देशों की समिट (ASEAN Summit 2025) चल रही थी। सड़कों पर लंबा ट्रैफिक, सुरक्षा के कड़े इंतज़ाम, और लोगों के मुंह से सुना जा सकता था कि अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प भी वहीं मौजूद थे। ट्रैफिक जाम में फंसने के बाद हम सीधे एशिया पैसिफिक यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी एंड इनोवेशन पहुँचे। सुबह 10 बजे हमारा पहला सत्र था डिजिटल थिंकिंग वर्कशॉप।
पहला दिन: डिजिटल थिंकिंग और जीत से शुरुआत
27 अक्टूबर को पूरा दिन डिजिटल थिंकिंग के इर्द-गिर्द बीता। प्रोफेसर ईकांग ओई ने ग्रुप एक्टिविटी करवाई, प्रेजेंटेशन लिया। हमारे ग्रुप ने प्रेजेंटेशन जीता और वहां यूनिवर्सिटी की तरफ़ से हम सभी टीम मेंबर्स को उपहार स्वरूप एक चार्जिंग कनेक्टर दिया गया।
लंच के समय जब इंडियन खाना देखा, तो जैसे दिल को बड़ा सुकून मिला। शाम को हम हमारे होटल सनवे वेलोसिटी पहुँचे जो एक बहुत ही खूबसूरत, आधुनिक सुविधाओं से लबरेज़ और आरामदायक होटल था। डिनर के बाद काफी थकान हो चुकी थी, लेकिन मन अगली सुबह की उत्सुकता में जाग रहा था।
दूसरा दिन: प्रोडक्ट डिज़ाइन से लेकर वीएफएक्स तक
28 अक्टूबर, सुबह 9 बजे होटल से निकले। नाश्ते में “चॉकलेट वाले बूस्ट दूध" के साथ दिन की शुरुआत हुई। पहली वर्कशॉप थी प्रोडक्ट डिज़ाइन वर्कफ्लो और मार्बल रन एक्टिविटी। हमने एक शानदार मार्बल रन मॉडल बनाया। इसके बाद वीएफएक्स टेक्निक्स और रेंडरिंग वर्कफ्लो पर सेशन हुआ।
आज शाम 5 बजे तक क्लासें चलीं, और फिर शाम को मेरे साथ मेरे दोस्तों मुस्कान और रिया ने प्लान बनाया कि कुआला लम्पुर के मशहूर ट्विन टॉवर्स जाते हैं। भारत में ओला उबर जैसे ऐप है तो वही मलेशिया में 'ग्रैब' चलता है हमने वह ऐप डाउनलोड किया और ड्राइवर मो. शकरी बिन ज़कारिया से मुलाकात हुई। वो शाहरुख खान और सलमान खान का बड़ा फैन निकला। उसने कहा शाहरुख खान की मूवी "कुछ कुछ होता है" मलेशिया में बहुत फेमस है।
ट्विन टावर्स की ऊँचाई और रोशनी ने मानो आसमान को धरती से मिला दिया हो। वहाँ से मैंने सभी मेरे करीबी लोगों को वीडियो कॉल किया। उनकी आँखों में चमक देखकर लगा कि मैं सही जगह पर हूँ। फिर हम गए मलेशिया के पारंपरिक जालान आलोर नाइट फूड मार्केट लेकिन अफसोस वहां सबकुछ नॉन वेज था। रात 12 बजे होटल पहुँचे और सो गए।
तीसरा दिन : वीएफएक्स का असली दर्शन
29 अक्टूबर की सुबह 8:30 पर हम निकले, लेकिन आसियान समिट की वजह से भारी ट्रैफिक मिला। नाश्ते में आलू की सब्ज़ी और रोटी खाई और बस, फिर शुरू हुआ नया अध्याय। आज की हमारी वर्कशॉप थी "इफैक्ट्स एंड सिमुलेशन फॉर वीएफएक्स" पर जिसमें हमने "माया एफएक्स सॉफ्टवेयर" चलाना सीखा।
लंच के बाद हम इंडस्ट्रियल विजिट के लिए मशहूर एनीमेशन कंपनी "Animavitae Studio." के ऑफिस गए। वहाँ हम लोगों ने देखा कि कैसे Maya FX का इस्तेमाल इंडस्ट्री में हो रहा है। वर्चुअल वर्ल्ड, रियलिस्टिक इफैक्ट्स और रचनात्मकता का जादू था। शाम को होटल लौटकर मस्ती, बातें और डिनर किया अगले दिन “कल्चरल एक्सप्लोरेशन डे” था!

चौथा दिन : एआई और रंगीन रातें
30 अक्टूबर की सुबह 9:15 पर हम यूनिवर्सिटी पहुँचे। नाश्ते में फ्रूट्स खाए और फिर शुरू हुआ पहला सेशन आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआई) पर। पहली बार विदेश में मैंने एआई जैसे विषय पर वर्कशॉप की। कार्यशाला के संचालक जोनाथन सर ने शानदार तरीके से डिजिटल एथिक्स और फ्यूचर स्कोप पर बात की। लंच के बाद पाकिस्तानी मूल के प्रोफेसर फहाद रज़ा ने समझाया कि शैक्षणिक अनुसंधान में चैटजीपीटी का ज़िम्मेदार उपयोग कैसे किया जाए।
फिर हम बातू केव्स घूमने गए एक पल लगा जैसे दक्षिण भारत में आ गए हो। 272 से ज्यादा खड़ी सीधी सीढ़ियाँ चढ़कर पहुँचे हम गुफा में, जहाँ अलग-अलग देवताओं के मंदिर थे। प्रमुख आकर्षण का केंद्र भगवान मुरुगन की प्रतिमा है। वहाँ की शांति, वहाँ की हवा…सब कुछ दिव्यता से भरा था। शाम को हम केएलसीसी पार्क और बुकित बिन्तांग मार्केट पहुँचे।
वो रंगीन बाजार, चमचमाती रोशनी और वहां के संगीत ने कुआला लम्पुर की “नाइट लाइफ” का असली अर्थ दिखाया। रात में वापस होटल आकर एक इंडियन रेस्तरां “पंजाबी रसोई” से आलू पराठा मंगवाया, विदेशी धरती पर भारतीय स्वाद के आनंद की बात ही अलग है!
पाँचवाँ दिन : क्लोज़िंग सेरेमनी और एक्सआर स्टूडियो का जादू
31 अक्टूबर को एशिया पैसिफिक यूनिवर्सिटी में हमारा आख़िरी दिन था। लगभग सभी फॉर्मल्स पहनकर तैयार हुए। नाश्ते के बाद हमने एक्सआर स्टूडियो का दौरा किया जहां वर्चुअल रियलिटी, मिक्सड रियलिटी, एआर की तकनीकें देखीं। वीआर हेडसेट पहनकर मैंने वर्चुअल साइकिलिंग की और उस अनुभव ने मुझे मज़ा दिला दिया। दरअसल, वह एक रिसर्चर का प्रोजेक्ट था जिसमें आप बैठें-बैठे दुनिया के किसी भी कोने को चुनकर वहां साइक्लिंग कर सकते है।
लंच के बाद प्रोफेसर एडविन से जब मैं बात कर रहा था तो उन्होंने मुझे मलेशिया के इतिहास से परिचित कराया कि कैसे ब्रिटिश साम्राज्य ने दक्षिण भारत से लोगों को यहाँ लाकर काम करवाया। इसी वजह से मलेशिया में तमिल भाषी बहुतायत में देखे जा सकते है। मैंने खुद वहां तमिल भाषा के समाचार पत्रों को सुपर मार्केट में अंग्रेज़ी अख़बारों के साथ देखा।
फिर हुआ प्रमाण पत्र वितरण समारोह सबके चेहरे पर गर्व और मुस्कान। हम सभी को एक-एक कर नाम लेकर बुलाया गया और हमारे दोनों सर्टिफिकेट दिए। शाम को होटल लौटे, डिनर किया और अगले दिन की तैयारी में लग गए।

वापसी : एक सफर का अंत, नई शुरुआत की उम्मीद
1 नवंबर 2025 , शाम 6 बजे की फ्लाइट थी। दोपहर 1:00 बजे होटल से निकले, एयरपोर्ट पहुँचे। वहीं कुआला लम्पुर के अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे में घूमे, और फिर 9 बजे मैं दिल्ली पहुँचा। फिर अपने दोस्त नमन गर्ग के पास गया वहां उसके और दूसरे मित्रों से बात की। फिर 3 बजे एयरपोर्ट पहुंचा, सुबह 5:35 बजे की फ्लाइट से दिल्ली से सीधा इंदौर आ गया। वापस पहुंचते ही पैकिंग की और 3 बजे की बस से भोपाल अपने हॉस्टल पहुंच गया क्योंकि सोमवार से रेगुलर सभी क्लासेस में जाने की उत्सुकता थी।
तीसरा पासपोर्ट स्टैम्प, तीसरा अनुभव, तीसरी कहानी!
ये मेरी तीसरी अंतरराष्ट्रीय यात्रा थी दुबई, इंडोनेशिया, और अब मलेशिया। पिछले तीन साल से मैं हर साल एक विदेश यात्रा पर जा रहा हूं। 2023 में दुबई, 2024 में इंडोनेशिया और अब 2025 में मलेशिया। ईश्वर से प्रार्थना है कि इसी तरह हर साल पासपोर्ट पर ठप्पे लगते रहें। हर यात्रा ने कुछ नया सिखाया, लेकिन मलेशिया ने मुझे यह सिखाया कि “सीखना सिर्फ़ किताबों में नहीं, लोगों में, संस्कृतियों में और यात्राओं में छिपा होता है।” मैं आज भी उसी उत्साह से भरा हूँ एमईएससी के अलावा भी कहीं किसी भी अंतरराष्ट्रीय पहल का हिस्सा बनने के लिए तैयार हूं क्योंकि मेरे लिए सीखना, यात्रा करना और दुनिया को समझना ज़िंदगी का सबसे खूबसूरत संगम है।
- ~नैवेद्य पुरोहित
पालीवाल वाणी नजर में...
आज के डिजिटल युग में जहां पत्रकारिता का स्वरूप तेजी से बदल रहा है, वहीं नई पीढ़ी के युवा पत्रकार आत्मनिर्भरता की राह पर आगे बढ़ रहे हैं, इन्हीं में से एक हैं पालीवाल ब्राह्मण समाज 44 श्रेणी इंदौर के उदयमान युवा पत्रकार श्री नैवेद्य पुरोहित, जिन्होंने अपने जुनून और लगन के बल पर मीडिया जगत में अलग पहचान बनाई है. श्री नैवेद्य पुरोहित ने अपनी कलम से आश्चर्य चकित करते हुए पत्रकारिता के क्षेत्र में धूमकेतु की तरहा चमक रहे हैं. और जिस प्रकार से नई ऊँचाई को छू रहे हैं, उससे ऐसा प्रतित होता है कि आने वाले समय में नित्य नए आयाम स्थापित कर माँ अहिल्या की नगरी इंदौर का नाम गौरवान्ति करेंगें.






