आपकी कलम
Indore News : इंदौर के पास मौका है सफल से महान बनने का, लाईट हाउस बनकर पूरे देश को राह दिखाने का
paliwalwani● राजकुमार जैन, स्वतंत्र विचारक और लेखक
2107 से लेकर 2022 तक छ: बार हम निर्विवाद रूप से देश के नंबर 1 स्वच्छ शहर रहे है और 2023 में सातवीं बार भी नंबर 1 बने हैं लेकिन फर्क यह है कि इस बार सूरत भी हमारे साथ नंबर 1 का साझीदार है। इस बात से इंदौर वाले दुखी हैं, व्यथित हैं। उन्हें लग रहा है कि अगली बार इंदौर पिछड़ ना जाय। व्यवस्थाओं को कोसा जा रहा है। तरह तरह की चेतावनी और नसीहतें भी दी जा रही है।
लगातार सात बार प्रथम शहर का तमगा हासिल करने के बाद किसी और शहर का हमारे समक्ष खड़ा होना हमारे लिए मलाल की बात होना चाहिए या गर्व का विषय, इसको समझने के लिए यह समझना होगा कि हम लाईट हाउस बनना चाहते हैं या कोई मीनार। लाईट हाउस सबको राह दिखाता है और मीनार स्वयं को।
यदि हम समग्र रूप से देखें तो सिर्फ 1 शहर ही क्यों बल्कि देश का हर शहर, हर कस्बा, हर गांव नंबर 1 होना चाहिए। क्यों कोई दूसरी पायदान पर रहे। अब समय आ गया है कि पूरा देश 1 नंबर होना चाहिए। ऐसा कुछ किया जाना चाहिए कि जैसे आज दूसरे शहर के लोग इंदौर देखने आते है वैसे ही दूसरे देश के लोग स्वच्छ भारत को देखने आए। और इंदौर इस काम में पूरे देश के मेंटर की भूमिका अदा कर सकता है। यह सुनहरा मौका है इंदौर के पास। इसे छोड़ना एक ऐतिहासिक भूल होगी।
इस काम को अमली जामा पहनाने की महती जिम्मेदारी इंदौर को उठानी होगी। इंदौर को बनना होगा लाईट हाउस और करना होगा सबका पथ प्रदर्शन। अगले कुछ वर्षों में जब पहली पायदान पर 2 नहीं बल्कि 200 शहर एक साथ खड़े होंगे तब होगी इंदौर की असली जीत।
किसी शहर या कस्बे या गांव को पूर्णत: स्वच्छ कैसे बनाया जाय यह सिखाने के हम सिर्फ विद्यालय ही नहीं बल्कि विश्वविद्यालय बन चुके हैं और यदि कोई दूसरा शहर हमारे समकक्ष खड़ा होता है तो यह मन मसोसने का नहीं बल्कि गौरव का विषय है। सफलता तो सिर्फ सफल बने रहने में होती है लेकिन दूसरों को सफल बनाना महानता होती है। *अब इंदौर को सफल नहीं महान बनना होगा*। स्वच्छता का ताज किसी एक शहर के माथे की बजाय भारत देश के उन्नत ललाट पर शोभायमान होना चाहिए।
इंदौर एक ऐसा शहर जो पूरे देश को स्वच्छ बनने की राह लगातार सात सालों से दिखा रहा है। और आज हमारे पास यह अदभुत मौका है कि अब हम स्वयं सफल बनने की बजाय दूसरों को सफल बनने में मदद करें। अर्जुन हम बन चुके अब द्रोणाचार्य बनने का समय है। अब नंबर गेम से परे हट कर अपना विराट स्वरूप सम्पूर्ण विश्व के सामने प्रकट करने के बारे में विचार विमर्श होना चाहिए।
सात बार स्वच्छता के आसमान पर सबसे चमकदार सितारा बनने के बाद पूरे देश में केवल इंदौर के पास ही यह मौका है, ध्रुव तारे की तरह स्थाई रूप से दिशा दिखाने का प्रतीक बनकर महान बनने का। जिसकी गाथा रहती दुनिया तक गायी जाएगी, और हमें यह मौका गंवाना नहीं चाहिए। नगरीय प्रशासन मंत्री के रूप में इंदौर के कद्दावर नेता कैलाश विजयवर्गीय और महापौर पुष्यमित्र भार्गव जैसे मंजे हुए कार्यकर्ता के साथ इंदौर के काबिल नेतृत्व को अब एक व्यापक सोच लेकर सम्पूर्ण विनम्रता से अपने आप को नंबर की दौड़ से अलग कर लेना चाहिए।
यदि हम 100 शहरों को एक नंबर बना पाए तो इंदौर का नाम विश्व इतिहास में अमर हो जाएगा। एक ऐसा शहर जिसने कीर्तीमानों के कीर्तिमान रचे और उसके बाद दूसरों को आगे आने की राह दिखाई। एक पथ प्रदर्शक, एक कोच, एक मेंटर, एक सलाहकार के रूप में हमें सिर्फ अपने लिए खेलना छोड़कर पूरे देश को स्वच्छता का यह खेल पूरी नफासत से खेलना सीखाना चाहिए।
खुद को नंबर 1 देखने में जो आनंद है उससे कई गुना अदभुत अलौकिक आनद है दूसरों को नामवर बनाने का। स्वच्छता मिशन शुरू करते समय शायद हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी का भी यही सपना रहा होगा कि एक, दो, चार, आठ, पचास, सौ, दो सौ नाम नहीं बल्कि पूरा देश स्वच्छता का सिरमौर बने।