उत्तर प्रदेश

लेखक अपने भीतर खुद की दुनिया निर्मित करता है : डॉ. भरत सिंह ओला

चन्द्र शेखर मेहता
लेखक अपने भीतर खुद की दुनिया निर्मित करता है : डॉ. भरत सिंह ओला
लेखक अपने भीतर खुद की दुनिया निर्मित करता है : डॉ. भरत सिंह ओला

चन्द्र शेखर मेहता

बांसवाड़ा :

  • आयोजन के मुख्य वक्ता के रूप में अकादमी के उपाध्यक्ष ने कहा कि मां को बिसराकर दूसरों का सम्मान नहीं कर सकते. दुनिया लेखन के कारण ही बेहतर है. लेखक अपने भीतर खुद की दुनिया निर्मित करता है, बेहतरीन लेखन के साथ बेहतरीन व्यक्तित्व होना आवश्यक है. हमारे कहे हुए का प्रभाव तब पड़ता है, जब हम में भी वह गुण विद्यमान हो. कहना बड़ा आसान है, करना मुश्किल है. हमें परंपराओं से जुड़ने को आवश्यकता है.

साहित्य व्यक्ति को आम से खास बनाता है. हमें भीतरी ज्ञान को जगाने की आवश्यकता है. हमें समय समय पर कार्यशाला आयोजित कर भाषा के मानक स्वरूप की ओर बढ़ना होगा. डॉ. भरत सिंह ओला, उपाध्यक्ष, राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति अकादमी बीकानेर राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति अकादमी बीकानेर और कलश साहित्य कला संस्थान गढ़ी के संयुक्त तत्वावधान में पायोनियर संस्थान गढ़ी में वागड़ चौखला संभाग स्तरीय वागड़ी साहित्यकारों के दो दिवसीय सम्मेलन में दूसरे एवं अंतिम दिवस के पूर्व चतुर्थ सत्र में रात्रिकाल में वागड़ी काव्य गोष्ठी आयोजित हुई.

सत्र की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार हरीश व्यास प्रतापगढ़ एवं अतिथि मोहनदास वैष्णव, आभा मेहता उर्मिल, चांदमल जैन रहे. चन्द्र शेखर मेहता, प्रतापगढ़ ने कविता...जागो रे ...तथा टीचर्...के माध्यम से शिक्षक का गौरव बताया. संचालन वरिष्ठ कवि एवं मंच संचालक बृजमोहन तूफान ने की.

इसी क्रम में द्वितीय दिवस के पंचम सत्र का "वागड़ी कविता ने जातरा" विषय पर केंद्रित रहा. सत्र की अध्यक्षता वागड़ी के वरिष्ठ साहित्यकार भोगीलाल पाटीदार ने की. निर्धारित विषय पर पत्रवाचन देवीलाल जानी, खोड़न ने किया. संचालन राम पंचाल भारतीय ने किया. आयोजन के षष्ठम सत्र "वागड़ ना संत अर संत साहित्" विषयक रहा. सत्र की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार भागवत कुंदन ने की. विषय पर पत्रवाचन राजेंद्र पंचाल, सामलिया डूंगरपुर किया. सत्र का संचालन कवि सूर्यकरण सोनी सरोज ने किया.

आयोजन की सप्तम एवं अंतिम सत्र के मुख्य अतिथि राजस्थानी भाषा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी बीकानेर के उपाध्यक्ष डॉ. भरत सिंह ओला, अध्यक्षता वरिष्ठ अनुवादक एवं साहित्यकार उपेंद्र अणु ने की विशिष्ट अतिथि भविष्य दत्त भविष्य रहे. विशिष्ट अतिथि डॉ. अशोक पंड्या, यतिन उपाध्याय, उपेंद्र सिंह, अजीत कोठिया, प्रभज्योत् सिंह सोनी रहे.

इस अवसर पर राजस्थान साहित्य अकादमी के वर्ष 2022-23 रांगेय राघव पुरस्कार से सम्मानित वरिष्ठ कहानीकार दिनेश पंचाल विकास नगर का बहुमान किया. इस अवसर पर पिछले पांच दशकों में प्रकाशित पुस्तकों की प्रदर्शनी का अनावरण अतिथियों द्वारा किया. पधारे हुए साहित्यकारों को अकादमी एवं संस्थान की ओर से प्रतीक चिन्ह एवं प्रशस्ति पत्र से सम्मानित किया गया.

आयोजन में पायोनियर संस्थान के निदेशक एवं कलश कला एवं साहित्य संस्थान के अध्यक्ष परेश पंड्या, संस्थान के सचिव वरिष्ठ साहित्यकार घनश्याम सिंह भाटी प्यासा, आभा मेहता, हेमंत पाठक, रमेश चंद्र चौबीसा, डॉ. रेखा खराड़ी, मोहनदास वैष्णव, बृजमोहन तूफान, प्रीतल पंड्या, कृष्ण बलदेव सिंह, प्रदीप सिंह, नयनेश जानी, दिनेश प्रजापति, छत्रपाल शिवाजी, चंद्रशेखर मेहता-प्रतापगढ़, आशीष एकलव्य, उत्सव जैन, अरविंद पाटीदार, कीर्ति सोलंकी, विजय गिरी गोस्वामी, कैलाश गिरी गोस्वामी, हिमेश उपाध्याय, हरिदास डामोर, मार्तंड पाटीदार, जयदीप जानी, ओमप्रकाश महावई, कैलाश कुंवर, रमणलाल डामोर, सुरेश, अशोक पडियार सहित संभाग के साहित्यकार एवं संस्थान के पदाधिकारी सदस्य उपस्थित रहे. सत्र का संचालन दीपिका दीक्षित ने किया एवं आभार अकादमी की समिति सदस्या डॉ. रेखाश्री खराड़ी ने व्यक्त किया.

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