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उत्तराखंड: ‘गैर-हिंदुओं और रोहिंग्याओं का प्रवेश मना है’, रुद्रप्रयाग में लगे आपत्तिजनक पोस्टर, बवाल मचा तो एक्टिव हुआ प्रशासन

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उत्तराखंड: ‘गैर-हिंदुओं और रोहिंग्याओं का प्रवेश मना है’, रुद्रप्रयाग में लगे आपत्तिजनक पोस्टर, बवाल मचा तो एक्टिव हुआ प्रशासन
उत्तराखंड: ‘गैर-हिंदुओं और रोहिंग्याओं का प्रवेश मना है’, रुद्रप्रयाग में लगे आपत्तिजनक पोस्टर, बवाल मचा तो एक्टिव हुआ प्रशासन

उत्तराखंड: उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले के कई गांवों में गैर हिंदुओं और रोहिंग्याओं के प्रवेश पर रोक लगाने के साइनबोर्ड लगाए गए थे। जिले के न्यालसू, रविग्राम और शेरसी सहित कई ग्रामसभाओं में गैर-हिंदुओं और रोहिंग्याओं के प्रवेश पर रोक लगाने वाले बोर्ड वायरल होते ही प्रशासन ने हटवा दिए हैं।

इन दोनों ग्रामसभाओं के बाहर बोर्ड लगाया गया था जिसमें लिखा था, “गैर हिंदुओं/ रोहिंग्या मुसलमानों और फेरी वालों का गांव में व्यापार करना और फेरी लगाना वर्जित है। अगर गांव में कहीं भी मिलते हैं तो दंडात्मक और कानूनी कार्रवाई की जाएगी।” इसको लेकर राजनीति तेज हो गई है। पुलिस का कहना है कि अगर कोई माहौल बिगाड़ने की कोशिश करता है तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

पुलिस ने हटाए साइनबोर्ड

उत्तराखंड के पुलिस महानिदेशक ने बताया कि उन्होंने स्थानीय पुलिस और खुफिया इकाइयों को कई गांवों में ऐसे बोर्ड लगाए जाने का पता लगाने का आदेश दिया है। रुद्रप्रयाग के सर्कल अधिकारी प्रबोध कुमार घिल्डियाल ने भी पुष्टि की कि उन्होंने कई साइनबोर्ड हटा दिए और उन्हें लगाने वालों की पहचान करने की कोशिश कर रहे हैं।

मयकांडा की प्रधान ने कहा, “यह अभियान पिछले एक साल से चल रहा है। मेरे गांव में कुछ लोगों ने एक हफ्ते पहले बोर्ड लगाया था, जिसके बाद मुझे पुलिस से फोन आया कि हम सांप्रदायिक टिप्पणी नहीं कर सकते।” शेरसी गांव में नाई की दुकान चलाने वाले नदीम ने कहा, “मैंने अपना पूरा जीवन यहीं बिताया, लेकिन ऐसी चीजें पहली बार हो रही हैं।”

कई गांवों में लगे थे ऐसे बोर्ड

मयकांडा और शेरसी के अलावा, न्यालसू, त्रियुगीनारायण, बडासू, जामू, अरिया, रविग्राम, सोनप्रयाग और गौरीकुंड जैसे गांवों में भी ऐसे ही बोर्ड लगे थे। गुप्तकाशी पुलिस थाना प्रभारी राकेंदर कठैत ने कहा कि उन्होंने बोर्ड हटाने के लिए इन गांवों में टीमें भेजीं। शनिवार तक अधिकांश बोर्ड हटा दिए गए थे। हमने निवासियों को सूचित किया कि अगर उन्हें कोई संदिग्ध लगे तो वे पुलिस को सूचित कर सकते हैं। कठैत ने कहा, ऐसे बोर्ड लगाना गलत है।

मीडिया ने शनिवार को क्षेत्र के पांच गांवों का दौरा किया, निवासियों से बात की और इस घटना के स्रोत का पता लगाया। इसमें मंदिरों में चोरी, सुरक्षा चिंताओं और व्यवसायों पर बाहरी लोगों द्वारा कब्जा किए जाने जैसे स्थानीय मुद्दे सामने आए।

एक स्थानीय निवासी ने कहा, “मैंने सुरक्षा चिंताओं के कारण बाहरी लोगों को रोकने के लिए दो महीने पहले शेरसी में बोर्ड लगाया था। हाल के दिनों में मंदिरों में चोरी की घटनाएं सामने आई हैं। हमें व्यवसाय करने के बहाने बाहर से आने वालों पर संदेह है।”

 

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