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उर्वरकों की कालाबाजारी पर सख्ती शुरू - सरकार की सख्त चेतावनी : खाद की कालाबाजारी की तो खैर नहीं

Paliwalwani
उर्वरकों की कालाबाजारी पर सख्ती शुरू - सरकार की सख्त चेतावनी : खाद की कालाबाजारी की तो खैर नहीं
उर्वरकों की कालाबाजारी पर सख्ती शुरू - सरकार की सख्त चेतावनी : खाद की कालाबाजारी की तो खैर नहीं

बिहार. बिहार सरकार ने उर्वरकों की कालाबाजारी पर सख्ती शुरू कर दी है. तकरीबन दो महीने से कई अधिकारी मंत्रालय के निशाने पर आ चुके हैं तो कई एजेंसियों के खिलाफ एक्शन हो रहा है. बिहार के कृषि मंत्री अमरेन्द्र प्रताप सिंह ने रबी मौसम, वर्ष 2021-22 के लिए विभिन्न उर्वरकों की आवश्यकता एवं उपलब्धता विषय पर विभागीय पदाधिकारियों तथा उर्वरक आपूर्ति करने वाली कम्पनियों के राज्य प्रतिनिधियों के साथ कृषि विभाग के सभागार में समीक्षा बैठक की. चेतावनी देते हुए कहा कि किसानों को किसी तरह परेशान न करें नहीं तो नतीजा भुगतने के लिए तैयार रहें.

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कालाबारी बर्दाश्त नहीं

बिहार में उर्वरकों को लेकर हो रही सालों से कालाबाजारी पर रोक लगाने के क्रम कृषि मंत्री अमरेंद्र प्रताप सिंह ने कहा कि सरकार उर्वरक कम्पनियों को किसानों को अब किसानों को ठगने नहीं देगी. बिहार में हर हाल में 266.50 रू॰ प्रति बैग (45 किलोग्राम) की दर से ही यूरिया बिकेगा. अन्य उर्वरक भी बोरा पर अंकित मूल्य पर ही बिकेगा.

सभी डिलर द्वारा उर्वरक का मूल्य एवं भंडार स्थिति अपने प्रतिष्ठान पर प्रदर्शित की जाएगी. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार कृषकों को भारत सरकार द्वारा निर्धारित मूल्य पर उर्वरक उपलब्ध कराने के लिए कृतसंकल्प है. निर्धारित मूल्य से एक रूपये भी अधिक किसानों से वसूलना गम्भीर अपराध माना जायेगा तथा उनके विरूद्ध कठोर कार्रवाई विभाग स्तर से की जायेगी.

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कीमत और स्टॅाक के बारे में जानकारी दें

उन्होंने विभिन्न उर्वरक कम्पनी के प्रतिनिधियों को भी समय पर एवं सही कीमत पर आवंटित उर्वरकों की उपलब्धता हर हालत में सुनिश्चित करने का निदेश दिया. इस संबंध में उन्होंने आगे कहा कि बहुत सारे उर्वरक ब्रिकेताओं द्वारा मुख्यालय में शिकायत की गई है कि कम्पनियाँ फ्रेट ऑन रोड (एफओआर) उर्वरक नहीं पहुँचा रहे हैं, जिसके कारण उर्वरक विक्रेताओं को परेशानी के साथ-साथ आर्थिक नुकसान भी उठाना पर रहा है.

दो दिन पहले हुई समीक्षा बैठक में उपस्थित कम्पनी के प्रतिनिधियों को आगाह किया गया कि भारत सरकार द्वारा निर्धारित नियमों के तहत् खुदरा ब्रिकेता तक एफओआर उर्वरकों की आपूर्ति तय किया जाये. ऐसा नहीं किये जाने पर संबंधित उर्वरक कम्पनियों के विरूद्ध विधिसम्मत कार्रवाई सुनिश्चित की जायेगी. इस बैठक में उपस्थित सभी कम्पनियों के प्रतिनिधियों ने आश्वस्त किया कि बिहार में समय पर एवं सही कीमत पर उर्वरकों की उपलब्धता सुनिश्चित की जायेगी तथा सरकार के जीरो टाॅलरेंस पाॅलिसी का पूरा अनुपालन किया जायेगा.

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रबी मौसम में कितनी जरूरत

रबी मौसम, वर्ष 2021-22 में यूरिया 12 लाख मीट्रिक टन, डी॰ए॰पी॰ 4 लाख टन, पोटाश 1.50 लाख टन, एनपीके  मिश्रित उर्वरक 2 लाख टन तथा एसएसपी 1.25 लाख  टन की आवश्यकता होगी. सभी कम्पनियों ने आश्वस्त किया कि उर्वरकों की कमी नहीं होने दी जायेगी. किसान भाइयों से आग्रह किया कि वैज्ञानिक अनुशंसा के आलोक में उर्वरकों का संतुलित प्रयोग करें. आवश्यकता से अधिक रासायनिक उर्वरकों के प्रयोग से मिट्टी खराब होती है तथा खाद्यान्न की गुणवत्ता अच्छी नहीं होती, जो मानव स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है.

उन्होंने पंजाब का हवाला देते हुए कहा कि रासायनिक उर्वरकों के अंधाधुंध प्रयोग से वहाँ की जमीन खराब हुई है. रासायनिक उर्वरकों के अंधाधुंध प्रयोग के कारण बहुतायत संख्या में वहाँ के लोग कैंसर के शिकार हुए, जिस कारण पंजाब में भटिण्डा से बीकानेर के लिए ट्रेन चलती है. जिसे लोग कैंसर ट्रेन के नाम से पुकारते हैं. यह स्थिति बिहार राज्य में न आये, इसलिए उन्होंने सभी किसान भाइयों से अपील किया कि अधिक-से-अधिक मात्रा में कम्पोस्ट बायो फर्टिलाईजर के उपयोग के साथ-साथ संतुलित रासायनिक उर्वरकों का प्रयोग करें. इससे खेती की लागत खर्च कम होगा एवं फसलों के उत्पादन में भी वृद्धि होगी.

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