Thursday, 24 July 2025

महाराष्ट्र

Jain wani : जीवन में शांति चाहिए तो अकड़ना,पकड़ना ओर झगड़ना छोड़ दे : साध्वी दर्शनप्रभाजी म.सा.

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Jain wani : जीवन में शांति चाहिए तो अकड़ना,पकड़ना ओर झगड़ना छोड़ दे : साध्वी दर्शनप्रभाजी म.सा.
Jain wani : जीवन में शांति चाहिए तो अकड़ना,पकड़ना ओर झगड़ना छोड़ दे : साध्वी दर्शनप्रभाजी म.सा.

तपस्या से तन ओर मन के विकार दूर होकर निर्मल व पावन बन जाते:साध्वी समीक्षाप्रभाजी म.सा. 

आनंद दरबार में महासाध्वी इन्दुप्रभाजी म.सा. के सानिध्य में उर्जावान लोगस्स हिलिंग साधना कल 

~Nilesh Kather Journalist

पूना. 23 जुलाई पूज्य आचार्य आनंदऋषिजी म.सा. की यह बात सदा याद रहनी चाहिए कि जीवन में शांति चाहते है तो अकड़ना,पकड़ना ओर झगड़ना छोड़ दे। हम शब्दों को पकड़ते है तो कुछ नहीं होने पर भी अकड़ते है। छोटी-छोटी बातों पर झगड़ने से भी कलह ओर क्लेश होता है। इन्हीं कारणों से समाज ओर परिवार टूट रहे है।

ये विचार मरूधरा मणि महासाध्वी जैनमतिजी म.सा. की सुशिष्या सरलमना जिनशासन प्रभाविका वात्सल्यमूर्ति इन्दुप्रभाजी म.सा. के सानिध्य में श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संघ कात्रज दत्त नगर आनंद दरबार श्रीसंघ के तत्वावधान में आगम पर्व-2025 के तहत बुधवार को प्रवचन में रोचक व्याख्यानी प्रबुद्ध चिन्तिका डॉ. दर्शनप्रभाजी म.सा. ने व्यक्त किए। उन्होंने गुरू की महिमा पर चर्चा करते हुए कहा कि गुरू से बड़ा जीवन में कोई नहीं होता है।

गुरू हमारी दुर्गति को सद्गति में बदल सकता

गुरू को दिल देंगे तो गुरू हमे दिल से देंगा। गुरू हमारी दुर्गति को सद्गति में बदल सकता है। आगम में पंचम आरे में आचार्य,उपाध्याय ओर साधु इन तीन को ही गुरू पद दिया गया है। शिष्य गुरू से आगे निकल सकता है पर उस पर छाया गुरू की होनी चाहिए। उन्होंने सहनशील बनने की प्रेरणा देते हुए कहा कि कायदे में रहेंगे तो फायदें में रहेंगे। जो कायदा तोड़ लक्ष्मण रेखा पार करता है उसे सीता की तरह कष्ट उठाने पड़ते है।

घर हो या समाज मर्यादाओं की रेखा कभी नहीं लांधनी चाहिए। तत्वचिन्तिका आगम रसिका डॉ. समीक्षाप्रभाजी म.सा. ने सुख विपाक सूत्र का वाचन करते हुए कहा कि तपस्या से तन ओर मन दोनों के विकार दूर होकर निर्मल व पावन बन जाते है। आयम्बिल तप की साधना से तो तपस्या के साथ ब्लड प्रेशर से जुड़ी समस्या भी ठीक हो जाती है।

जीवन में लब्धि हो तो गौतमस्वामी जैसी 

जीवन में तपस्या के बिना कर्मो की निर्जरा नहीं हो सकती है। हमे सोचना होगा कि सावन भादवा के तप के लिए अनुकूल समय में तपस्या नहीं करेंगे तो फिर कब करेंगे। उन्होंने कहा कि जीवन में लब्धि हो तो गौतमस्वामी जैसी हो जिनका नाम लेने से भी अनंत कर्मो की निर्जरा होती है।

उस स्थान पर भोजन भी नहीं करना चाहिए जहां मांसाहार मिलता

जिनका पुण्य प्रबल ओर यश कर्म तेज होता है उन्हें अधिक प्रसिद्धि प्राप्त होती है। चौबीस तीर्थंकर में सबसे अधिक प्रसिद्ध पार्श्वनाथ भगवान है तो 11 गणधर में सर्वाधिक प्रसिद्ध गौतमस्वामी है। साध्वी समीक्षाप्रभाजी ने श्रावक के 12 व्रतों की चर्चा जारी रखते हुए कहा कि व्रतधारी श्रावक श्राविका को उस स्थान पर भोजन भी नहीं करना चाहिए जहां मांसाहार मिलता है। कई शाकाहारी भोजन उपलब्ध नहीं हो पा रहा हो तो सूखी सामग्री घर से साथ में ले जाए।

विद्याभिलाषी हिरलप्रभाजी म.सा. ने प्रेरणादायी भजन की प्रस्तुति दी। प्रवचन में सेवाभावी दीप्तिप्रभाजी म.सा. का भी सानिध्य रहा। धर्मसभा में आनंद दरबार श्रीसंघ के अध्यक्ष बाळासाहब धोका ने बताया कि राष्ट्रसंत आचार्य भगवान आनंदऋषिजी म.सा. के जन्मोत्सव के उपलक्ष्य में महासाध्वी इन्दुप्रभाजी म.सा. आदि ठाणा के सानिध्य में आनंद दरबार में गुरूवार 24 जुलाई 2025 को सुबह 8.30 से 10 बजे तक उर्जावान लोगस्स हिलिंग साधना की जाएगी।

साधना के बाद गौतम प्रसादी का आयोजन भी होगा

इस दौरान 51 हजार लोगस्स का लाभ प्राप्त होगा। इसके माध्यम से उत्पन्न होने वाली सकारात्मक एनर्जी से शारीरिक,मानसिक, आध्यात्मिक एवं आर्थिक समस्याओं का समाधान हो सकता है। साधना के अंत में पांच लक्की ड्रॉ भी निकाले जाएंगे। साधना के बाद गौतम प्रसादी का आयोजन भी होगा। उन्होंनेअधिकाधिक श्रावक-श्राविकाओं से इस आयोजन में शामिल होकर पूज्य आनंद बाबा के प्रति श्रद्धा भाव समर्पित करने ओर महामंगलकारी लोगस्स हिलिंग साधना का पुण्य लाभ प्राप्त करने की अपील की है। 

महासाध्वी मण्डल की प्रेरणा से त्याग तपस्याओं का दौर जारी 

महासाध्वी मण्डल की प्रेरणा से चातुर्मास में त्याग तपस्याओं का दौर भी जारी है। धर्मसभा में बुधवार को सुश्राविका हेमा दीपकजी चौपड़ा एवं श्वेता मनोजजी सुतर ने 6-6 उपवास की तपस्या के प्रत्याख्यान ग्रहण किए तो अनुमोदना में हर्ष-हर्ष के जयकारे गूंजे। कई श्रावक-श्राविकाओं ने उपवास,आयम्बिल,एकासन आदि तप के प्रत्याख्यान लिए।

धर्मसभा का संचालन श्रीसंघ के सौरभ धोका ने किया। उन्होंने बताया कि आगम पर्व-2025 के तहत 4 अगस्त को पूज्य गुरूदेव मरूधर केसरी मिश्रीमलजी म.सा. की 135 वीं एवं लोकमान्य संत, शेरे राजस्थान, वरिष्ठ प्रवर्तक पूज्य गुरूदेव श्रीरूपचंदजी म.सा. की 98वीं जयंति के उपलक्ष्य में गुरू द्वय जयंति समारोह का आयोजन महासाध्वी मण्डल के सानिध्य में आनंद दरबार श्रीसंघ के तत्वावधान में होगा।

इसके माध्यम से दोनों महापुरूषों का गुणानुवाद किया जाएगा। धर्मसभा में पूना व आसपास के विभिन्न क्षेत्रों से आए श्रावक-श्राविका बड़ी संख्या में मौजूद थे। 

चातुर्मास सम्पर्क सूत्र : श्री बाळासाहब धोका

संघपति, आनंद दरबार, मो. 9822039728

प्रस्तुति : अरिहन्त मीडिया एंड कम्युनिकेशन,भीलवाड़ा-मो. 9829537627

 

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