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RBI Digital Currency : ई-रुपया के क्या हैं फायदें और क्या है आरबीआई का प्लान, चार सरकारी बैंकों में शुरु होगा प्रोजेक्ट

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RBI Digital Currency : ई-रुपया के क्या हैं फायदें और क्या है आरबीआई का प्लान, चार सरकारी बैंकों में शुरु होगा प्रोजेक्ट
RBI Digital Currency : ई-रुपया के क्या हैं फायदें और क्या है आरबीआई का प्लान, चार सरकारी बैंकों में शुरु होगा प्रोजेक्ट

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने घोषणा की कि डिजिटल ई-रुपए (E-Rupee) का पायलट प्रोजेक्ट लॉन्च जल्द ही शुरू किया जाएगा। केंद्रीय बैंक ने डिजिटल रुपए पर चर्चा करने के लिए सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) पर एक कॉन्सेप्ट नोट जारी किया है।

यह कॉन्सेप्ट नोट लोगों में जागरुकता फैलाने के उद्देश्य से जारी किया गया है, ताकि डिजिटल करेंसी के सही तरीके के बारे में लोगों को जागरूक किया जा सके। इसके साथ ही आरबीआई ने भारतीय रुपए के समानांतर E-Rupee के पायलट लॉन्च की बात कही है। आरबीआई की ओर से ई-रुपए की लॉन्चिंग को लेकर तैयार किए जा रहे प्लान के बारे में बताया गया। बैंक की ओर से जो जानकारी दी गई है, उसके मुताबिक ई-रुपए को पायलट लॉन्च करने की योजना बनाई जा रही है।

चार सरकारी बैंकों में शुरु होगा पायलट प्रोजेक्ट:

आरबीआई ने ई-रुपए के उपयोग के लिए दो व्यापक श्रेणियों – खुदरा और थोक के बारे में संकेत दिया है। कॉन्सेप्ट नोट में डिजिटल करेंसी की प्रौद्योगिकी और डिजाइन विकल्प, डिजिटल रुपए के इस्तेमाल और डिजिटल को जारी करने की व्यवस्था जैसे मुद्दों पर चर्चा की गई। इसके साथ ही इसमें सीबीडीसी की शुरूआत के चलते बैंकिंग प्रणाली, मौद्रिक नीति और वित्तीय स्थिरता पर पड़ने वाले प्रभावों की जांच की गई है। इसमें गोपनीयता के मुद्दों का विश्लेषण भी किया गया है। पायलट प्रोजेक्ट के लिए देश के चार सरकारी बैंकों भारतीय स्टेट बैंक, पंजाब नेशनल बैंक, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया और बैंक ऑफ बड़ौदा को शामिल किया है।

क्या है आरबीआई की योजना:

केंद्रीय बैंक ने कहा कि सीबीडीसी का विकास पब्लिक को एक रिस्क फ्री वर्चुअल करेंसी प्रदान करना है जो उन्हें प्राइवेट वर्चुअल करेंसी में लेनदेन के जोखिम के बिना लाभ देगा। सीबीडीसी जारी करने के पीछे दो दृष्टिकोण हैं- एक डिजिटल रुपया बनाना जो एक पेपर करेंसी के जैसा हो और दूसरा एक सहज तरीके से डिजिटल रुपए को पेश करने की प्रक्रिया को मैनेज करना।

ई-रुपए के प्रकार:

कॉन्सेप्ट नोट के मुताबिक डिजिटल रुपए के इस्तेमाल और काम के आधार पर सीबीडीसी को दो व्यापक श्रेणियों – सामान्य उद्देश्य (खुदरा) (CBDC-R) और थोक (CBDC-W) में विभाजित किया जा सकता है। खुदरा सीबीडीसी मुख्य रूप से खुदरा लेनदेन के लिए नकदी का एक इलेक्ट्रॉनिक संस्करण है। यह संभावित रूप से सभी – निजी क्षेत्र, गैर-वित्तीय उपभोक्ताओं और व्यवसायों के उपयोग के लिए उपलब्ध होगा। वहीं, थोक सीबीडीसी को चुनिंदा वित्तीय संस्थानों तक सीमित पहुंच के लिए डिजाइन किया गया है।

डिजिटल करेंसी के फायदे:

डिजिटल करेंसी आने के बाद कैश रखने की जरूरत नहीं पड़ेगी। यह मोबाइल वॉलेट की तरह काम करेगी। इसे रखने पर ब्याज भी मिलेगा। डिजिटल करेंसी को मोबाइल वॉलेट या अकाउंट में रखा जा सकता है। साथ ही इसके इस्तेमाल से पेपर करेंसी के उपतोग में भी कमी आएगी। CBDC को बिना इंटरनेट के भी इस्तेमाल किया जा सकेगा।

टोकन-आधारित और खाता-आधारित डिजाइन:

केंद्रीय बैंक का कहना है कि ई-रुपए या सीबीडीसी को टोकन-आधारित या खाता-आधारित के रूप में डिजाइन किया जा सकता है। टोकन-आधारित सीबीडीसी में, टोकन प्राप्त करने वाला व्यक्ति यह सत्यापित करेगा कि टोकन का स्वामित्व वास्तविक है। वहीं, खाता-आधारित प्रणाली में सीबीडीसी के सभी धारकों के शेष और लेनदेन के रिकॉर्ड के रखरखाव की जरूरत होगी।

 

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