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बच्चे तुलसी के पौधे है, जिन्हें संस्कारों के गंगा जल से सीचा जाना चाहिए : दीदी माँ साध्वी ऋतम्भरा

रविंद्र आर्य
बच्चे तुलसी के पौधे है, जिन्हें संस्कारों के गंगा जल से सीचा जाना चाहिए : दीदी माँ साध्वी ऋतम्भरा
बच्चे तुलसी के पौधे है, जिन्हें संस्कारों के गंगा जल से सीचा जाना चाहिए : दीदी माँ साध्वी ऋतम्भरा

बच्चों में समानुभूति रूपी वट वृक्ष का बीज बोएं

सहनाभूति का अर्थ होता है किसी अन्य व्यक्ति की भावनाओं, दुःखों, और परिस्थितियों को समझना और उन्हें महसूस करना। इसमें व्यक्ति दूसरों के दुःख और कठिनाइयों को अपने दिल से अनुभव करता है और उनके प्रति संवेदनशीलता और करुणा प्रकट करता है। सहनाभूति का भाव किसी की मदद करने, समर्थन देने, और उसकी भावनात्मक स्थिति को समझने में महत्वपूर्ण होता है। समानुभूति समान रूप से दूसरों के भावों व पीड़ाओं को समझने एवं अनुभव करने की क्षमता।

समानुभूति दूसरों के प्रति करुणा और चिंता से ओतप्रोत एक मानवीय संवेदना है। इस गुण के माध्यम से व्यक्ति स्वयं को अन्य दुःखार्त लोगों के समान परिस्थितियों में रखकर उसके कष्ट व पीड़ा को समझने की कोशिश करता है। किसी दुःखी व्यक्ति का दुःख हम तभी समझ पाते हैं, जब स्वयं को उस स्थिति में रखकर देखते हैं। समानुभूति के अनुभव के बिना मनुष्य स्वार्थी होता है, वह परोपकारी कदापि नहीं हो सकता।

अतः यह परम आवश्यक है कि हम अपने बच्चों में समानुभूति रूपी वट वृक्ष का बीज बोएं ताकि उनका जीवन उदारता, करुणा, परोपकार, संवेदनशीलता जैसे गुणों से फलीभूत हो सके। जीवन के परिप्रेक्ष्य जहां हमें समानुभूति गुण को अपनाने की आवश्यकता है। परिवार में समानुभूति, संबंधों में समानुभूति, समाज में समानुभूति, विद्यालय में समानुभूति, प्रकृति के प्रति समानुभूति, जीव-जन्तुओं के प्रति समानुभूति, सम्पूर्ण समष्टि में समानुभूति, इस प्रकार जून माह में समविद गुरुकुलम समानुभूति जैसे महान् गुण से विद्यार्थियों के जीवन को प्रकाशित करने का सफल प्रयास करें। जिससे वे दूसरों का कष्ट समझकर उनकी उचित सहायता करने का प्रयत्न कर सकें।

  • लेखक : रविंद्र आर्य-M. 9953510133
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