जोधपुर
सिक्योरिटी राशि लौटाने के बदले 20 हजार की रिश्वत लेते पकड़ाया सेवानिवृत्त सहायक अभियंता
Paliwalwaniजोधपुर। भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो जोधपुर की विशेष विंग ने जालोर जिले के भीनमाल में सिक्योरिटी राशि लौटाने के बदले 20 हजार रिश्वत लेने पर स्वास्थ्य विभाग जालोर के सेवानिवृत्त सहायक अभियंता को सोमवार को रंगे हाथों गिरफ्तार किया। विभाग के संविदाकर्मी कम्प्यूटर ऑपरेटर को भी हिरासत में लिया गया। एकाउंटेंट फरार हो गया।
ब्यूरो के उप महानिरीक्षक कैलाशचन्द्र बिश्नोई ने बताया कि जालोर जिले की भीनमाल तहसील में कुशालपुरा के राजपूतों का बास निवासी राजूसिंह पुत्र किशोरसिंह की शिकायत पर जोधपुर के चौहाबो थानान्तर्गत वैष्णव नगर निवासी सुनील (65) पुत्र अमृतलाल माथुर को 20 हजार रुपए रिश्वत लेने पर रंगे हाथों गिरफ्तार किया गया। आरोपी ने भीनमाल में जालोर मुख्य रोड पर होटल के सामने 15 हजार रुपए स्वयं और 5 हजार रुपए एकाउंटेंट कुन्दन पुत्र लाचीराम सुथार के लिए रिश्वत ली। तभी विशेष विंग के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक डॉ दुर्गसिंह राजपुरोहित के नेतृत्व में एसीबी ने दबिश देकर सुनील माथुर को गिरफ्तार किया। वो जालोर के स्वास्थ्य विभाग से सेवानिवृत्त सहायक अभियंता हैं। उन्हें डेपूटेशन पर लगाया गया था, लेकिन यह कार्यकाल गत नवम्बर में पूरी हो गया। जालोर में स्वास्थ्य विभाग के कार्यालय से संविदा कम्प्यूटरकर्मी प्रकाश को भी हिरासत में लिया गया। जबकि एकाउंटेंट कुंदन फरार हो गया।
3 प्रतिशत के हिसाब से मांगी थी रिश्वत
परिवादी राजूसिंह ने कुछ समय पहले सुनील माथुर के खिलाफ घूस मांगने की शिकायत की थी। राजूसिंह को वर्ष 2015 में जालोर के स्वास्थ्य विभाग की ओर से पाथेड़ी गांव में प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र के आवासीय क्वार्टर बनाने का कार्यादेश मिला था। कार्य 85 लाख रुपए का था, लेकिन काम 65 लाख रुपए का ही कराया गया था। बदले में 6.50 लाख रुपए सिक्योरिटी राशि के जमा कराए गए थे। कार्य 2017 में पूर्ण हो गया था। बिल भी पास हो गए थे। नियम के तहत दो साल बाद सिक्योरिटी राशि लौटाई जानी थी। राजूसिंह ने विभाग के अधिकारियों से संपर्क किया तो उन्होंने 3 प्रतिशत के हिसाब से रिश्वत मांगी थी। ब्यूरो ने शिकायत का सत्यापन कराया तो पुष्टि हो गई थी।
कोरोना होने से टली थी कार्रवाई
सत्यापन के बाद एसीबी ने ट्रैप कार्रवाई की योजना बनाई, लेकिन आरोपी सुनील माथुर को कोरोना हो गया था। इस पर उन्होंने रिश्वत राशि कम्प्यूटर ऑपरेटर प्रकाश को देने को कहा, लेकिन प्रकाश ने एइएन के लिए रुपए लेने से मना कर दिया था। उसने काम होने के बाद सिर्फ खुद का हिस्सा लेने पर सहमति जताई थी।
बैक डेट में कर रहा था कार्य
एएसपी डॉ दुर्गसिंह का कहना है कि आरोपी पीडब्ल्यूडी में सहायक अभियंता थे। उन्हें वर्ष 2014 प्रतिनियुक्ति पर जालोर के स्वास्थ्य विभाग में लगाय गया था। 2017 में वो सेवानिवृत्त हो गए थे, लेकिन मई 2017 में उन्हें संविदा पर उसी विभाग में लगा दिया गया था। यह कार्यावधि भी नवम्बर 2021 में समाप्त हो गई थी। इसके बावजूद वो खुद के कार्यकाल के बाकी कार्य बैक डेट में कर रहे थे। सत्यापन में पुष्टि हुई थी कि उसने राजूसिंह का कार्य बैक डेट में किया है।