जयपुर
कांग्रेस के राष्ट्रीय नेतृत्व के सामने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का फिर शक्ति प्रदर्शन : फीडबैक के लिए निर्दलीय विधायकों को भी बुलाया
S.P.MITTAL BLOGGERदिल्ली में राजस्थान कांग्रेस में चल रही खींचतान पर जब कांग्रेस का राष्ट्रीय नेतृत्व गहन मंथन कर रहा है, तब इधर जयपुर में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कांग्रेस और निर्दलीय विधायकों से फीडबैक लेने का तीन दिवसीय कार्यक्रम घोषित कर दिया है। गहलोत के इस फीडबैक कार्यक्रम को कांग्रेस के राष्ट्रीय नेतृत्व के समक्ष एक बार शक्ति प्रदर्शन के तौर पर देखा जा रहा है।
खुद कांग्रेस के अंदर यह सवाल उठ रहा है कि आखिर किस वजह से विधायकों से फीडबैक लेने का कार्यक्रम घोषित किया गया है। गहलोत और प्रदेश कांग्रेस कमेटी की ओर से जो प्रोग्राम घोषित किया गया है उसके अनुसार जयपुर में 17 अप्रैल 2023 को अजमेर, जोधपुर, 18 अप्रैल को उदयपुर, कोटा, भरतपुर तथा 20 अप्रैल को जयपुर और बीकानेर संभाग के विधायकों से सरकार की घोषणाओं के बारे में फीडबैक लिया जाएगा।
19 अप्रैल को बिड़ला सभागार में विधायकों के साथ साथ कांग्रेस पदाधिकारियों की एक कार्यशाला भी होगी, जिसमें छह माह बाद होने वाले विधानसभा चुनाव के मद्देनजर जानकारियां दी जाएगी। 11 को प्रतिद्वंदी नेता पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट ने गत भाजपा सरकार के भ्रष्टाचार की जांच की मांग को लेकर जो अनशन किया उसके मद्देनजर दिल्ली में कांग्रेस का राष्ट्रीय नेतृत्व पायलट और गहलोत के बीच तालमेल बैठाने का काम कर रहा है। मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने राहुल गांधी से मुलाकात के बाद कहा भी जल्द ही गहलोत और पायलट के बीच स्थाई समाधान निकाल लिया जाएगा।
सूत्रों की माने तो कांग्रेस आला कमान ने गहलोत और पायलट के विवाद को गंभीरता के साथ लिया। हाईकमान अभी मशक्कत ही कर रहा था कि सीएम गहलोत की तरफ से विधायकों से फीडबैक लेने की एकतरफा घोषणा कर दी गई। भले ही फीडबैक का निमंत्रण प्रदेश कांग्रेस कमेटी की ओर से से भेजा गया हो, लेकिन मौजूदा समय में सीएम गहलोत ही राजस्थान में कांग्रेस हैं। गहलोत जो निर्देश देते हैं उसी की क्रियान्विति प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा करते हैं।
मीडिया में प्रकाशित करवाया गया है कि 17 अप्रैल से शुरू होने वाले फीडबैक में प्रदेश प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा भी मौजूद रहेंगे। लेकिन जानकार सूत्रों के अनुसार अभी यह तय नहीं है कि गहलोत और डोटासरा के साथ रंधावा भी उपस्थित रहेंगे। असल में प्रदेश प्रभारी की नियुक्ति राष्ट्रीय नेतृत्व के द्वारा की जाती है।
जब राष्ट्रीय नेतृत्व गहलोत और पायलट के बीच तालमेल बैठाने की मशक्कत कर रहा है, तब अपने प्रतिनिधि को फीडबैक के लिए कैसे कह सकता है। सवाल यह भी है कि इस समय किस बात का फीडबैक लिया जाएगा? बजट घोषणा में जो 19 नए जिले बनाए गए हैं उनकी अभी सीमाओं का भी निर्धारण नहीं हो पाया है। इसी प्रकार घरेलू उपभोक्ताओं को सौ यूनिट और किसान को दो हजार यूनिट बिजली फ्री देने की घोषणा की है उसका पहला बिल किसी भी उपभोक्ता के पास नहीं पहुंचा है।
घोषणा का लाभ एक अप्रैल से शुरू हुआ है। ऐसे में मई माह में उपभोक्ता की राय सामने आएगी। कुछ दिन पहले ही संभाग स्तर पर आयोजन किए गए थे। अजमेर संभाग में ही टोंक जिला आता है। टोंक से ही सचिन पायलट विधायक है, लेकिन ऐसे संभाग स्तरीय कार्यक्रमों में सचिन पायलट अपनी उपस्थिति दर्ज नहीं करवाते हैं। राष्ट्रीय नेतृत्व इस बात को स्वीकार करता है कि राजस्थान में पायलट के बगैर विधानसभा का चुनाव जीतना आसान नहीं है। लेकिन सीएम गहलोत हाईकमान की इस राय से सहमत नहीं है।
गहलोत का मानना है कि उन्होंने जो योजनाएं लागू की है इसकी वजह से प्रदेश की जनता कांग्रेस को वोट देगी। यह बात अलग है कि गहलोत के मुख्यमंत्री रहे राजस्थान में कांग्रेस की कभी भी जीत नहीं हुई है। जानकारों की मानें तो विधायकों के फीडबैक के पीछे सीएम गहलोत का राष्ट्रीय नेतृत्व के समक्ष शक्ति प्रदर्शन करना भी है। अब यह भी देखना होगा कि क्या गहलोत के फीडबैक में प्रदेश प्रभारी रंधावा उपस्थित रहते हैं या नहीं।
15 अप्रैल को भी रंधावा को कांग्रेस के ओबीसी विभाग के कार्यक्रम में शामिल होना था, लेकिन राजनीतिक खींचतान के कारण रंधावा जयपुर नहीं आए। इस बीच जानकारी मिली है कि राष्ट्रीय नेताओं से मंथन करने के बाद सचिन पायलट 17 अप्रैल को जयपुर आ रहे हैं। पायलट को खेतड़ी में आयोजित एक समारोह में भाग लेना है।
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