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स्टील-एल्युमीनियम पर 25 प्रतिशत टैरिफ लगाने का मकसद मौजूदा खामियों को दूर करना

paliwalwani
स्टील-एल्युमीनियम पर 25 प्रतिशत टैरिफ लगाने का मकसद मौजूदा खामियों को दूर करना
स्टील-एल्युमीनियम पर 25 प्रतिशत टैरिफ लगाने का मकसद मौजूदा खामियों को दूर करना

वाशिंगटन. अमेरिका (US) के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) ने स्टील (steel) पर 25 फीसदी और एल्युमीनियम (aluminum) पर भी 25 फीसदी टैरिफ (25 percent tariff) लगाने के लिए एक घोषणापत्र पर हस्ताक्षर किए हैं। इस बारे में व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरोलिन लेविट ने जानकारी दी। उन्होंने बताया कि स्टील और एल्युमीनियम पर टैरिफ लगाने का मकसद मौजूदा खामियों और छूटों को बंद करना है।

प्रेस सचिव लेविट ने बुधवार (स्थानीय समयानुसार) को एक प्रेस ब्रीफिंग को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति ट्रंप अमेरिका के इस्पात और एल्युमीनियम उद्योगों की रक्षा के लिए महत्वपूर्ण कदम उठा रहे हैं, जैसा कि उन्होंने अपने पहले कार्यकाल के दौरान किया था।

लेविट ने कहा, ‘राष्ट्रपति ने स्टील पर वास्तविक 25 फीसदी टैरिफ बहाल करने और एल्युमीनियम पर टैरिफ को 25 फीसदी तक बढ़ाने के लिए मौजूदा खामियों को दूर करने के लिए घोषणापत्रों पर हस्ताक्षर किए। ट्रंप प्रशासन का मानना है कि ये टैरिफ हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा की रक्षा करेंगे और अमेरिकी श्रमिकों को प्राथमिकता देंगे।’

इसके अलावा, प्रेस सचिव ने बताया कि तुलसी गबार्ड को राष्ट्रीय खुफिया निदेशक के रूप में पुष्टि की गई है। गबार्ड का शपथ ग्रहण समारोह व्हाइट हाउस में होगा।

कैरोलिन लेविट ने कहा, ‘आज सुबह एक अन्य महत्वपूर्ण मामले में, सीनेट रिपब्लिकन ने राष्ट्रपति ट्रंप के योग्य नामांकितों की पुष्टि करना जारी रखा, जिसमें सबसे हाल ही में राष्ट्रीय खुफिया निदेशक तुलसी गबार्ड शामिल हैं, जो बाद में अपने शपथ ग्रहण समारोह के लिए व्हाइट हाउस में हमारे साथ शामिल होंगी। यह जरूरी है कि राष्ट्रपति के कैबिनेट के बाकी नामांकितों की भी जल्द से जल्द पुष्टि की जाए।’

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, अमेरिकी सीनेट ने बुधवार को पूर्व डेमोक्रेटिक प्रतिनिधि तुलसी गबार्ड को राष्ट्रीय खुफिया निदेशक के रूप में पुष्टि करने के लिए मतदान किया। सीनेट ने गबार्ड की पुष्टि 52-48 के वोट से की। हालांकि, केंटकी के रिपब्लिकन सीनेटर मिच मैककोनेल पुष्टि का विरोध करने के लिए डेमोक्रेट में शामिल हो गए।

बता दें कि तुलसी गबार्ड राष्ट्रपति ट्रंप के सबसे विवादास्पद चयनों में से एक हैं। उन्हें यूक्रेन के प्रति समर्थन की कमी, विदेशी खुफिया निगरानी अधिनियम की धारा 702 पर उनके बदलते रुख, पूर्व सीरियाई राष्ट्रपति बशर अल-असद से 2017 में हुई मुलाकात, और एडवर्ड स्नोडेन के प्रति उनके पिछले समर्थन को लेकर कई रिपब्लिकन सीनेटरों की चिंताओं का सामना करना पड़ा। हालांकि, मेन की सीनेटर सुसान कोलिन्स, अलास्का की लिसा मुर्कोव्स्की, और इंडियाना के टॉड यंग जैसे प्रमुख रिपब्लिकन सीनेटरों ने आखिरकार उनकी पुष्टि का समर्थन किया।

तुलसी गबार्ड 20 जनवरी से पुष्टि की जाने वाली ट्रंप की 14वीं नामांकित व्यक्ति बन गई हैं। उनकी पुष्टि एक ऐसे नामांकन में महत्वपूर्ण बदलाव है, जो शुरुआत से ही ट्रंप के सबसे विवादास्पद नामांकनों में से एक रहा है। हवाई की पूर्व डेमोक्रेटिक कांग्रेस सदस्य गबार्ड ने निगरानी से जुड़ी अपनी राय और 2017 में लेबनान और सीरिया में की गई कुछ विवादास्पद बैठकों के कारण सीनेट की खुफिया समिति के सदस्यों की आलोचना का सामना किया। इनमें तत्कालीन राष्ट्रपति असद के साथ उनकी मुलाकातें भी शामिल थीं।

ट्रंप के कार्यों पर आपत्ति जताने वाले न्यायाधीश सांविधानिक संकट पैदा कर रहे : व्हाइट हाउस

इसके अलावा, व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरोलिन लेविट ने ट्रंप प्रशासन के खिलाफ न्यायाधीशों द्वारा दिए जा रहे फैसलों पर बात की। उन्होंने कहा कि ट्रंप प्रशासन के खिलाफ न्यायालय के फैसले ‘न्यायिक कार्यकर्ताओं’ द्वारा दिए जा रहे हैं, जो संविधान के लिए संकट पैदा कर रहे हैं। लेविट ने ट्रंप के कामों की आलोचना करने वालों को जवाब देते हुए यह बात कही। उन्होंने कहा, ‘हम मानते हैं कि ये न्यायाधीश कानून के सही मध्यस्थों के बजाय न्यायिक कार्यकर्ताओं की तरह काम कर रहे हैं।’

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