जैसलमेर
मां का दूध शिशुओं के लिए है सर्वोत्तम आहार : डॉ. राजेंद्र कुमार पालीवाल
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जैसलमेर. मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. राजेंद्र कुमार पालीवाल ने पालीवाल वाणी को बताया कि शिशुओं के स्वास्थ्य में सुधार लाने के लिए स्तनपान के प्रचार व समर्थन करने के लिए तथा प्रसव केन्द्रों पर बच्चे के जन्म के पश्चात शीघ्र स्तनपान एवं नई माताओं को सहायता प्रदान करने पर विशेष प्रयास किया जा रहा है.
डॉ. पालीवाल ने आगे बताया कि जिले में विश्व स्तनपान सप्ताह 1 अगस्त से 7 अगस्त 2025 तक आयोजित किया जा रहा है. उन्होंने बताया कि स्तनपान हर नवजात के लिए अमृततुल्य होता है. मां का दूध बच्चे के लिए संपूर्ण व सर्वोत्तम आहार माना जाता है, इसमें बच्चे के पोषण के लिए आवश्यक सभी चीजें इसमें समाहित होती हैं.
सभी माताओं को अपने नवजात शिशु को प्रथम 6 माह तक पोषण के लिए केवल मां का दूध ही पिलाना चाहिए. डॉ. पालीवाल ने बताया कि दिनांक 1 से 7 अगस्त 2025 तक मनाये जाने वाले विश्व स्तनपान सप्ताह में बाल मृत्युदर को कम करने, पोषण में सुधार व शिशु के विकास को बढाने में मां के दूध के महत्व के बारे विभागीय कार्मिकों द्वारा जानकारी दी जा रही हैं तथा स्तनपान से होने वाले लाभों के बारे में माताओं को जागरूक किया जा रहा हैं.
जिले के चिकित्सा संस्थानों व टीकाकरण सत्र स्थलों पर भी विश्व स्तनपान सप्ताह अंतर्गत विभागीय कार्मिकों द्वारा गर्भवती महिलाओं को शिशु को प्रथम 6 माह के लिए केवल स्तनपान और कम से कम 2 वर्ष तक स्तनपान जारी रखने के महत्व पर जानकारी बताई जा रही हैं. डॉ. पालीवाल ने बताया कि सप्ताह के दौरान सामान्य व सिजेरियन सेक्शन से दोनो हीं प्रसवों की स्थितियों में जन्म के एक घण्टे के भीतर स्तनपान की शुरूआत सुनिश्चित की जावेगी.
नवजात शिशु के लिए पीला गाढ़ा मां का दूध कोलेस्ट्रम संपूर्ण आहार होता है, जिसे बच्चे के जन्म के तुरंत बाद एक घंटे के भीतर ही शुरू कर देना चाहिए, सामान्यता बच्चे को 6 महीने की अवस्था तक स्तनपान करवाया जाना चाहिए. शिशु को छह महीने की अवस्था और 2 वर्ष अथवा उससे अधिक समय तक स्तनपान कराने के साथ-साथ पौष्टिक पूरक आहार भी देना चाहिए.
माँ का दूध बच्चे के लिए अनमोल उपहार है, नवजात शिशु और बच्चे को सुरक्षा और स्नेह तथा पर्याप्त पोषण की आवश्यकता होती है. इन सभी आवश्यकताओं को स्तनपान पूरा करता है. मां का दूध, बच्चे के सम्पूर्ण विकास हेतु पोषण का सबसे अच्छा स्रोत है तथा बच्चे को छह महीने की आयु तक मां के दूध के अलावा अन्य कोई वैकल्पिक आहार नहीं दिया जाना चाहिए.





