जैसलमेर
पालीवाल श्रद्धांजलि : पूर्व सीएम ब्रह्मलीन श्री टीकाराम पालीवाल की पुण्यतिथि पर दी श्रद्धांजलि अर्पित
paliwalwani.comजैसलमेर । पालीवाल समाज के महान हस्ती श्री टीकाराम पालीवाल 3 मार्च 1952 को आजादी के बाद हुए पहले चुनाव में कांग्रेस दल के नेता चुने गए और इसी दिन मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। श्री पालीवाल 31 अक्टूबर 1952 तक इस पद पर बने रहे। विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सी. पी. जोशी ने शुक्रवार को विधानसभा में पूर्व मुख्यमंत्री स्व. श्री टीकाराम पालीवाल की पुण्यतिथि पर उनके चित्र पर पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि दी। राजस्थान के प्रथम निर्वाचित मुख्यमंत्री स्व. श्री टीकाराम पालीवाल की पुण्यतिथि पर सोमवार को पालीवाल समाज, पालीवाल वाणी समूह की ओर से भी श्रद्धांजलि अर्पित की गई। अखिल भारतीय पालीवाल समाज के सचिव श्री ऋषिदत्त पालीवाल ने बताया कि इस अवसर पर विधायक श्री रुपाराम धणदे द्वारा श्रद्धासुमन अर्पित किए गए। उन्होंने बताया कि स्व. श्री टीकाराम पालीवाल उप मुख्यमंत्री के साथ साथ राजस्व मंत्री भी रहे और राजस्थान में इनको भूमि सुधारों का जनक माना जाता है। पालीवाल द्वारा प्रशासनिक सुधार किए गए और प्रशासनिक सेवा औऱ न्यायिक सेवा वर्ग अलग से शुरू किया गया।
● पहला चुनाव और सीएम बने श्री टीकाराम पालीवाल
(कुमार ऋषभ की कलम से...) नई चीजों में चुनाव भी थे. देश में पहली बार चुनाव हुए. 1952 में. लोकसभा और विधानसभा के लिए. राजस्थान में जब इसके नतीजे आए तो मुख्यमंत्री श्री जयनारायण व्यास दोनों सीटों से हार गए। श्री व्यास को श्री शास्त्री के बाद राजस्थान का मुख्यमंत्री बनाया गया था। उन्हीं के नेतृत्व में कांग्रेस राज्य में पहले चुनाव में उतरी थी। चुनाव पहले की श्री व्यास कैबिनेट में श्री टीकाराम पालीवाल सिर्फ मंत्री भर नहीं थे। डिप्टी सीएम भी बनाए दिए गए थे। इसलिए जब सीएम साहब यानी श्री व्यास हारे तो उनके डिप्टी यानी श्री टीकाराम पालीवाल को सीएम बना दिया गया। वैसे भी इन चुनावों में टीका बीस साबित हुए थे। उनके पॉलिटिकल बॉस व्यास जहां दोनों सीटें हारे थे। वहीं श्री टीकाराम पालीवाल महवा (महुआ बोला जाता है) और मलारना चौर, दोनों जगहों से जीते थे। श्री टीकाराम पालीवाल सीएम बने। श्री जयनारायण व्यास के चेलों ने डे वन से उनका विरोध शुरू कर दिया। श्री व्यास भी बस उपचुनाव भर का इंतजार कर रहे थे। वे हुए, जिसमें श्री व्यास जीतकर विधायक बने और फिर सीएम भी। श्री जयनारायण व्यास ने एक बार फिर श्री टीकाराम पालीवाल को अपना डिप्टी बनाया। मगर इन आठ महीनों में बहुत कुछ बदल चुका था। श्री पालीवाल नए माहौल और श्री व्यास की नई कोटरी में सहज नहीं थे। उन्होंने इस्तीफा दे दिया। 1957 के विधानसभा चुनाव में श्री पालीवाल फिर विधायक बने, लेकिन अगले साल नेहरू ने उन्हें राज्यसभा के रास्ते केंद्र में बुला लिया। फिर जयपुर पॉलिटिक्स छूटने लगी 62 में वह हिंडोन से लोकसभा चुनाव जीते। इस लोकसभा का एक सियासी महत्व था, इसी के कार्यकाल में पहले श्री नेहरू गुजरे और फिर श्री शास्त्री. और इसी दौरान पहली बार कांग्रेस संसदीय दल के नेता के लिए चुनाव हुए। एक तरफ इंदिरा गांधी, दूसरी तरफ श्री मोरार जी. श्री पालीवाल मोरार जी खेमे में खड़े हुए। वही से राजनीति का सफर धीरे-धीरे समाप्ति की ओर आगे बढ़ता गया।
● पालीवाल वाणी ब्यूरो- Sunil Paliwal-Anil Bagora...✍️