दिल्ली
SC New Orders for Social Media : सोशल मीडिया पर अपमानजनक टिप्पणी करने वाले माफी मांगकर नहीं बच सकते : सुप्रीम कोर्ट
Paliwalwaniनई दिल्ली : देश की शीर्ष अदालत ने अहम टिप्पणी करके उन सभी लोगों को सबक सिखाया है जोकि सोशल मीडिया पर अभद्र व अपमानजनक टिप्पणी करते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा है कि ऐसी टिप्पणियां करने वाले माफी मांगकर नहीं बच सकते उन्हें अपने किए का नतीजा भुगतना ही होगा।
इसी के साथ न्यायालय ने यह टिप्पणी करते हुए तमिलनाडु के एक्टर और पूर्व विधायक एस वे शेखर (72 साल) के खिलाफ दर्ज मामले को रफा-दफा करने से इनकार कर दिया। उनके खिलाफ महिला पत्रकारों के लिए आपत्तिजनक टिप्पणी करने का मामला दर्ज किया गया है। वहीं, हेट स्पीच पर सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी की कि, हम इस बात पर ध्यान नहीं देंगे कि किस पक्ष ने क्या किया, हम नफरत फैलाने वाले भाषणों से कानून के मुताबिक निपटेंगे।
फैसले सुनाते हुए कोर्ट ने दिखाई सख्ती
न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति पी के मिश्रा की पीठ मद्रास उच्च न्यायालय के 14 जुलाई के आदेश के खिलाफ शेखर द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी। दरअसल, कोर्ट ने उनके द्वारा साझा की गई पोस्ट से संबंधित आपराधिक कार्यवाही को रद्द करने की मांग वाली उनकी याचिका खारिज कर दी थी।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ऐसे पोस्ट पर आरोपी को सजा मिलनी जरूरी है। ऐसे मामलों में सिर्फ माफी मांगने से काम नहीं चलेगा। ऐसे लोग आपराधिक कार्यवाही से नहीं बच सकते।
अनजाने में शेयर किया पोस्ट
पीठ ने याचिकाकर्ता का प्रतिनिधित्व कर रहे वकील से कहा, "अगर कोई सोशल मीडिया का उपयोग करता है, तो उसे इसके प्रभाव और पहुंच के बारे में अधिक सावधान रहना चाहिए। वकील ने तर्क दिया कि शेखर ने घटना की तारीख पर अपनी आंखों में कुछ दवा डाली थी, जिसके कारण वह अपने द्वारा साझा की गई पोस्ट को नहीं पढ़ सके और पोस्ट कर दिया।
पीठ ने कहा कि किसी को भी सोशल मीडिया का उपयोग करते समय सावधान रहना होगा। पीठ ने कहा कि अगर किसी को सोशल मीडिया का उपयोग करना आवश्यक लगता है, तो उसे परिणाम भुगतने के लिए भी तैयार रहना चाहिए।
मद्रास हाई कोर्ट ने खारिज की थी याचिका
अपने आदेश में, एचसी ने कहा था कि शेखर ने 19 अप्रैल, 2018 को "अपने फेसबुक अकाउंट पर एक अपमानजनक और अश्लील टिप्पणी पोस्ट की थी, जिसके बाद चेन्नई पुलिस आयुक्त के समक्ष एक शिकायत दर्ज की गई।" कोर्ट ने इस बात पर भी ध्यान दिया कि तमिलनाडु के विभिन्न हिस्सों में शेखर के खिलाफ अन्य निजी शिकायतें भी दर्ज की गई थीं।
पोस्ट डिलीट कर मांगी थी माफी
शेखर के वकील ने कहा था कि पोस्ट में शामिल अपमानजनक टिप्पणियों के बारे में पता चलने के बाद, शेखर ने उसी दिन कुछ घंटों के भीतर पोस्ट को हटा दिया और इसके बाद 20 अप्रैल, 2018 को एक पत्र लिखा, जिसमें उन्होंने बिना शर्त संबंधित महिला पत्रकार और मीडिया से माफी मांगी थी।
उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में बताया कि वकील ने कहा था कि मामले के लंबित रहने के दौरान, याचिकाकर्ता को माफी मांगते हुए एक हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया गया था, जो उसने किया।
महिला पत्रकारों की छवि खराब करने वाला पोस्ट
हाई कोर्ट ने कहा, "याचिकाकर्ता के फेसबुक अकाउंट से 19 अप्रैल, 2018 को शेयर किए गए पोस्ट को ध्यान से पढ़ने पर महिला पत्रकारों की छवि खराब होती है। यह अदालत याचिकाकर्ता द्वारा भेजे गए संदेश का अनुवाद करने में भी बहुत झिझक रही है, क्योंकि वह घृणित है। यह पोस्ट पूरे तमिलनाडु में प्रेस के खिलाफ बेहद अपमानजनक है।"
सोशल मीडिया ने सबकी जिंदगी पर कसा शिकंजा
इसमें आगे कहा गया था, "हम एक ऐसे युग में रहते हैं, जहां सोशल मीडिया ने दुनिया के हर व्यक्ति के जीवन पर कब्जा कर लिया है। सोशल मीडिया पर भेजा/फॉरवर्ड किया गया संदेश कुछ ही समय में दुनिया के कोने-कोने तक पहुंच सकता है।"
हाई कोर्ट ने कहा था कि याचिकाकर्ता को अपना पद देखते हुए, बयान देते समय या कोई पोस्ट शेयर करते समय अधिक जिम्मेदार होने की उम्मीद है। इसमें कहा गया था, ''सोशल मीडिया पर भेजा या शेयर किया गया पोस्ट एक तीर की तरह है, जिसे पहले ही धनुष से निकाला जा चुका है।