दिल्ली
ब्याज दरों में लगातार तीसरी बार कटौती की उम्मीद, कम हो सकती है EMI : बैंकों ने दरें घटानी शुरू की
paliwalwani
नई दिल्ली. भारतीय रिजर्व बैंक (reserve Bank of India) आगामी मौद्रिक नीति समिति(Monetary Policy Committee) की बैठक में लगातार तीसरी बार ब्याज दरों में कटौती कर आम लोगों को बड़ी राहत(Big relief) दे सकता है। विशेषज्ञों के मुताबिक, खुदरा महंगाई लगातार तीन माह से चार प्रतिशत के औसत लक्ष्य से नीचे बनी हुई है।
चार जून को अगली द्विमासिक मौद्रिक नीति पर विचार-विमर्श शुरू करेगी : इससे उम्मीद बनी है कि रेपो रेट में एक बार फिर 0.25 प्रतिशत की कटौती हो सकती है। अगर ऐसा होता है तो ब्याज दरों में इस साल अब तक .75 फीसदी की कटौती होगी। मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) चार जून को अगली द्विमासिक मौद्रिक नीति पर विचार-विमर्श शुरू करेगी और छह जून (शुक्रवार) को फैसले की घोषणा करेगी। आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा की अध्यक्षता वाली छह सदस्यीय एमपीसी ने भी अपनी अप्रैल की नीति में रुख को ‘तटस्थ’ से बदलकर ‘उदार’ करने का फैसला लिया था, इससे भी कटौती की उम्मीदें बढ़ गई हैं।
खुदरा महंगाई के आंकड़े जरूरी : गौरतलब है कि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित खुदरा मुद्रास्फीति के आंकड़ों के आधार पर आरबीआई रेपो दर में कटौती अथवा बढ़ोतरी का फैसला लेता है। सरकार ने आरबीआई को मुद्रास्फीति दो प्रतिशत घट-बढ़ के साथ चार प्रतिशत पर बनाए रखने का दायित्व सौंपा है। अप्रैल में खुदरा मुद्रास्फीति घटकर छह साल के निचले स्तर 3.16 प्रतिशत पर आ गई, जो आरबीआई के संतोषजनक दायरे में है। इस कमी के सबसे बड़ा कारण खाद्य पदार्थों की कीमतों में गिरावट है।
बैंकों ने दरें घटानी शुरू की : इससे पहले आरबीआई फरवरी और अप्रैल की समीक्षा बैठक में दो किस्तों में प्रमुख ब्याज दर (रेपो रेट) में 0.50 प्रतिशत की कटौती कर चुका है, जिससे यह छह प्रतिशत पर आ गई है। इसके बाद अधिकांश बैंकों ने अपनी रेपो से संबद्ध बाहरी बेंचमार्क आधारित उधार दरों (ईबीएलआर) और कोष-आधारित उधार दर की सीमांत लागत (एमसीएलआर) को कम कर दिया है।
क्या कहते हैं विशेषज्ञ : रेटिंग एजेंसी इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि चालू वित्त वर्ष के बड़े हिस्से के लिए खुदरा मुद्रास्फीति के चार प्रतिशत तक रहने के अनुमान के साथ, एमपीसी द्वारा मौद्रिक ढील जारी रहने की संभावना है। उन्होंने कहा कि अगले सप्ताह 0.25 प्रतिशत की दर में कटौती की उम्मीद है। इसके बाद दो नीति समीक्षाओं में दो और कटौती की जाएगी, जिससे चक्र के अंत तक रेपो दर 5.25 प्रतिशत हो जाएगी।