उत्तर प्रदेश
वृंदावन कृष्ण भूमि योगेश्वर कृष्ण कर्म स्थली पर स्वामी वेदमूर्ति सरस्वती के श्रीमुख से श्रीमद् भागवत कथा संपन्न
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पालीवाल वाणी ब्यूरों : अनिल बागोरा-कैलाश दवे
वृंदावन. (paliwalwani.com) वृंदावन कृष्ण भूमि योगेश्वर कृष्ण कर्म स्थली पर बगलामुखी पीठाधीश्वर महा मंडलेश्वर स्वामी वेदमूर्ति सरस्वती जी महाराज के श्रीमुख से श्रीमद् भागवत कथा दिनांक 16 जून से 22 जून 2025 तक सात दिवसीय कथा का श्रवण बहुत ही सफल और भव्य आयोजन के लिए श्री बाबुलाल जी बागोरा (ग्राम. ढेलाणा) एवं श्री संजय जी जोशी (ग्राम. नारायणगढ) को हार्दिक बधाई.
पीठाधीश्वर महा मंडलेश्वर स्वामी वेदमूर्ति सरस्वती जी महाराज श्रीमद्भागवत ने श्रीमुख से बताया कि भक्तिरस तथा अध्यात्मज्ञान का समन्वय उपस्थित करता है. भागवत निगमकल्पतरु का स्वयंफल माना जाता है, जिसे नैष्ठिक ब्रह्मचारी तथा ब्रह्मज्ञानी महर्षि शुक ने अपनी मधुर वाणी से संयुक्त कर अमृतमय बना डाला है.
वंन्दन आपकी भगवान के प्रति श्रद्धा, भक्ति और समर्पण के भाव सप्तम दिवस के इस महापर्व को अविस्मरणीय बना दिया. आपके स्नेह ने हमें भी इस पावन पर्व में शामिल होने का अवसर दिया. उसके लिए हृदय से आपका आभार. आपके पूरे परिवार का समर्पण, गहन योजना, आथित्य भक्ति, यह वास्तव में सराहनीय हैं.
पालीवाल ब्राह्मण समाज 44 श्रेणी के सुप्रसिद्व समासजेवी श्री संजय जी जोशी (ग्राम. नारायणगढ) एवं श्री बाबूलाल जी पालीवाल (ग्राम. ढेलाणा) के परिवार के पुण्य पितृ पितामह स्मरण पूर्वजों की मुक्ति अपने पुरखों के प्रति यह समर्पण भावना, यह लगाव आपके जो भी संकल्प हो, वह भगीरथ जैसे पूर्ण हो ऐसी मनोभावना करता हूँ. आस्था और प्रेम की निर्मल धारा मोक्ष दायिनी माँ गंगा के पृथ्वी पर अवतरण भगीरथ ने पूर्व जो कि मुक्ति अपने पुरखों के प्रति समर्पण दृढ़ संकल्प भगीरथ ने प्रयास कभी नहीं छोड़ा.
भागवत कथा हम सबका कल्याण और उनका आशीर्वाद सभी को प्राप्त होता रहे, निमित्त मात्र कर्म योग, ज्ञान योग, भक्ति योग की त्रिवेणी हैं. श्रेष्ठ कर्मों द्वारा इस जीवन को अद्भुत, अलौकिक, आनन्दमय भक्तिमय बनाती हैं.
बता दे : महामंडलेश्वर स्वामी वेदमूर्तिनंद सरस्वती जी हिंदू धर्म के एक प्रतिष्ठित संन्यासी और महान विद्वान हैं. वे भारत में प्राचीन सनातन धर्म और वेदों के गहन विद्वान हैं और समाज में धर्म, आध्यात्म और संस्कृति के प्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं.
वे धार्मिक शिक्षाओं के माध्यम से समाज को दिशा देने का काम करते हैं और मानवता के कल्याण के लिए निरंतर काम कर रहे हैं. उनके द्वारा दिए गए प्रवचन वेदों, उपनिषदों, गीता और अन्य हिंदू धर्मग्रंथों की व्याख्या करते हैं, जिसमें वे सत्य, धर्म, न्याय और मानवता के मार्ग पर चलने का उपदेश देते हैं.
श्लोक में श्रीकृष्ण-प्रेम की सुगन्धि
भागवत पुराण हिन्दुओं के अट्ठारह पुराणों में से एक है. इसे श्रीमद्भागवतम् या केवल भागवतम् भी कहते हैं. इसका मुख्य वर्ण्य विषय भक्ति योग है, जिसमें कृष्ण को सभी देवों का देव या स्वयं भगवान के रूप में चित्रित किया गया है. इसके अतिरिक्त इस पुराण में रस भाव की भक्ति का निरुपण भी किया गया है. परंपरागत तौर पर इस पुराण के रचयिता वेद व्यास को माना जाता है.
श्रीमद्भागवत भारतीय वाङ्मय का मुकुटमणि है. भगवान शुकदेव द्वारा महाराज परीक्षित को सुनाया गया, भक्तिमार्ग तो मानो सोपान ही है. इसके प्रत्येक श्लोक में श्रीकृष्ण-प्रेम की सुगन्धि है. इसमें साधन-ज्ञान, सिद्धज्ञान, साधन-भक्ति, सिद्धा-भक्ति, मर्यादा-मार्ग, अनुग्रह-मार्ग, द्वैत, अद्वैत समन्वय के साथ प्रेरणादायी विविध उपाख्यानों का अद्भुत संग्रह है.
श्रीमद्भागवत भक्तिरस तथा अध्यात्मज्ञान का समन्वय उपस्थित करता है. भागवत निगमकल्पतरु का स्वयंफल माना जाता है, जिसे नैष्ठिक ब्रह्मचारी तथा ब्रह्मज्ञानी महर्षि शुक ने अपनी मधुर वाणी से संयुक्त कर अमृतमय बना डाला है. स्वयं भागवत में कहा गया है-
सर्ववेदान्तसारं हि श्रीभागवतमिष्यते।
तद्रसामृततृप्तस्य नान्यत्र स्याद्रतिः क्वचित्॥
श्रीमद्भाग्वतम् सर्व वेदान्त का सार है, उस रसामृत के पान से जो तृप्त हो गया है, उसे किसी अन्य जगह पर कोई रति नहीं हो सकती. अर्थात उसे किसी अन्य वस्तु में आनन्द नहीं आ सकता. भागवत विद्वत्ता की कसौटी है और इसी कारण टीकासंपत्ति की दृष्टि से भी यह अतुलनीय है.
- भागवत कथा 7 दिन की ही क्यों होती है? : श्रीमद् भागवत महापुराण को ब्रह्मा जी ने नारद जी को सुनाया अब मैं तुम्हें सुनाता हूं इस प्रकार से शुकदेव जी ने महाराज परीक्षित को 7 दिन में भागवत महापुराण की कथा सुनायी और 7 दिन के पश्चात महाराज परीक्षित को मोक्ष की प्राप्ति हुई, इसीलिए श्रीमद्भागवत कथा 7 दिन की जाती की है.
निष्कर्ष : धार्मिक मान्यताओं के अलावा, 7 दिन की कथा सुनने से व्यक्ति को आध्यात्मिक ज्ञान, शांति और जीवन में सकारात्मक बदलाव प्राप्त होता है.