दिल्ली
Jain wani : धर्म की राजधानी में प्रधानमंत्री को मिला ‘धर्म चक्रवर्ती’ सम्मान
रविंद्र आर्य
जैन संत विद्यानंद महाराज की शताब्दी पर वैश्विक नेतृत्व को मिला आध्यात्मिक आशीर्वाद
नई दिल्ली.
भारत की आध्यात्मिक परंपरा और सांस्कृतिक चेतना को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर प्रतिष्ठित करने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को 28 जून 2025 को नई दिल्ली के विज्ञान भवन में ‘धर्म चक्रवर्ती’ की गरिमामयी उपाधि से अलंकृत किया गया।
यह सम्मान उन्हें जैन संत आचार्य श्री 108 प्रज्ञसागर महाराज द्वारा आचार्य श्री 108 विद्यानंद महाराज की जन्म शताब्दी समारोह के पावन अवसर पर प्रदान किया गया। यह आयोजन केवल एक धार्मिक या आध्यात्मिक समागम नहीं था, बल्कि यह भारत के सांस्कृतिक वैभव, वैचारिक विरासत और सामाजिक नैतिकता के गौरव का प्रतीक बन गया।
राष्ट्रीय जैन महासंघ के प्रतिनिधिगण एवं संघाध्यक्ष भारत भर से आए गणमान्य जैन मुनिगण, साध्वीगण, तपस्वीगण और श्रद्धालु जनसमूह विभिन्न राज्यों के राजनेता, सांसद, जैन समाज के सामाजिक प्रतिनिधि, शिक्षाविद व बुद्धिजीवी धर्म चक्रवर्ती का आशय और महत्व धर्म चक्रवर्ती’ वह होता है जो धर्म के चक्र को न केवल धारण करता है बल्कि उसे समाज में गतिशील भी करता है। यह उपाधि केवल उन्हीं को दी जाती है जो धर्म, सत्य, अहिंसा, सेवा, और समाज के कल्याण के पथ पर निष्ठा से अग्रसर रहते हैं।
प्रधानमंत्री मोदी को यह सम्मान उनकी भारत-centric वैश्विक नीति, धार्मिक सहिष्णुता, पर्यावरण संरक्षण, और लोककल्याण के सतत प्रयासों के कारण दिया गया।
प्रधानमंत्री मोदी का भावपूर्ण संबोधन
- सम्मान स्वीकार करते हुए पीएम मोदी ने कहा : “मैं इस उपाधि को अपने योग्य नहीं मानता, लेकिन संतों द्वारा दिए गए इस प्रसाद को विनम्रता से स्वीकार करता हूँ। यह सम्मान मेरे लिए नहीं, माँ भारती के लिए है। यह हमारी संस्कृति, दर्शन और सनातन मूल्यों की स्वीकृति है।”
उन्होंने आचार्य विद्यानंद महाराज को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि उनका जीवन तप, ज्ञान और करुणा की त्रिवेणी था जैन संतों ने मोदी को “धर्म और राष्ट्र का रक्षक” कहा और संत परंपरा के सच्चे सहयोगी के रूप में सम्मानित किया।
भारत की आत्मा का सम्मान
यह उपाधि केवल किसी राजनेता को नहीं, बल्कि उस राष्ट्रनायक को दी गई है जिसने भारत की अदृश्य धरोहर – धर्म, सत्य और करुणा को जीवित रखा और उसे युगों के पार पहुँचाया। “धर्म चक्रवर्ती” की उपाधि आज उस हस्ती को मिली है जो भारत को विकास के साथ-साथ आध्यात्मिक नेतृत्व की ओर भी अग्रसर कर रही है।
धर्म चक्रवर्ती’ की उपाधि केवल एक व्यक्तिगत सम्मान नहीं, बल्कि यह भारत की उन चिरंतन परंपराओं का अंतरराष्ट्रीय स्वीकृति है जो सत्य, अहिंसा और करुणा पर आधारित हैं। प्रधानमंत्री मोदी को यह सम्मान उस भारतवर्ष के प्रतीक रूप में मिला है, जो धर्मनिरपेक्षता नहीं, धर्मप्रधानता के विचार को व्यवहार में लाने की ओर अग्रसर है।
यह सम्मान भारतीय सभ्यता के उस अटल विश्वास को पुनः जाग्रत करता है कि धर्म केवल पूजा पद्धति नहीं, बल्कि जीवन की समग्र व्यवस्था है – और जब तक धर्म की धुरी घूमती रहेगी, भारत की आत्मा अमर रहेगी।
रिपोर्टर : रविंद्र आर्य
नई दिल्ली, विज्ञान भवन