अपराध

आरी से ड्राइवर के टुकड़े कर बाथरूम में गलाने वाले डॉक्टर को उम्रकैद की सजा

Pushplata
आरी से ड्राइवर के टुकड़े कर बाथरूम में गलाने वाले डॉक्टर को उम्रकैद की सजा
आरी से ड्राइवर के टुकड़े कर बाथरूम में गलाने वाले डॉक्टर को उम्रकैद की सजा

एमपी नर्मदापुरम (Narmadapurm Doctor Sunil Mantri) जिले में एक डॉक्टर ने अपने ड्राइवर के साथ बेरहमी की थी। ड्राइवर के शव को टुकड़े-टुकड़े कर गला दिए थे। ड्राइवर डॉक्टर को ब्लैकमेल कर रहा था। इससे परेशान होकर डॉक्टर ने यह कदम उठाया था। इस मामले में कोर्ट का फैसला आ गया है। कोर्ट ने डॉक्टर को उम्रकैद की सजा सुनाई है। साथ ही उनके ऊपर 15 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया है। कोर्ट ने इस घटना को निर्मम और जघन्य माना है। कोर्ट ने कहा कि आरोपी को डॉक्टर को इसलिए फांसी की सजा नहीं सुनाई जा सकती क्योंकि इनका कोई आपराधिक रेकॉर्ड नहीं है। साथ ही जेल में भी इनका व्यवहार ठीक था।

दरअसल, नर्मदापुरम में डॉ सुनील मंत्री ने 2019 में अपने ड्राइवर की हत्या कर दी थी। ड्राइवर का नाम वीरू पचौरी था। हत्या से पहले उसे नींद की सुई दी गई थी। वह बेहोश हो गया तो उसे बाथरूम में घसीट कर ले जाया गया। गल रेतकर उसकी हत्या कर दी गई। इसके बाद शरीर के छोटे-छोटे टुकड़े किए। इसके बाद बाथरूम में एसिड रखा गया। एसिड में डालकर उसके शव गलाया जाने लगा। दुर्गंध आने पर पड़ोसियों ने डॉक्टर के खिलाफ शिकायत की। पुलिस जब वहां पहुंची तो ड्राइवर की हत्या का खुलासा हुआ। इस पूरे मामले में 25 लोगों की गवाही हुई है।

बताया जाता है कि डॉक्टर को ड्राइवर ब्लैकमेल कर रहा था। साथ ही उनसे मोटी रकम की वसूली भी की थी। इसी से अजीज आकर डॉ सुनील मंत्री ने ड्राइवर की हत्या थी। सुनील मंत्री अभी भोपाल जेल में बंद हैं। पेशी के लिए वह नर्मदापुरम पहुंचे थे। इनके घर के बाथरूम से जब शव मिला था तो मृतक के पिता ने कटा सिर देखकर पहचान की थी। बाथरूम के अंदर एक ड्रम रखकर उसमें शव को डाल दिया था।

हालांकि मामला सामने आने के बाद मृतक की पत्नी ने उस समय अलग बयान दिया था। पत्नी ने कहा था कि जिस दिन घटना घटी थी, उस दिन डॉक्टर हमारे घर में थे। हालांकि यह साफ नहीं हुआ कि उस डॉक्टर क्यों मृतक के घर गए थे। साथ ही यह भी सवाल उठता रहा है कि क्या पत्नी को अपने पति की हत्या के बारे में पहले से जानकारी थी।

वारदात निर्मम है

वहीं, कोर्ट ने कहा कि यह वारदात जरूर जघन्य और निर्मम हैं। उस समय की परिस्थिति मृत्युदंड के लिए पर्याप्त नहीं है। डॉक्टर ने अच्छे काम भी किए हैं। साथ ही उनका कोई पुराना आपराधिक रेकॉर्ड नहीं था। समाज के लिए वह खतरा हैं, ऐसा प्रतीत नहीं होता है। उसने परिस्थितिवश घटना को अंजाम दिया।

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