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श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर्व आज
Paliwalwaniटोंक :
भगवान श्री कृष्ण का जन्म भविष्य पुराण अनुसार भाद्रपद कृष्ण अष्टमी बुधवार रोहिणी नक्षत्र वृष के चन्द्रमा में अर्द्ध रात्रि को हुआ था, जिसके अनुसार श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर्व के समय भाद्रपद मास कृष्ण पक्ष अर्द्ध रात्रि का समय अष्टमी तिथि रोहिणी नक्षत्र वृष राशि का चन्द्रमा बुधवार का संयोग मिल जाए तो उसमें श्री कृष्ण की पुजा अर्चना करने पर तीन लोकों में मुक्ति मिलती है।
मनु ज्योतिष एवं वास्तु शोध संस्थान टोंक के निदेशक महर्षि बाबूलाल शास्त्री ने बताया कि इस वर्ष 6 सितम्बर बुधवार को भाद्रपद कृष्ण पक्ष सप्तमी दोपहर 3.38 बजे बाद से अष्टमी का शुभारंभ है एवं रोहिणी नक्षत्र सुबह 9.19 बजे से शुभारंभ है, जो 7 सितम्बर गुरुवार को दिन मे अष्टमी 4.14 बजे तक एवं रोहिणी नक्षत्र सुबह 10.34 बजे तक है।
श्री कृष्ण जन्मोत्सव रोहिणी नक्षत्र के योग से युक्त हो तो जयंती कहलाती है, किन्तु पद्म पुराण में कहा है कि जिस प्रकार मधु से युक्त पच्च गव्य त्याज्य है, उसी प्रकार सप्तमी से विद्वा अष्टमी चाहे वह रोहिणी युक्त क्यों न हो त्याज्य है, रोहिणी नक्षत्र बुधवार से युक्त अष्टमी हो तो सप्तमी विद्वा होने पर गंगा जल में मंदिरा की एक बुंद गिरने पर त्याज्य है। पद्म पुराण के अनुसार जो भी नवमीयुक्त जन्म अष्टमी का व्रत उपवास करता है, वह प्रेत योनि को प्राप्त हुए अपने पितरों को भी प्रेत योनि से मुक्त करता है।
महर्षि बाबूलाल शास्त्री ने बताया कि भगवान श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर्व 5251 वां जन्मोत्सव 7 सितंबर गुरुवार को रात 11 बजकर 57 मिनट से 12 बजकर 42 मिनट के बीच मनाया जाकर व्रत उपवास पूजा-अर्चना की जाएगी। व्रत का पारण 8 सितंबर को सुबह किया जाएगा, गृहस्थ, स्मार्त एवं वैष्णव संप्रदाय के लोग अलग-अलग दिन कृष्ण जन्माष्टमी मनाते हैं, ऐसे में 7 सितंबर गुरुवार को गृहस्थ स्मार्त व वैष्णव संप्रदाय वाले लोग कान्हा का जन्मोत्सव मनायेंगे।
निवेदक-: महर्षि बाबूलाल शास्त्री टोंक