उत्तर प्रदेश

श्रीकृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह विवाद में सभी केस इलाहाबाद हाईकोर्ट को ट्रांसफर

Paliwalwani
श्रीकृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह विवाद में सभी केस इलाहाबाद हाईकोर्ट को ट्रांसफर
श्रीकृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह विवाद में सभी केस इलाहाबाद हाईकोर्ट को ट्रांसफर

प्रयागराज :

मथुरा के श्रीकृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह मस्जिद विवाद को लेकर सभी केस की सुनवाई अब इलाहाबाद हाईकोर्ट में होगी. अदालत ने सभी लंबित मुकदमों को ट्रांसफर करने की मांग को लेकर दाखिल याचिका मंजूर कर ली है. कोर्ट ने आदेश दिया कि अब सभी मुकदमों की सुनवाई हाईकोर्ट में होगी. जिला जज से सारे केसों की लिस्ट भी मांगी है.

श्रीकृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह मस्जिद विवाद को लेकर कुल 13 केस चल रहे हैं. यह आदेश जस्टिस अरविंद कुमार मिश्रा की सिंगल बेंच ने दिया है. इसी याचिका पर 3 मई 2023 को भी हाईकोर्ट में सुनवाई हुई थी. उस समय कोर्ट ने याचिका की मंजूरी पर फैसला सुरक्षित रख लिया था.

इस केस की सुनवाई में प्रतिवादी पक्षकारों यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड, प्रबंधन ट्रस्ट की समिति, शाही मस्जिद, मथुरा, श्रीकृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट, और श्री कृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान ने अपना जवाब दाखिल किया था.

वरिष्ठ अधिवक्ता हरि शंकर जैन, एडवोकेट विष्णु शंकर जैन, प्रभाष पांडे और प्रदीप कुमार शर्मा के माध्यम से दायर ट्रांसफर याचिका में कहा गया था कि मामले में शामिल मुद्दे भगवान कृष्ण के करोड़ों भक्तों से संबंधित हैं. यह मामला राष्ट्रीय महत्व का है. इसलिए सभी मामलों को एक अदालत में ही ट्रायल के लिए ट्रांसफर किया जाए.

जस्टिस अरविंद कुमार मिश्रा ने कटरा केशव देव खेवट मथुरा के भगवान श्री कृष्ण विराजमान के मित्र रंजना अग्निहोत्री और सात अन्य द्वारा दायर ट्रांसफर याचिका को स्वीकार करते हुए यह आदेश पारित किया. अदालत ने निर्देश दिया, “मथुरा के जिला न्यायाधीश इस तरह के सभी मामलों की एक सूची तैयार करें और इन मुकदमों या मामलों के रिकॉर्ड के साथ इसे दो सप्ताह के भीतर इस अदालत को स्थानांतरित करें. यह स्थानांतरण इस अदालत के स्वतः संज्ञान के अधिकार के तहत स्थानांतरित माना जाएगा.

अदालत ने कहा, “माननीय मुख्य न्यायाधीश से इस तरह के मुकदमों पर सुनवाई और निस्तारण के लिए एक उचित पीठ नामित करने का अनुरोध किया जाता है.” याचिकाकर्ताओं ने अनुरोध किया था कि अयोध्या के मामले की तरह मूल वाद पर स्वयं उच्च न्यायालय द्वारा सुनवाई की जानी आवश्यक है. संबंद्ध पक्षों को सुनने के बाद अदालत ने तीन मई, 2023 को अपना निर्णय सुरक्षित रख लिया था जो शुक्रवार को सुनाया गया.

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