उत्तर प्रदेश

Darul Uloom Deoband: अंग्रेजी पढ़ी तो खैर नहीं!, यूपी के देवबंद स्थित दारुल उलूम देवबंद का अपने छात्रों को फरमान

Paliwalwani
Darul Uloom Deoband: अंग्रेजी पढ़ी तो खैर नहीं!, यूपी के देवबंद स्थित दारुल उलूम देवबंद का अपने छात्रों को फरमान
Darul Uloom Deoband: अंग्रेजी पढ़ी तो खैर नहीं!, यूपी के देवबंद स्थित दारुल उलूम देवबंद का अपने छात्रों को फरमान

यूपी के देवबंद स्थित दारुल उलूम ने अपने छात्रों को अन्य शिक्षण संस्थानों में पढ़ाए जाने वाले अंग्रेजी जैसे पाठ्यक्रम पढ़ने पर प्रतिबंध लगा दिया है। दारुल उलूम की तरफ से जानकारी दी गई है कि उनकी तरफ से यह प्रतिबंध इसलिए लगाया है क्योंकि जब छात्र कोचिंग सेंटर्स में दूसरा कोर्स करते हैं तो मदरसा में उनकी शिक्षा प्रभावित होती है। दारुल उलूम की तरफ से यह भी कहा गया कि उनके पास खुद का अंग्रेजी विभाग है।

दारुल उलूम देवबंद के शिक्षा विभाग की तरफ से जारी किए गए एक आदेश में विशेष रूप से अंग्रेजी का जिक्र किया गया है। उर्दू में जारी किए गए नोटिस में कहा गया, “छात्रों को सूचित किया जाता है कि दारुल उलूम देवबंद में शिक्षा के दौरान किसी अन्य पाठ्यक्रम (अंग्रेजी आदि) की अनुमति नहीं दी जाएगी।”

नोटिस में आगे कहा गया है कि अगर छात्र ऐसा करते पाए जाते हैं तो उन्हें शिक्षण संस्थान से निकाल दिया जाएगा। आदेश में छात्रों को चेतावनी देते हुए यह भी कहा गया कि कक्षाओं के दौरान वे अपने कमरों से बाहर न निकलें। प्रशासन कक्षाओं के दौरान कमरों की जांच करेगा।

मामले पर दारुल उलूम देवबंद के मौलाना अब्दुल कासिम नोमानी ने कहा कि कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में उनके शिक्षण के ऑर्डर को गलत तरीके से ट्विस्ट किया गया है। उन्होंने न्यूज एजेंसी PTI से कहा कि कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में बताया जा रहा है कि दारुल उलूम देवबंद में अंग्रेजी की पढ़ाई पर रोक लगा दी गई है, जो सही नहीं है। दारुल उलूम में अंग्रेजी का एक अलग विभाग है, जहां छात्रों को पढ़ाया जाता है।

उन्होंने कहा कि यह प्रतिबंध केवल उन छात्रों के लिए है जो दारुल उलूम देवबंद में एडमिशन लेते हैं, लेकिन यहां पढ़ने के बजाय अंग्रेजी या अन्य विषयों की पढ़ाई के लिए शहर के कोचिंग सेंटरों का रुख करते हैं। उन्होंने आगे कहा कि इस वजह से यहां पर छात्रों की शिक्षा प्रभावित होती है। मौलाना अब्दुल कासिम नोमानी ने बताया कि यह बैन उन छात्रों पर भी लागू होता है, जो चाय के स्टॉल जैसे व्यापार करते हैं।

जमीयत उलेमा-ए-हिंद के नेता और दारुल उलूम के प्रमुख मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि उनकी संस्था अंग्रेजी और कंप्यूटर की आधुनिक शिक्षा का विरोध नहीं करती है। उनके यहां इनके लिए अलग-अलग विभाग हैं। मदनी ने PTI से कहा कि अक्सर देखा गया है कि दारुल उलूम देवबंद में दाखिला लेने के बाद छात्र कोचिंग के लिए बाहर चले जाते हैं, जो कि गलत है। इसलिए यह प्रतिबंध लगाया गया है।

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