उज्जैन
railway employee : ट्रेन में बम होने की अफवाह फैलाते थे रेलवे के ही कर्मचारी
Paliwalwaniउज्जैन : उज्जैन में ट्रेन में बम (bomb) होने की सूचना के मामले में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। पुलिस की जांच में सामने आया है कि रेलवे कर्मचारी (railway employee) ही ट्रेन में बम होने की अफवाह फैलाते थे। फिलहाल पुलिस ने दोनों आरोपियों को हिरासत में ले लिया है। पुलिस की पूछताछ में इनके यह अफवाह फैलाने की दिलचस्प वजह सामने आई है।
पुलिस के मुताबिक इन दोनों ने ट्रेन में बम होने की अफवाह इसलिए फैलाई थी, ताकि ट्रेन लेट हो जाए और दोनों परिवार के साथ अतिरिक्त समय बिता सकें। गिरफ्तार किए गए आरोपियों के नाम मिलन पिता संतलाल रजक निवासी शांताक्रूज मुंबई और प्रमोद पिता विनोद माली निवासी वेस्ट शिवाजी नगर बताये जा रहे हैं। मिलन रजक की उम्र 44 वर्ष है, वहीं उसके साथी प्रमोद की उम्र 24 साल है। जीआरपी इंदौर ने उज्जैन में गोरखपुर-बांद्रा ट्रेन में से पहले विनोद माली को गिरफ्तार किया जिसने बताया कि मिलन रजक ही ट्वीट करता है।
पुलिस के मुताबिक मुंबई निवासी मिलन और प्रमोद प्रायवेट कंपनी के ठेके पर रेलवे में सफाईकर्मी का काम करते हैं। एक ट्रेन से दूसरी ट्रेन में सफाई के काम के चलते घर पर समय नहीं दे पाते। दोनों ने पहले 12 मई को ट्विटर के जरिए ट्रेन में बम होने की झूठी सूचना दी। जब लोकल पुलिस और रेलवे पुलिस द्वारा संबंधित ट्रेनों की जांच की गई तो सूचना सिर्फ अफवाह निकली थी। इसके बाद से पुलिस उस अकाउंट को ट्रैस कर रही थी, जिससे यह ट्वीट किया गया था।
रेलवे एसपी निवेदिता गुप्ता ने बताया कि दोनों आरोपियों ने 12 मई को रतलाम में और 18 मई को उज्जैन और बड़ौदा में भी ट्रेन में बम होने की अफवाह फैलाई थी। दोनों सफाईकर्मी हैं और काम के चलते अपनी फैमिली को टाइम नहीं दे पाते थे। इस वजह से दोनों ने ट्रेन लेट करने का प्लान बनाया। उनकी मंशा थी कि इस अफवाह के चलते अंतिम स्टेशन पर ट्रेन देरी से पहुंचेगी तो उन्हें घर के लिए कुछ समय मिल जाएगा। रेलवे एसपी के मुताबिक दोनों ने 18 मई को हमसफर एक्सप्रेस ट्रेन में बम होने की फेक सूचना सिर्फ इसलिए दी थी क्योंकि मुम्बई पहुंचने के 20 मिनट बाद ही दोनों को पश्चिम एक्सप्रेस में काम पर जुट जाना था। इसके चलते दोनों घर नहीं जा सकते थे। दोनों ने सोचा कि अगर ट्रेन 20 मिनट लेट हो जाएगी तो पश्चिम एक्स्प्रेस बांद्रा से निकल जाएगी। शाम तक अगली गाड़ी के आने तक वह परिवार के साथ समय बिता सकते थे। अब दोनों ही आरोपियों पर आईपीसी, सायबर क्राइम और रेल अधिनियम के तहत प्रकरण दर्ज किया है।