धर्मशास्त्र
बाबा बैद्यनाथ का पीतल के घंटो वाला अद्धभुत चमत्कारी धाम
Vivek Jain
● महर्षि वाल्मीकि और भगवान परशुराम के समकालीन माना जाता है पाबला बेगमाबाद में स्थित बाबा बैद्यनाथ के शिवलिंग को
● दिव्य शक्तियों से सम्पन्न शिवलिंग होने का प्रमाण यहां पर चढ़ने वाले सैंकड़ो पीतल के घंटो की संख्या से लगा सकते है
बागपत. (विवेक जैन...) धार्मिक दृष्टि से उत्तर प्रदेश के जनपद बागपत की भूमि हमेशा से ही ऋषियों, मुनियों, साधु-संतो की पहली पसंद रही है. महर्षि वाल्मीकि से लेकर भगवान परशुराम जी तक ने बागपत की इस धरती पर आश्रम बनाकर ध्यान लगाया है और पूजा-अर्चना की है. जगत जननी माता सीता जी तक को शरण देने वाली बागपत की इस पुण्य धरती पर अनेकों चमत्कारी शिवलिंगों की स्थापना समय-समय पर ऋषियों-महर्षियों द्वारा विभिन्न प्रकार की पूजाओं की दृष्टि से की गयी. इन्हीं चमत्कारी शिवलिंगों में से बागपत के पाबला बेगमाबाद में स्थित बाबा बैद्यनाथ का शिवलिंग भी है. बताया जाता है कि 1100 से अधिक वर्ष पहले जिस समय पाबला गांव बसा था, उस समय एक गाय रोज एक निश्चित स्थान पर आकर खड़ी हो जाती थी और उसके थनों से चमत्कारिक रूप से स्वतं ही दूध गिरना शुरू हो जाता था. गांव के लोगों ने जब उस स्थान की सफाई करवायी तो सभी आश्चर्य चकित रह गये. उस स्थान पर सफाई कराने के बाद एक शिवलिंग मिला. लोगों ने शिवलिंग की पूजा करनी शुरू कर दी. शिवलिंग ने अपनी शरण में पवित्र मन से आये किसी भी भक्त को निराश नही किया और पूजा करने वाले भक्तों की मनोकामना पूर्ण होने लगी. वर्तमान में इस स्थान ने विशाल मन्दिर का रूप ले लिया है. जिन लोगों की मनोकामना पूर्ण होती है वह बाबा बैद्यनाथ के चरणों में पीतल के बने घंटे चढ़ाते है. पूरा मन्दिर सैंकड़ो पीतल के घंटो से भरा हुआ है. बाबा को चढ़ाये गये 101 किलो के पीतल के घंटो से लेकर 101 किलो के पीतल से बने त्रिशुल तक मन्दिर में देखे जा सकते है. पीतल के घंटो की बढ़ती संख्या प्रमाणित करती है, बाबा बैद्यनाथ का शिवलिंग दिव्य शक्तियों से संपन्न शिवलिंग है. वर्तमान में गजानंद गिरी जी महाराज मन्दिर की देख-रेख करते है. गजानंद गिरी जी महाराज देश के प्रसिद्ध जूना अखाड़े से जुड़े हुए हैं.