रतलाम/जावरा

स्विमिंग पूल में नहाते समय 9 वर्षीय मासूम बालक की डूबने से मौत

जगदीश राठौर
स्विमिंग पूल में नहाते समय 9 वर्षीय मासूम बालक की डूबने से मौत
स्विमिंग पूल में नहाते समय 9 वर्षीय मासूम बालक की डूबने से मौत

रतलाम : (जगदीश राठौर...) शहर के स्विमिंग पूल को शुरू हुए कुछ महीने ही बीते थे कि एक मासूम मयंक बैरागी को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा. मामले में मयंक बैरागी के परिजनों ने निगम कर्मचारियों पर लापरवाही के गंभीर आरोप लगाते हुए निगम अधिकारियों पर प्रकरण दर्ज कराने की मांग करते हुए शव को लेने से साफ इंकार कर दिया.

शहर के शास्त्री नगर स्थित निगम के तरणताल में नहाने के दौरान एक 9 वर्षीय बालक की मौत हो गई. बालक के डूबने की खबर से शहर में हड़कंप मच गया. सूचना मिलने पर पुलिस मौके पर पहुंची. पुलिस ने घटनास्थल को सील करते हुए घटना के कारणों की पड़ताल आरंभ की.

इधर मृतक बालक के परिजनों ने निगम अधिकारियो पर मामला दर्ज करने की मांग को लेकर शव लेने से इंकार कर दिया था. शहर के काटजू नगर स्थित शिव मंदिर के पुजारी सुनील बैरागी बेटे मयंक बैरागी को लेकर शाम करीब पांच बजे स्वीमिंग पुल गए थे. वहां नहाते समय मयंक बैरागी पुल में डूब गया. पिता के शोर मचाने पर लाइफ गार्ड राजेश ने उसे बाहर निकाला. उसके पेट से पानी निकालने का प्रयास कर प्रारंभिक उपचार किया गया,लेकिन मयंक बैरागी की जान नहीं बची.

पिता मयंक बैरागी को कंधे पर लादकर करीब 500 सौ मीटर दूर जिला अस्पताल पहुंचे, जहां डाक्टर ने परीक्षण कर मयंक को मृत घोषित किया. सूचना मिलने पर स्टेशन रोड थाना प्रभारी किशोर पाटनवाला, नगर निगम अधिकारी जेके जायसवाल, भैयालाल चौधरी, कंट्रोलर योगेंद्र अधिकारी आदि भी अस्पताल पहुंचे. वहीं पुलिस ने तरणताल को सील कर दिया हैं. और जांच पड़ताल में लग गए.

लाइफ जैकेट नहीं दी : मयंक बैरागी के पिता सुनील बैरागी ने बताया कि वह पहली बार ही बेटे को लेकर स्वीमिंग पूल गए थे. वह टिकट ले रहे थे. तभी मयंक अंदर चला गया. वह जब अंदर पहुंचे तो बेटा दिखाई नहीं दिया. शोर मचाया और वहां उपस्थित कर्मचारियों से पूछा कि मयंक कहां है तो उन्होंने कहा कि यहीं कहीं होगा, तलाश कर लो, कुछ देर बाद एक कर्मचारी ने पानी में से बेटे को बाहर निकाला. बेटे को अस्पताल ले जाने के लिए वाहन भी उपलब्ध नहीं कराया गया.

स्विमिंग पुल कंट्रोलर योगेंद्र अधिकारी ने बताया कि स्वीमिंग पुल में तीन लाइफ गार्ड तैनात थे. बच्चों को पुल में जाने के पहले फ्रोटर (स्पंज बेल्ट) दिया जाता है, जो मयंक के पिता ने नहीं लिया था. लाइफ गार्ड राजेश ने ही मयंक बैरागी को बाहर निकाला.

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