राजसमन्द
24 श्रेणी पालीवाल युवा मंडल ने कोतवाल साहब श्री बालकृष्ण जी पालीवाल को किया समाज सेवा रत्न से अलंकृत
paliwalwani
देवकिशन पालीवाल-नाथद्वारा
धोईंदा.
राजसमंद, राजस्थान के समिप उपनगर धोईंदा में 24 श्रेणी पालीवाल युवा मंडल द्वारा धोईंदा के वरिष्ठ समाजसेवी श्री बालकृष्ण जी पालीवाल का सम्मान समारोह आयोजित किया गया.
श्री बालकृष्ण जी पालीवाल द्वारा अपनी राजकीय सेवा से सेवानिवृत्ति के पश्चात 24 श्रेणी पालीवाल सेवा समिति खमनोर,(मेवाड़) के दायित्व पर 25 वर्षों तक रहते हुए श्री बालकृष्ण पालीवाल द्वारा समाज में सकारात्मक पहल करते हुए अनेक नवाचार किए व समाजसेवा में हमेशा निरतंर अग्रणी रहे. उन्होंने लगातार 25 वर्षों तक पालीवाल समाज के कोतवाल पद पर रहते हुए पूरी निष्ठा एवं ईमानदारी के साथ अपने सेवा कार्यों का निर्वाह किया. इस विशेष उपलब्धि पर पालीवाल युवा मंडल धोईंदा द्वारा समाज सेवा रत्न देकर सम्मानित किया.
समाज के वरिष्ठ जनों द्वारा मेवाड़ी पगड़ी तथा युवा मंडल सदस्यों द्वारा अभिनंदन पत्र देकर श्री बालकृष्ण जी पालीवाल को धोईंदा समाज रत्न से सम्मानित किया गया.
इस अवसर पर समाज के वरिष्ठ समाजसेवी श्री राधा कृष्ण जी पालीवाल ने अपने वक्तव्य में कहा की समाज के युवाओं को भी कोतवाल साहब से समाज सेवा के कार्यों में अग्रणी रहने की सीख लेनी चाहिए तथा समाज के लिए तन-मन-धन से समर्पित होना चाहिए.
वरिष्ठ समाजसेवी श्री हरिशंकर जी ने कहा कि श्री बालकृष्ण जी द्वारा समाज में कोतवाली पद पर 25 वर्ष की गौरवमयी सेवा से पूरा धोईंदा 24 श्रेणी पालीवाल समाज गौरांवित हैं.
मीडिया प्रभारी श्री निर्मल पालीवाल ने पालीवाल वाणी को बताया कि इस दौरान 24 श्रेणी पालीवाल समाज धोईंदा के वरिष्ठजन, युवा मंडल सदस्य, महिला मंडल सहित सैंकड़ो समाजजन उपस्थित रहे. युवा अध्यक्ष श्री हितेश पालीवाल ने आभार व्यक्त किया. सम्मान समारोह का संचालन श्री गिरीश पालीवाल “अंश“ ने किया. संचालन इतने सुंदर, कलात्मक मधुर वाणी से संचालित किया गया, जिसकी जितनी तारीफ की जाएं कम हैं.
इस मौके पर श्री बालकृष्ण जी पालीवाल ने कहा कि समाजजनों के द्वारा दिया गया असीम स्नेह को में जीवन भर नहीं भुल पाऊंगा, मेरे जीवन की पूंजी आप लोग है, मुझे धोईंदा समाज रत्न से सम्मानित किया गया, उसके प्रति में आप सबका आभार व्यक्त करता हुं, में हमेशा समाज के प्रति समर्पित रहकर युवाओं को प्रोत्साहित करने का काम करूंगा, ताकि युवा पीढ़ी समाज के संस्कृति और संस्कारों को संवारे और उस पर काम करें.






