धर्मशास्त्र
बहुत सुंदर लेख है : हे परमेश्वरा
paliwalwani
!! हे परमेश्वरा !!
कोई भी आवेदन नहीं किया था,
किसी की भी सिफारिश नहीं थी, ऐसा कोई असामान्य कार्य भी नहीं है,
फिर भी
सिर के बालों से लेकर पैर के अंगूठे तक 24 घंटे भगवान, तू रक्त प्रवाहित करता है...
जीभ पर नियमित अभिषेक कर रहा है...
निरंतर तू मेरा ये हृदय चलाता है...
चलने वाला कौन सा यंत्र तू फिट कर दिया है हे भगवान...
पैर के नाखून से लेकर सिर के बालों तक बिना रुकावट संदेशवाहन करने वाली प्रणाली...
किस अदृश्य शक्ति से चल रही है
कुछ समझ नहीं आता।
हड्डियों और मांस में बनने वाला रक्त कौन सा अद्वितीय आर्किटेक्चर है...
इसका मुझे कोई अंदाजा नहीं है।
हजार-हजार मेगापिक्सल वाले दो-दो कैमरे दिन-रात सारी दृश्यें कैद कर रहे हैं।
दस-दस हजार टेस्ट करने वाली जीभ नाम की टेस्टर,
अनगिनत संवेदनाओं का अनुभव कराने वाली त्वचा नाम की सेंसर प्रणाली...
और...
अलग-अलग फ्रीक्वेंसी की आवाज पैदा करने वाली स्वर प्रणाली
और
उन फ्रीक्वेंसी का कोडिंग-डीकोडिंग करने वाले कान नाम का यंत्र...
पचहत्तर प्रतिशत पानी से भरा शरीर रूपी टैंकर हजारों छेद होने के बावजूद कहीं भी लीक नहीं होता...
स्टैंड के बिना मैं खड़ा रह सकता हूँ...गाड़ी के टायर घिसते हैं, पर पैर के तलवे कभी नहीं घिसते।
अद्भुत ऐसी रचना है।
देखभाल, स्मृति, शक्ति, शांति ये सब भगवान तू देता है। तू ही अंदर बैठ कर शरीर चला रहा है।
अद्भुत है यह सब, अविश्वसनीय,
असमझनीय।
अकल्पनीय
ऐसे शरीर रूपी मशीन में हमेशा तू ही है,
इसका अनुभव कराने वाला आत्मा भगवान तू ऐसा कुछ फिट कर दिया है कि और क्या तुझसे मांगूं...
तेरे इस जीवाशिवा के खेल का निश्छल, निस्वार्थ आनंद का हिस्सा रहूँ!...
ऐसी सद्बुद्धि मुझे दे!!
तू ही यह सब संभालता है इसका अनुभव मुझे हमेशा रहे!!!
हे परम पिता परमेश्वर, हे जग जननी माता रानी
तेरी अनंत अनंत कृपाओं के लिए हृदय से आभार,
धन्यवाद धन्यवाद धन्यवाद।





