राजसमन्द
श्री श्याम सुंदर पालीवाल ओर पर्यावरण संरक्षण पिपलांत्री की बात वर्ल्ड में निराली
paliwalwaniपिपलांत्री। राजस्थान जिले के पटल पर छोटा सा गांव पिपलांत्री के बंदो ने कभी-भी सपने में नहीं सोचा था कि जितना छोटा गांव है उतना ही नाम रोशन करेगा। आज हर पंचायत स्तर से लेकर शहर, प्रदेश ही नहीं बल्कि वर्ल्ड में भी पिपलांत्री गांव के पूर्व सरपंच एवं पालीवल समाज 24 श्रेणी के समाजसेवी श्री श्यामसुंदर पालीवाल ने जो ख्याति प्राप्त की है वो आने वाली सात पीढी भी नाम नहीं काम सकती। आज राजस्थान में श्री श्यामसुंदर पालीवाल ओर पिपलांत्री गांव एक-दुसरे के पूरक बन कर वर्ल्ड में छा रहे है। ऐसे होनहार समाजसेवी श्री श्यामसुंदर पालीवाल को पालीवाल वाणी समाचार पत्र की ओर से कोटि-कोटि प्रणाम। राजस्थान का राजसमंद जिला जहां एक ओर भक्ति, शक्ति, पर्यटन एवं औद्योगिक दृष्टि से धवल मार्बल के लिए सुप्रसिद्ध है, वहीं दूसरी तरफ राजसमंद के छोटे से गांव पिपलांत्री की बात ही निराली है। वृक्षारोपण, जल सरंक्षण, चारागाह भूमि और बेटी बचाने को लेकर किए गए कार्यों के लिए हरित विकास का पर्याय बन चुका पिपलांत्री गांव आज की तारीख़ में दीनदयाल उपाध्याय आदर्श गांव, निर्मल ग्राम, पर्यटन ग्राम, स्वजल ग्राम, जागृत ग्राम के अलावा औषधीय खेती के तीर्थ के रूप में उभरकर पूरी दुनिया के सामने आ चुका है। श्री श्याम सुंदर पालीवाल ओर पर्यावरण संरक्षण पिपलांत्री की बात वर्ल्ड में निराली।
GLOBAL VILLAGE PIPLANTRI
पर्यावरण प्रेम की, पर्यावरण प्रेमियों की। अब मिलिए श्री श्याम सुंदर पालीवाल जी से जिनकी पहचान देशभर में है। कृषि और पर्यावरण पत्रकार के रूप में 18 अप्रैल, 2012 को इस गांव से जुड़ा। देशभर में इस गांव के विकास कार्यों की खबरें, लेख, रिपोर्ट्स आदि प्रकाशित की हैं। साथ ही हिंदी में लिखी हुई मेरी 3 पुस्तकें भी प्रकाशित हुई हैं। अब तक के अपने अनुभवों को कलमबद्ध कर GLOBAL VILLAGE PIPLANTRI नामक एक पुस्तक English में बहुत जल्द प्रकाशित की जाने वाली है।
धवल मार्बल के लिए प्रसिद्ध राजसमंद
धवल मार्बल के लिए प्रसिद्ध राजसमंद में अधिकांश खानें पिपलांत्री के निकटवर्ती गांवों में स्थित हैं। 1980 के बाद से 2005 तक मार्बल खनन के चलते यहां की हरी भरी पहाड़ियां और धरती नंगी हो गई, मृदा का तीव्रतर क्षरण हुआ और पेयजल की भारी किल्लत हो गई। मार्बल वेस्ट, डम्परों से उड़ती धूल मिट्टी, मशीनी धुएं और न्यून मजदूरी दरों के कारण युवाओं को अन्य राज्यों की ओर रुख करना पड़ा। इस गांव ने एक चौथाई शताब्दी तक कष्ट झेला है। 2005 के बाद सरपंच बने श्री श्यामसुंदर पालीवाल ने अपने मौलिक अनुभवों के आधार पर गांव के कायापलट का बीड़ा उठाया। आज पिपलांत्री खनन क्षेत्र में विकास के साथ साथ पर्यावरण सरंक्षण के रूप में एक मिसाल गांव बन चुका है और सबके लिए शुद्ध हवा, शुद्ध पानी और सबको प्रकृति आधारित रोजगार देने का नारा दे रहा है।
पिपलांत्री में बेटी के नाम पर 111 पौधे लगाए जाते हैं
2007 में राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम से निर्मल ग्राम सम्मान हासिल करने वाले इस गांव ने मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे द्वारा अपनी पिछली सरकार में शुरू की पंडित दीनदयाल उपाध्याय आदर्श गांव योजना के रूप में भी लोकप्रियता प्राप्त की है। आज गांव में किरण निधि योजना चलाई जा रही है, जिसके चलते गांव में जन्म लेने वाली प्रत्येक बेटी के नाम पर 111 पौधे लगाए जाते हैं और 31,000/- की एफडी 18 वर्ष की लिए की जाती है। पिपलांत्री देश की पहली कंप्यूटरीकृत पंचायत है। राजीव गांधी पर्यावरण सरंक्षण पुरस्कार प्राप्त इस गांव में वाटर हार्वेस्टिंग, वाटर शेड, चारागाह भूमि विकास, निर्मल ग्राम वृक्षारोपण आदि के कार्यों को आदर्श मानते हुए राज्य की यशस्वी मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने राज्य के पहले स्पेशल ट्रेनिंग सेंटर को भी मंजूरी दी है, जो बनकर तैयार है। मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने जलग्रहण विकास के कार्यों के अनुभवों का लाभ समूचे प्रदेश को दिलवाने के उद्देश्य से पूरे राज्य में पिपलांत्री मॉडल को लागू किया है। अब अन्य गांव भी इसी तर्ज पर तैयार हो रहे हैं।
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