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Rameshwaram Cafe: बेंगलुरु में कैसे हुई रामेश्वरम कैफे की शुरुआत, "भारतीय बेकार हैं" बना कारण, जानिए दिलचस्प कहानी
Pushplataस्वादिष्ट दक्षिण भारतीय व्यंजनों का स्वाद लेने के लिए हर दिन लोग 'रामेश्वरम कैफे' के सामने कतार में खड़े होते हैं। रामेश्वरम कैफे सबसे व्यस्त होटलों में से एक है। उसी 'रामेश्वरम कैफे' में शुक्रवार को बम विस्फोट हुआ। टेस्टी खाने का आनंद लेने के लिए 'रामेश्वरम कैफे' में आए लोग आज बम धमाके से हैरान रह गए। अपनी साफ-सफाई और स्वाद से ग्राहकों को लुभाने वाले 'द रामेश्वरम कैफे' में बम धमाका क्यों हुआ? गुमनाम व्यक्ति ने बैग क्यों छोड़ा? वह गुमनाम कौन है? इन सवालों को जानने के लिए पुलिस ने जांच तेज कर दी है।
आखिर 'रामेश्वरम कैफे' की शुरुआत कैसे हुई? इसकी कहानी दिलचस्प है। दरअसल दिव्या आईआईएम अहमदाबाद में 'मैनेजमेंट एंड फाइनेंस' की पढ़ाई कर रहीं थी। उस समय एक प्रोफेसर का कहना कि भारतीय बेकार हैं। वह इसे गलत साबित करने पर अड़ गईं। दिव्या ने दक्षिण भारतीय व्यंजनों को ग्लोबल लेवल पर ले जाने का मन बनाया। फिर 'रामेश्वरम कैफे' का जन्म हुआ।
'द रामेश्वरम कैफे' कब किया लॉन्च
सीए करने के बाद दिव्या आईआईएम अहमदाबाद चली गईं। वहां दिव्या मैनेजमेंट और फाइनेंस की पढ़ाई के साथ फूड बिजनेस पर केस स्टडी कर रही थीं। जैसा कि दुनिया भर में उभर रहे विदेशी खाद्य ब्रांडों (स्टारबक्स, केएफसी, मैकडॉनल्ड्स) के मामले का अध्ययन है। क्लास के दौरान एक प्रोफेसर ने कहा कि भारतीय बेकार हैं। कोई ब्रांड नहीं है। इससे दिव्या भड़क गईं। फिर दिव्या ने दक्षिण भारतीय भोजन को ग्लोबल लेवल तक पहुंचाने का मन बना लिया। राघवेंद्र राव ने दिव्या से हाथ मिलाया। दोनों ने लॉकडाउन के दौरान पूरा प्लान तैयार किया और 2021 में 'द रामेश्वरम कैफे' लॉन्च किया।
छोटी सी जगह में एक रेस्टोरेंट शुरू
'रामेश्वरम कैफे' सबसे पहले बेंगलुरु के इंदिरा नगर स्थित 10×10 स्क्वायर फीट की शॉप में शुरू हुआ था। एक छोटी सी जगह में जब इसे पहली बार आजमाया गया तो इसे ग्राहकों से जबरदस्त प्रतिक्रिया मिली। इनको सफाई और स्वाद के लिए काफी तारीफ मिली। इस तरह आज ये रेस्टोरेंट फायदे में है।
कितनी पूंजी?
जब रामेश्वरम कैफे पहली बार शुरू किया गया था तो पूंजी रुपये तक नहीं पहुंची थी। अब एक आउटलेट में 3 साल में 8-10 करोड़ का कारोबार किया जा रहा है। मैनेजिंग डायरेक्टर दिव्या ने एक इंटरव्यू में यह दावा किया है।
क्या करोड़ों करोड़ का मुनाफा असली है?
'रामेश्वरम कैफे में हर दिन 7500 बिल काटे जाते हैं। 4-5 करोड़ का मुनाफा' ये सारी खबरें सोशल मीडिया पर फैल रही हैं। इस पर एमडी दिव्या ने कमेंट किया है कि मैं नंबरों के पीछे नहीं पड़ी हूं। उन्होंने एक साक्षात्कार में कहा कि आप अच्छा बिजनेस कर रहे हैं। हम खुश हैं। हमारा व्यवसाय बढ़ रहा है।
बिना पूजा के खाना बनाना शुरू न करें!
'रामेश्वरम कैफे' में हर सुबह भगवान की पूजा के बाद ही गैस चालू की जाती है। पहले साम्ब्रानी को धुंआ करने के बाद ही यह पकाने के लिए तैयार होता है।