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कर्नाटक : अंजनाद्री पहाड़ियों में हुआ था भगवान हनुमान का जन्म : CM

Paliwalwani
कर्नाटक : अंजनाद्री पहाड़ियों में हुआ था भगवान हनुमान का जन्म : CM
कर्नाटक : अंजनाद्री पहाड़ियों में हुआ था भगवान हनुमान का जन्म : CM

कर्नाटक : कर्नाटक के सीएम बसवराज बोम्मई ने एक बार फिर भगवान हनुमान के जन्मस्थान को लेकर चल रही बहस को हवा दे दी है. उन्होंने दावा करते हुए कहा कि कोप्पल जिले में अंजनाद्री पहाड़ियों पर भगवान हनुमान का जन्म हुआ था. उन्होंने कहा कि इस जगह को ही ऐतिहासिक रूप से भगवान हनुमान के जन्मस्थान के रूप में स्वीकार किया जाता है. इससे पहले, पड़ोसी राज्यों महाराष्ट्र और आंध्र प्रदेश ने इस दावे को खारिज कर दिया था और कहा था कि हनुमान का जन्म उनके अपने राज्यों में हुआ था. 

इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, सीएम बोम्मई ने सोमवार को कहा भगवान हनुमान का जन्म अंजनाद्री पहाड़ियों में हुआ था. किष्किंधा (वर्तमान में हम्पी) के रूप में प्रमाण मौजूद है. उन्होंने कहा कुछ विवादास्पद कथन हो सकते हैं कि हनुमान यहां या वहां पैदा हुए थे, लेकिन मूल रूप से यह (अंजनाद्री पहाड़ियां) वही स्थान था जहां हनुमान का जन्म हुआ था. वे अंजनाद्री हिल्स और किष्किंधा में पैदा हुए, इसमें कोई भ्रम नहीं है.

इससे पहले, इस मुद्दे पर नासिक में आयोजित एक धर्मसभा में तीखे बहस देखने को मिली थी. इसमें भाग लेने वाले साधुओं के दो समूह आपस में भिड़ गए थे. भगवान हनुमान के जन्मस्थान को लेकर विवाद पुराना है. कर्नाटक के किष्किंधा, आंध्रप्रदेश के तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (टीटीडी) के अपने-अपने दावे हैं. अन्य राज्यों में भी दावे किए जा रहे हैं.

मौजूदा तथ्यों के मुताबिक, किष्किंधा में जन्मस्थान होने के सबसे ज्यादा प्रमाण मिल रहे हैं. टीटीडी में भी प्रमाण दिए गए हैं. यहां टीटीडी निर्माणकार्य भी शुरू करने वाला था, जिस पर आंध्रप्रदेश की हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है.

  • भगवान हनुमान के जन्म को लेकर कर्नाटक में क्या प्रमाण हैं?

  • वाल्मीकि रामायण में लिखा है कि किष्किंधा ही हनुमान जी का जन्मस्थान है.

  • सोने के रंग जैसे दिखने वाले पर्वत के शिखर पर जन्म हुआ, रामायण में जिक्र.

  • यहां मौजूद आंजनेय पहाड़ का रंग सोने जैसा। पहाड़ों के पत्थर से बनी नगरी.

  • किष्किंधा कांड में पंपा सरोवर, बालि किला, मधुबन, ऋषिमुख पर्वत पास बताया गया.

  • रावण सीता हरण कर पंपा(तुंगभद्रा) नदी वाले मार्ग से निकला था। पंपा तट पर नगरी.

  • शृंग ऋषि का आश्रम, शबरी की कुटिया सब कुछ यहां अब भी मौजूद है.

  • बालि के डर से सुग्रीव ऋषिमुख पर्वत चले गए थे, किष्किंधा में अब भी मौजूद.

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