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अगर आपको भी मिलता है आयकर विभाग का नोटिस तो देखकर डरने की जरूरत नहीं, जानें किस नोटिस का क्या है मतलब और कैसे दे उसका जवाब
Paliwalwaniआयकर विभाग के नोटिस का नाम सुनकर सभी के कान खड़े हो जाते हैं। लेकिन ऐसा जरूरी नहीं कि अगर आयकर विभाग का नोटिस आया है तो आप मुसीबत में ही हैं। आयकर विभाग लोगों के लिए कई तरह के नोटिस जारी करता है। आयकर विभाग का नोटिस आने पर डरने या घबराने की जरूरत नहीं है। कई बार फॉर्म में छोटी-मोटी गलतियां हो जाने के कारण भी आयकर विभाग नोटिस भेजता है। ऐसे में लोग आयकर विभाग के नाम का नोटिस देखकर ही डर जाते हैं। आज हम आपको बताते हैं कि अगर आपके पास भी आयकर विभाग का नोटिस आया है या फिर कभी भविष्य में आता है तो आप कैसे जवाब दे सकते हैं। आयकर विभाग अलग-अलग कामों के लिए कई तरह के नोटिस भेजता है। इनमें से कुछ सामान्य नोटिस के बारे में जानने का प्रयास करते हैं।
1-Customary Notice [under Section 145 (1)]
अगर आपके पास धारा 145 (1) के तहत आयकर विभाग का नोटिस आया है। तो आपको चिंता करने की जरूरत नहीं है। आयकर विभाग इस धारा के तहत नियमित नोटिस भेजता रहता है। यह एक पारंपरिक सूचना है जो लोगों को भेजी जाती है। इस नोटिस के जरिए लोगों को यह बताया जाता है कि आयकर रिटर्न भरने की प्रक्रिया सफलता पूर्वक संपन्न हो गई है। ऐसे में आपको इस नोटिस का जवाब देने की जरूरत नहीं है। यह बस आयकर विभाग की एक रेगुलर प्रक्रिया है।
2-Show cause Notice (under Section 148)
धारा 148 के तहत आयकर विभाग कारण बताओ वोटिस जारी करता है। अगर कोई व्यक्ति अपनी आय का पूरी तरह से खुलासा नहीं करता या फिर विभाग को टेक्स में हेर-फेर की शंका होती है तो इस नोटिस को जारी किया जाता है। अगर आय से बचने वाली राशि 1 लाख रुपये से कम है तो असेसमेंट ईयर के अंत से चार साल तक भी आयकर विभाग इस नोटिस को भेज सकता है। साथ ही भारत के बाहर स्थित किसी भी संपत्ति से संबंधित आय है जिसपर टेक्स देना आवश्यक है। इन टैक्स में हेरफेर होनी की गुंजाइश अगर विभाग को लगती है तो छह साल तक भी आयकर विभाग नोटिस भेज सकता है। अगर इस तरह का नोटिस आपको मिलता है तो आर असेसमेंट ऑफिसर से इसका ब्यौरा ले सकते हैं। इतना नहीं अधिकारी ब्यौरा देने के लिए बाध्य है। अगर आपको इस तरह का नोटिस आता है तो आर असेसमेंट ऑफिसर से सीधे बात कर सकते हैं।
3-Demand Notice (under Section 156)
आयकर विभाग द्वारा धारा 156 के तहत बकाया बकाया राशि, ब्याज, जुर्माना जैसे कारणों के लिए नोटिस जारी करता है। दरअसल ऐसी सूचनाएं लोगों को आयकर रिटर्न के पोस्ट असेसमेंट के बाद विभाग द्वारा भेजी जाती हैं। आयकर विभाग के असेसमेंट ऑफिसर द्वारा भेजे गए इस नोटिस में वकाया राशि, जुर्माना या फिर ब्याज भरने के लिए निर्देश दिए जाते हैं। साथ ही अगर आयकर भरते समय कुछ अमाउंट बच गया हो तो इस नोटिस के जरिए लोगों को अवगत कराया जाता है। इस नोटिस के बाद आपको अपनी वकाया राशि या फिर बचा हुआ पैसा जमा कराना पड़ता है। इसके लिए 30 दिनों का समय दिया जाता है। इन 30 दिनों के अंदर ही लोगों को यह राशि जमा करानी होती है।
4-Inspection notices [under Section 142(1) and 143(2)]
धारा 142(1) यह नोटिस आयकर विभाग द्वारा कागजों या फिर किसी सूचना के दोबारा सत्यापन के लिए भेजा जाता है। अगर आपके कागजों का दोबारा सत्यापन, स्पष्टीकरण और आंकलन की जरूरत होती है तो इस नोटिस को जारी किया जाता है। यह नोटिस संबंधित असेसमेंट ईयर समाप्त होने के बाद भेजा जाता है। वहीं इस नोटिस के साथ धारा 143(2) के तहत फॉलोअप लिया जाता है। अगर आपको यह नोटिस मिलता है तो इसके लिए आपको सावधान होने की जरूरत है। इसके लिए आपको निर्धारित समय के अंदर व्यक्तिगत रूप से या प्रतिनिधि के माध्यम से असेसमेंट ऑफिसर के सामने उपस्थित होना पड़ सकता है।