अन्य ख़बरे
अफगानिस्तान में CNN की रिपोर्टर - तालिबानियों का रवैया दोस्ताना, हिजाब पहने तस्वीर आयी सामने
Paliwalwani
अफगानिस्तान में सत्ता बदलते ही मीडिया को भी अपना कलेवर बदलना पड़ा है। अमेरिकी मीडिया हाउस CNN चीफ इंटरनेशनल रिपोर्टर क्लैरिसा वार्ड हिजाब में नजर आईं। रिपोर्टिंग के दौरान क्लैरिसा ने कहा कि एक तरफ तालिबानी 'अमेरिका का खात्मा हो' का नारा लगा रहे हैं और दूसरी तरफ उनका रवैया काफी दोस्तान दिखाई दे रहा है। ये पूरी तरह से अजीब है।क्लैरिसा की हिजाब वाली तस्वीर और सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है। इसमें क्लैरिसा की पहले की रिपोर्ट के दौरान की फोटोज को भी शेयर किया जा रहा है। बताया जा रहा है कि पहले वो हिजाब नहीं पहनती थीं और अब तालिबानी कब्जे के बाद उनका पहनावा बदल गया है।
सफाई में कहा
हालांकि, क्लैरिसा ने वायरल हो रही तस्वीरों पर सफाई दी है। उन्होंने कहा- ये तस्वीरें गलत हैं। एक तस्वीर प्राइवेट कम्पाउंड की है (बिना हिजाब वाली)। दूसरी तस्वीरों में मैं तालिबानी कब्जे वाले काबुल की सड़कों पर हूं। पहले भी मैंने जब काबुल की सड़कों पर रिपोर्टिंग की तो हिजाब पहने रखा था। हालांकि, ये पूरी तरह कवर नहीं रहता था। बुर्का नहीं रहता था। थोड़ा बदलाव तो हुआ है, लेकिन पूरी तरह से नहीं।
क्लैरिसा सोमवार को अफगान में अमेरिकी दूतावास के बाहर रिपोर्टिंग कर रही थीं। उन्होंने कहा कि दो दिन पहले के मुकाबले अब अफगानिस्तान की सड़कों पर महिलाएं बहुत कम नजर आ रही हैं। इसके अलावा एक और चीज गौर करने लायक है, वो ये कि अफगानिस्तान में तालिबानी हुकूमत कायम होने के बाद महिलाएं ज्यादा पारंपरिक और दकियानूसी परिधानों में नजर आ रही हैं।
क्लैरिसा ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा है कि तालिबानी कब्जे के बाद यहां काम कर रहे बहादुर जर्नलिस्ट हक्के-बक्के हैं। तालिबान के सत्ता हासिल करने से उन्हें धक्का लगा है। वो जानते हैं कि अब वो निशाने पर हैं, क्योंकि उन्होंने अशरफ गनी सरकार के वक्त खुलकर और साफगोई से रिपोर्टिंग की है। पहले वो तालिबान के खिलाफ बोलते रहे हैं और अब सबसे बड़ा टारगेट वही हैं। क्लैरिसा 2006 में लेबनान युद्ध के दौरान बेरूत और 2005 में ईराक युद्ध के दौरान मोसुल से भी रिपोर्टिंग कर चुकी हैं।