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8वीं पास किसान की अनोखी खेती!, 40 पौधों से की 60,000 रुपयों की कमाई, आप भी जानें ये जबरदस्त फॉर्मूला
PALIWALWANI
पूरे सौराष्ट्र और गुजरात राज्य में अब किसान रासायनिक खेती छोड़कर प्राकृतिक खेती अपना रहे हैं. रासायनिक खेती की तुलना में प्राकृतिक खेती में खर्च कम होता है और उत्पादन भी अच्छा मिलता है, जिससे किसानों को फायदा होता है. आजकल प्राकृतिक खेती के उत्पादों की मांग भी लगातार बढ़ रही है.
कागदी किस्म के 40 नींबू के पौधे लगाए हैं
बता दें कि भावनगर जिले के जेसर तालुका के छापरियाली गांव के किसान सोलंकी विनुभाई ने आठवीं कक्षा तक पढ़ाई की है. वे लंबे समय से खेती से जुड़े हुए हैं और वर्तमान में प्राकृतिक खेती कर रहे हैं. पहले वे पारंपरिक फसलें उगाते थे, लेकिन मार्केट में नींबू के अच्छे दाम मिलने के कारण उन्होंने नींबू की खेती करने का निर्णय लिया. फिलहाल उन्होंने कागदी किस्म के 40 नींबू के पौधे लगाए हैं, जिनसे उन्हें 60 हजार रुपये से अधिक का उत्पादन मिल रहा है.
किसान सोलंकी विनुभाई ने बताया, “मैंने आठवीं कक्षा तक पढ़ाई की है. पिछले लंबे समय से मैं खेती से जुड़ा हुआ हूं और वर्तमान में प्राकृतिक खेती कर रहा हूं. नींबू की बाजार स्थिति को देखते हुए मुझे भी विचार आया कि मुझे नींबू की खेती करनी चाहिए. इसलिए मैंने कागदी किस्म के 40 पौधे नींबू के लगाए हैं. पहले घर के उपयोग के लिए नींबू खरीदने जाते थे तो उनके दाम ऊंचे रहते थे, इसलिए अब हमने खुद ही नींबू की खेती शुरू कर दी है.”
नींबू की देखभाल में किसी भी प्रकार की रासायनिक दवा या खाद की जरूरत नहीं होती. देखभाल के दौरान केवल आच्छादन, जीवामृत और घन जीवामृत जैसे खादों का ही उपयोग होता है. नींबू बेचते समय एक किलो का दाम 150 रुपये से 170 रुपये तक मिलता है. नींबू की बिक्री किसी भी मार्केट में नहीं होती, हम खुद ही खुदरा बिक्री करते हैं. फिलहाल 40 पौधों से 60,000 रुपये से अधिक का उत्पादन मिल रहा है.