मध्य प्रदेश
खतरे के निशान 138 से डेढ़ मीटर नीचे उतरी चंबल, बाढ़ पीड़ित लौटने लगे गांव, लेकिन अब इस बात का डर सता रहा..
Paliwalwani
मुरैना के लिए यह खबर राहत भरी हो सकती है। चंबल नदी का जल स्तर खतरे के निशान से पूरे डेढ़ मीटर नीचे उतर गया है। खतरे का निशान 138 मीटर है। जिसका जल स्तर घटकर 136.50 मीटर पर आ गया। अब ग्रामीण अपने गांव लौटने लगे हैं। गांवों में बर्बादी का मंजर है। घर लौटने पर ही ग्रामीणों को पता चलेगा कि उनका कितना सामान बचा है और कितना पानी में बह गया।
चंबल का जल स्तर पिछले 24 घंटे में लगातार नीचे गिर रहा है। रविवार सुबह 7 बजे तक चंबल नदी का लेवल लगातार बढ़ रहा था। रविवार सुबह 7 बजे की रिपोर्ट के अनुसार चंबल नदी का जल स्तर 141.80 मीटर पर अधिकतम पहुंच चुका था। उसके बाद से घटना शुरू हुआ है। सोमवार सुबह 9 बजे तक यह पूरे डेढ़ मीटर घटकर 136.50 मीटर तक नीचे उतर आया है।
ग्रामीण को अपने घर लौटने की खुशी है, लेकिन उनका सब कुछ बाढ़ में बर्बाद हो चुका है। किसानों की माने तो घर में रखा अनाज बाढ़ में बह गया होगा। जो थोड़ा बहुत बचा भी होगा वह खाने लायक नहीं होगा। गांव में पहुंचकर लोगों के सामने समस्या यह आएगी कि वे अब खाएंगे क्या? उनका अनाज, भूसा, सामान, सब कुछ तो बर्बाद हो गया। महीनों लग जाएंगे उन्हें पुरानी स्थिति में लौटने में। लोगों से जब कहा कि सरकार उनकी मदद करेगी तो, उनके मुंह से निकला जब अभी तक मदद नहीं की तो, आगे क्या करेगी। उन्होंने सरकार से मदद की उम्मीद ही छोड़ दी है।
बाढ़ में हजारों मवेशियों की मौत हो चुकी है। उनकी लाशें गांवों में सड़ रही हैं। यह लाशें अब बीमारी को जन्म दे रही हैं। अगर समय रहते सरकार ने लाशों को नहीं दफनाया या सफाई नहीं कराई तो बीमारी फैलना तय माना जा रहा है।