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India-China: अंतरराष्ट्रीय मंच पर ड्रैगन के पैंतरे को भारत ने किया नाकाम, चीन को वापस लेना पड़ा अपना प्रस्ताव
Pushplata![India-China: अंतरराष्ट्रीय मंच पर ड्रैगन के पैंतरे को भारत ने किया नाकाम, चीन को वापस लेना पड़ा अपना प्रस्ताव India-China: अंतरराष्ट्रीय मंच पर ड्रैगन के पैंतरे को भारत ने किया नाकाम, चीन को वापस लेना पड़ा अपना प्रस्ताव](https://cdn.megaportal.in/uploads/1022/1_1664599829-india-china-india-foiled.jpg)
चीन को भारत के कारण अंतरराष्ट्रीय मंच पर अपने कदम वापस खींचने के लिए मजबूर होना पड़ा। अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) की बैठक में एक बार फिर चीन को मुंह की खानी पड़ी। दरअसल, ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन और अमेरिका के संयुक्त समूह AUKUS के खिलाफ चीन अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) में एक प्रस्ताव लाने की योजना बना रहा था। पर भारत ने ऐसा कदम उठाया कि चीन को यह प्रस्ताव पेश करने से पहले ही वापस लेना पड़ा।
भारत के इस कदम की ऑस्ट्रेलिया, यूनाइटेड किंगडम और अमेरिका जमकर तारीफ कर रहे हैं। इन तीनों देशों ने चीन का सामना करने के उद्देश्य से 2021 में AUKUS नाम से एक सुरक्षा साझेदारी की स्थापना की थी। जिसके तहत ऑस्ट्रेलिया में परमाणु ऊर्जा से चलने वाली पनडुब्बियों का निर्माण किया जाना है। इस साझेदारी से चीन काफी भड़का था। चीन ने इसे परमाणु अप्रसार संधि का उल्लंघन बताया था और इस मसले पर AUKUS के खिलाफ IAEA में प्रस्ताव पारित करने की कोशिश की। चीन ने इस संबंध में IAEA की भूमिका की भी आलोचना की।
चीन ने की IAEA की भूमिका की आलोचना:
IAEA के सम्मेलन में इस मामले पर विचार-विमर्श हुआ। पश्चिमी देशों ने IAEA में और ज्यादा पारदर्शिता और अप्रसार आश्वासनों की जरूरत को रेखांकित किया। वहीं, IAEA के महानिदेशक को 23 अगस्त 2022 को चीन की तरफ से एक अनुरोध किया गया था। जिसमें परमाणु सामग्री के हस्तांतरण से जुड़े सभी पहलुओं और AUKUS को 66वीं जनरल कांफ्रेंस की चर्चा के लिए शामिल करने की बात कही गई।
भारत की कूटनीति की तारीफ:
इन सबके बीच भारत ने चीन के इस प्रस्ताव के खिलाफ अपनी कूटनीति का इस्तेमाल कर कई छोटे देशों को इस प्रस्ताव के खिलाफ किया। इसके लिए वियना में भारतीय मिशन ने IAEA के कई सदस्य देशों के साथ मिलकर काम किया। की कूटनीति का यह असर हुआ कि चीन को अपना प्रस्ताव वापस लेना पड़ा। चीन को जब यह भरोसा हो गया कि इस प्रस्ताव पर उसे बहुमत हासिल नहीं होगा तो 30 सितंबर को उसने अपना प्रस्ताव वापस ले लिया।
भारत की इस भूमिका और कूटनीतिक पैंतरेबाजी की IAEA के सदस्य देशों ने तारीफ की। इसमें खासतौर पर AUKUS के सदस्य देश शामिल हैं। तीनों देशों का यह गठबंधन खासतौर पर हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन के तेजी से आक्रामक और मुखर व्यवहार की प्रतिक्रिया के तौर पर बनाया गया।AUKUS गठबंधन के तहत, ऑस्ट्रेलिया ने कम से कम आठ परमाणु-संचालित पनडुब्बियों का अधिग्रहण करने की योजना बनाई है।