दिल्ली

सरकार ने हाइड्रोफ्लोरोकार्बन के निर्यात पर लगाई रोक : निर्यात के लिए सरकार की अनुमति लेनी होगी

Paliwalwani
सरकार ने हाइड्रोफ्लोरोकार्बन के निर्यात पर लगाई रोक : निर्यात के लिए सरकार की अनुमति लेनी होगी
सरकार ने हाइड्रोफ्लोरोकार्बन के निर्यात पर लगाई रोक : निर्यात के लिए सरकार की अनुमति लेनी होगी

नई दिल्ली : सरकार ने हाइड्रोफ्लोरोकार्बन्स के निर्यात पर अंकुश लगा दिया है. यह कदम घरेलू बाजार में इसकी उपलब्धता बढ़ाने के लिए उठाया गया है. इस केमिकल का इस्तेमाल रेफ्रिजरेशन और एयर-कंडीशनिंग क्षेत्र में होता है. अब निर्यात को हाइड्रोफ्लोरोकार्बन्स (एचएफसी) के निर्यात के लिए सरकार की अनुमति लेनी होगी. विदेश व्यापार महानिदेशालय (DGFT) ने बुधवार को एक अधिसूचना में कहा, हाइड्रोफ्लोरोकार्बन्स के लिए निर्यात नीति को तत्काल प्रभाव से मुक्त से अंकुश की श्रेणी में संशोधित किया गया है. इसके निर्यात के लिए पर्यावरण वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय से अनापत्ति प्रमाणपत्र (NOC) लेने की जरूरत होगी.

यह कदम इस दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है क्योंकि सरकार ने फ्रिज, एसी और वॉशिंग मशीन (व्हाइट गुड्स) के लिए 6,238 करोड़ रुपये की उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना की घोषणा की है. पीएलआई योजना का उद्देश्य एसी और एलईडी लाइट के लिए कलपुर्जों तथा उप-असेंबली के विनिर्माण को प्रोत्साहन देना है.

एचएफसी के आयात पर लगी रोक

इससे पहले इसी महीने सरकार ने एचएफसी के आयात पर भी इसी तरह के अंकुश लगाए थे. बताया जाता है कि घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए ऐसा किया गया है. एचएफसी की आयात नीति को मुक्त’ से बदलकर कर में ‘पाबंदी में डाल दिया गया है. हालांकि पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय से अनापत्ति प्रमाण पत्र के आधार पर इसका आयात किया जा सकता है. मतलब कि आयातकों को अब इस रसायन के आयात के लिए निदेशालय से लाइसेंस या अनुमति लेनी होगी.

बता दें कि भारत 2032 से चार चरणों में एचएफसी में कमी लाएगा. जिसके पहले चरण के तहत 2032 में एचएफसी में 10 फीसदी, 2037 में 20 फीसदी, 2042 में 30 फीसदी और 2047 तक 80 फीसदी की कटौती करेगा. हाइड्रोफ्लोरोकार्बन19 गैसों का एक समूह है. यह ग्लोबल वार्मिंग के मामले में कार्बन डाइऑक्साइड से हजारों गुना ज्यादा शक्तिशाली है. एक रिपोर्ट के मुताबिक, इस समय दुनिया भर में 360 करोड़ से ज्यादा कूलिंग मशीन इस्तेमाल में हैं. एक अनुमान के मुताबिक, 2050 तक इसकी संख्या बढ़कर 1400 करोड़ पर पहुंच जाएगी.

वैश्विक स्तर पर हाइड्रोफ्लोरोकार्बन को चरणबद्ध तरीके से कम करने में सफल रहते हैं तो इससे 10.5 करोड़ टन कार्बनडाइऑक्साइड के बराबर ग्रीनहाउस गैसों को रोकने में मदद मिलेगी. अगर ग्लोबल स्तर पर 2050 तक इन गैसों का उत्सर्जन पूरी तरह बंद कर दिया जाए तो उससे सदी के अंत तक तापमान में होने वाली वृद्धि को 0.5 डिग्री सेल्सियस तक कम किया जा सकता है. जो जलवायु परिवर्तन के लिए बहुत मायने रखता है. यही नहीं इससे ओजोन परत को भी छीजने से बचाया जा सकेगा.अर्चना व पुजारियों को पर्याप्त वेतन देने मे सम्बन्धित मंदिर मंडल व्यय करें । सरकारी नियंत्रण समाप्त हो।

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