दिल्ली
सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद बोले असदुद्दीन ओवैसी, क्या पीएम मोदी सिर्फ नूपुर शर्मा के प्रधानमंत्री हैं, क्यों नहीं हो रही गिरफ्तारी?
Paliwalwaniनिलंबित भाजपा प्रवक्ता नूपुर शर्मा को सुप्रीम कोर्ट ने शनिवार (1 जुलाई) को जमकर फटकार लगाई। सर्वोच्च अदालत ने नूपुर शर्मा पर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि उनकी टिप्पणी ने देशभर में लोगों की भावनाओं को भड़का दिया है। देश में आज जो कुछ हो रहा है, उसके लिए वो जिम्मेदार हैं। इस बारे में बात करते हुए AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि क्या पीएम मोदी सिर्फ नूपुर शर्मा के प्रधानमंत्री हैं, उनकी गिरफ्तारी क्यों नहीं हो रही?
न्यूज एजेंसी ANI से बात करते हुए असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि क्या PM मोदी अभी भी कोई प्रतिक्रिया नहीं देंगे? आप सिर्फ नूपुर शर्मा के प्रधानमंत्री नहीं हैं? उन्होंने कहा, “पीएम मोदी को दोबारा ये सारी बातें सुननी पड़ रही हैं, अभी भी वो रिएक्ट नहीं कर रहे हैं?” AIMIM प्रमुख ने आगे कहा, “ प्रधानमंत्री को समझना चाहिए कि सस्पेंशन सजा नहीं है। हम प्रधानमंत्री जी से अपील कर रहे हैं कि आप सिर्फ नूपुर शर्मा के पीएम नहीं हैं। आप देश की 133 करोड़ जनता के प्रधानमंत्री हैं जिसमें 20 करोड़ मुसलमान भी हैं।” ओवैसी ने कहा, “हम पीएम मोदी से पूछना चाहते हैं कि वो नूपुर शर्मा को कब तक बचाएंगे? क्यों नहीं उन्हें गिरफ्तार कराते आप?”
असदुद्दीन ओवैसी ने कहा, “हैदराबाद में उनकी नेशनल एक्जिक्यूटिव कमेटी की बैठक हो रही है और उसकी मेंबर है, तो क्या प्रधानमंत्री उन्हें दावत दिए हैं हैदराबाद में आने के लिए। आपने उन्हें प्रवक्ता के पद से निलंबित किया पर NAC की मेंबर वो आज भी हैं।”
सुप्रीम कोर्ट ने की तल्ख टिप्पणी:
वहीं, दूसरी ओर नूपुर शर्मा की अपील पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमने डिबेट देखा, उनको भड़काने की कोशिश की गई लेकिन उसके बाद नूपुर शर्मा ने जो कहा, वो बेहद शर्मनाक है। उनकी हल्की जुबान ने पूरे देश में आग लगा दी है। उदयपुर में हुई दुर्भाग्यपूर्ण घटना के लिए वो जिम्मेदार हैं। उन्हें पूरे देश से माफी मांगनी चाहिए।
दरअसल, नूपुर शर्मा ने अपने खिलाफ अगल-अलग राज्यों में दर्ज मामलों को दिल्ली स्थानांतरित करने की सर्वोच्च अदालत में अपील की थी। शर्मा का कहना है कि उन्हें लगातार जान से मारने की धमकियां मिल रही हैं, ऐसे में मामलों को दिल्ली ट्रांसफर किया जाए। उनकी याचिका को खारिज करते हुए उच्च न्यायालय ने नूपुर को हाईकोर्ट जाने की सलाह दी।