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कागज के टुकड़ों (शेयर) के आधार पर अडानी के अमीर और फकीर होने से आम आदमी को क्या?

S.P.MITTAL BLOGGER
कागज के टुकड़ों (शेयर) के आधार पर अडानी के अमीर और फकीर होने से आम आदमी को क्या?
कागज के टुकड़ों (शेयर) के आधार पर अडानी के अमीर और फकीर होने से आम आदमी को क्या?

कहा जा रहा है कि भारत के शेयर मार्केट में अडानी समूह की कंपनियों के शेयरों में बड़ी गिरावट होने से समूह के मालिक गौतम अडानी अमीर से फकीर हो गए हैं। जनवरी में अडानी को करीब 120 अरब डॉलर का मालिक माना गया, लेकिन फरवरी की शुरुआत में अडानी को मात्र 61 अरब डॉलर के मालिक रह गए। सवाल उठता है कि आखिर अडानी को 120 अरब डॉलर का अमीर और 61 अरब डॉलर का फकीर किस आधार पर माना गया?

शेयर मार्केट के जानकार कह सकते हैं कि ऐसा शेयरों के मूल्य में उतार चढ़ाव से हुआ। यानी कागज के टुकड़ों (शेयर) के आधार पर अडानी को 120 अरब डॉलर का मालिक मान लिया गया। क्या तब किसी अर्थशास्त्री ने अडानी की संपत्तियों की कीमत 120 अरब डॉलर की लगाई थी? क्या शेयर का मूल्य बढ़ जाने से कोई व्यक्ति 120 अरब डॉलर का मालिक बन जाता है? जब शेयर का मूल्य बढऩे से 120 अरब डॉलर की औकात नहीं को सकती, तब 61 अरब डॉलर की फकीरी पर इतनी हाय तौबा क्यों? जो लोग शेयर के भाव बढ़ने पर खुद को लखपति और करोड़पति मान लेते हैं, उन्हें अडानी समूह के हश्र से सबक लेना चाहिए।

गौतम अडानी की अमीरी फकीरी यह सबक देती है कि शेयर मार्केट का कोई भविष्य नहीं। विदेश के एक एनजीओ हिंडनबर्ग की रिपोर्ट से यदि अडानी समूह आसमान से धरती पर आ जा सकता है तो शेयर मार्केट के महत्व का अंदाजा लगाया जा सकता है। सवाल यह भी है कि अडानी के अमीर और फकीर होने से आम आदमी का क्या संबंध है? कागज के टुकड़ों के आधार पर अडानी जब 120 अरब डॉलर का मालिक था, तब क्या किसी मेहनतकश आदमी की गरीबी दूर हुई? या ऐसा व्यक्ति स्वयं भी अमीर हुआ? इसी प्रकार जब अडानी फकीरों की श्रेणी में आया तो मेहनतकश आदमी को क्या नुकसान हुआ? मेहनतकश आदमी  को तो दिन भर मेहनत करने के बाद ही दो वक्त की रोटी मिल रही है।

एलआईसी और बैंकों ने जो लोन दिया है, उन्होंने पहले ही स्पष्ट कर दिया है कि लोन राशि से ज्यादा की संपत्तियां गिरवी रखी गई हैं। यानी बैंकों और एलआईसी ने शेयर के मूल्य के आधार पर लोन नहीं दिया है। अडानी की अमीरी और फकीरी से वो ही लोग प्रभावित हो रहे हैं, जिन्होंने अडानी की कंपनियों के कागज के टुकड़े खरीद रखते हैं। शेयर मार्केट से कमाने की लालच रखने वाले लोग जब शेयर खरीदते हैं, तब यह नहीं देखते कि कंपनी की संपत्तियां कितनी हैं। जब कोई आईपीओ आता है तो उसकी भी खरीद शुरू हो जाती है, भले ही संबंधित कंपनी की स्वयं की कोई संपत्ति न हो।

अडानी के फकीर होने पर जो लोग रो रहे हैं, उनके पास अभी भी समय है कि शेयर मार्केट से बाहर आ जाएं। अब कहा जा रहा है कि शेयर मार्केट में अडानी समूह की कंपनियों के शेयरों के मूल्य फिर से बढ़ने लगे हैं और अगले कुछ माह में ही गौतम अडानी फिर से 120 अरब डॉलर के मालिक हो जाएंगे। जो बाजार चार दिन में 60 अरब डॉलर का नुकसान पहुंचा दे, उस बाजार पर क्या भरोसा करना?

S.P.MITTAL BLOGGER (04-02-2023)

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