आपकी कलम
भाजपा विधायक मीणा को निलंबित नहीं किए जाने पर पूर्व सीएम अशोक गहलोत विधानसभा अध्यक्ष देवनानी से खफा
S.P.MITTAL BLOGGER
कांग्रेस के शासन वाले अध्यक्ष यदि 90 विधायकों के इस्तीफे वाला जादू नहीं करते तो गहलोत को मुख्यमंत्री का पद गंवाना पड़ता
देवनानी कम से कम ऐसा जादू तो नहीं कर रहे
15 वर्ष तक राजस्थान के मुख्यमंत्री रहे अशोक गहलोत आए दिन किसी न किसी मुद्दे पर सोशल मीडिया पर अपनी प्रतिक्रिया देते हैं। ताजा प्रतिक्रिया भाजपा विधायक कंवरलाल मीणा को हुई सजा से संबंधित है। गहलोत का आरोप है कि न्यायालय के आदेश के बाद विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी को विधायक मीणा को निलंबित कर देना चाहिए, लेकिन देवनानी अध्यक्ष पद की निष्पक्षता नहीं दिखा रहे है.
हालांकि इस मामले में देवनानी का पहले ही बयान आ गया है कि वे विधायक मीणा के मामले में विधिक परीक्षण करवा रहे हैं। उम्मीद है कि संविधान के अनुरूप देवनानी निर्णय लेंगे, लेकिन गहलोत को देवनानी की निष्पक्षता पर सवाल उठाने से पहले कांग्रेस के शासन में विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी के 90 विधायकों के इस्तीफे वाले जादू को देख लेना चाहिए था। सब जानते हैं कि यदि तब के अध्यक्ष जादू नहीं करते तो अशोक गहलोत को मुख्यमंत्री पद गंवाना पड़ता।
25 सितंबर, 2022 को जब अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी ने पर्यवेक्षक भेजकर जयपुर में मुख्यमंत्री के आवास पर विधायकों की बैठक बुलाई, तब अशोक गहलोत के समर्थक विधायकों ने समानांतर बैठक कर सामूहिक इस्तीफे दे दिए। ऐसे विधायकों ने कहा कि वे मुख्यमंत्री के पद पर सिर्फ अशोक गहलोत को ही देखना चाहते हैं। इतना ही नहीं करीब 90 विधायकों ने सामूहिक इस्तीफा विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी को सौंप दिए। यह सीपी जोशी का जादू ही था कि उन्होंने सामूहिक इस्तीफे वाले पत्र को अपने पास सुरक्षित रख लिया। तब अध्यक्ष ने यह जानने का प्रयास नहीं किया क्या वाकई कांग्रेस विधायकों ने इस्तीफा दिया है। यदि सीपी जोशी जादू नहीं करते तो गहलोत को मुख्यमंत्री का पद गंवाना पड़ता। गहलोत को भी पता है कि तब सीपी जोशी ने लंबे समय तक सामूहिक इस्तीफे पर कोई निर्णय नहीं लिया। जब राजेंद्र राठौड़ ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की तब विधानसभा अध्यक्ष की ओर से कहा गया कि इस्तीफों को अस्वीकार कर दिया गया है। अध्यक्ष ने तब यह बात कही तब तक कांग्रेस में राजनीतिक संकट समाप्त हो चुका था। क्या तब अशोक गहलोत ने विधानसभा अध्यक्ष की निष्पक्षता पर सवाल उठाया। चूंकि तब मामला गहलोत से जुड़ा हुआ था, इसलिए विधानसभा अध्यक्ष के विशेषाधिकार को स्वीकार किया गया।
\अशोक गहलोत के मुख्यमंत्री रहते हुए 90 विधायकों वाला जो जादू हुआ, उसकी हकीकत मौजूदा अध्यक्ष देवनानी के सामने है। कम से कम देवनानी कांग्रेस शासन वाला जादू तो नहीं कर रहे। अशोक गहलोत ने तब कोई प्रतिक्रिया नहीं दी, जब विधानसभा के अंदर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने अध्यक्ष देवनानी के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणियां की। यह देवनानी ही रहे, जिन्होंने अपमान का घूंट पिया। आज तक भी डोटासरा ने अपने कथन पर माफी नहीं मांगी है।
S.P.MITTAL BLOGGER