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नई दिल्ली रेलवे स्टेशन : कौन है 18 लोगों की मौत का जिम्मेदार...

paliwalwani
नई दिल्ली रेलवे स्टेशन : कौन है 18 लोगों की मौत का जिम्मेदार...
नई दिल्ली रेलवे स्टेशन : कौन है 18 लोगों की मौत का जिम्मेदार...

जितेन्द्र बच्चन

गाजियाबाद. नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर मची भगदड़ में 18 लोगों की मौत हो गई और 13 से अधिक लोग घायल हैं। यह हादसा कैसे हुआ, इस पर चश्मदीद की मानें तो प्लेटफार्म बदलने की प्रसारित सूचना पर यात्रियों में मची भगदड़, रेलवे प्रशासन की लापरवाही और घोर अव्यवस्था का नतीजा है।

लेकिन देर से जागे रेलवे प्रशासन का कहना है कि उसने प्लेटफार्म में बदलाव की कोई सूचना नहीं प्रसारित की, बल्कि बढ़ती भीड़ की सहूलियत के लिए एक स्पेशल ट्रेन की व्यवस्था कर उसे प्लेटफार्म नंबर 12 से रवाना होने की सूचना दी गई। इस पर प्लेटफार्म नंबर 14 पर मौजूद यात्रियों की भीड़ प्लेटफार्म नंबर 12 की ओर दौड़ पड़ी, जिससे यह दुखद हादसा हो गया।

रेल मंत्री, रेलवे के अधिकारी और कर्मचारी अब कुछ भी कहें, उससे उनका दोष कम नहीं हो जाता। यह बात सत्य है कि शनिवार, 15 फरवरी की शाम चार बजे से ही यात्रियों की भीड़ बढ़ने लगी थी। महाकुंभ जाने वाले यात्रियों से पूरा स्टेशन खचाखच भरा था। प्लेटफार्म नंबर 14 से प्रयागराज एक्सप्रेस को रात करीब आठ बजे रवाना होना था। भीड़ थी कि बेकाबू होती जा रही थी। प्लेटफार्म पर तिल रखने की जगह नहीं थी।

ऐसी भीड़ शायद ही पहले कभी किसी ने देखा हो, लेकिन रेलवे प्रशासन सोया पड़ा था। चार घंटे उसने किसी की कोई परवाह नहीं की और न ही यह सोचा कि भीड़ बेकाबू हो गई तो क्या होगा। बच्चे, बुजुर्ग और महिलाओं की सांस फूलने लगी। अव्यवस्था के चलते पूछताछ काउंटर और अन्य अधिकारियों से कुछ लोग बहस करने लगे, तब रेलवे के अधिकारी जागे और महाकुंभ जाने के लिए एक विशेष गाड़ी ‘प्रयागराज स्पेशल’ प्लेटफार्म नंबर 12 से रवाना करने का निर्णय लिया। लेकिन इसकी सूचना जैसे ही प्रसारित हुई, यात्रियों का रेला प्लेटफार्म नंबर 14 से 12 की तरफ टूट पड़ा।

भीड़ अंधी होती है! ट्रेन में बैठने के लिए सब के सब दौड़ पड़े। इस बीच जो जहां गिरा, बच्चे, बुजुर्ग, महिलाएं, कोई उठ नहीं पाया। बेकाबू भीड़ उन्हें रौंदती हुई चली गई। बताया जाता है कि आरपीएफ या अन्य कोई सुरक्षा एजेंसी का जवान मौके पर नहीं देखा गया। चीख-पुकार मच गई। जान-माल का भारी नुकासन हुआ।

मृतकों के परिजनों का कहना कि प्रयागराज एक्सप्रेस का प्लेटफार्म बदलने की सूचना प्रसारित की गई या फिर विशेष गाड़ी प्लेटफार्म नंबर 12 से रवाना होगी, इसकी सही जानकारी नहीं हो पाई। गलतफहमी में हर कोई 12 नंबर प्लेटफार्म की तरफ दौड़ पड़ा।

दिल्ली पुलिस का कहना है कि दो ट्रेनों के एक जैसे नाम को लेकर यात्रियों में असमंजस की स्थिति पैदा हुई, जिसके कारण भगदड़ मची। पुलिस के मुताबिक ‘प्रयागराज’ नाम से दो ट्रेनें थीं- प्रयागराज एक्सप्रेस और प्रयागराज स्पेशल। इससे तो वाकई यात्रियों को भ्रमित होना था। यह बात रेलवे को सोचना चाहिए था। साथ ही उसे बेहतर इंतजाम भी करना चाहिए था। क्योंकि महाकुंभ मेला तो पहले से चल रहा है।

नई दिल्ली रेलवे स्टेशन से जाने वाले यात्रियों की संख्या में भी इजाफा हो रहा था। आरपीएफ, रेलवे के अधिकारी और कर्मचारी क्यों नहीं सतर्क हुए? यह तो सीधे-सीधे लापरवाही है! इससे पहले जो हादसे हो चुके हैं, उनसे भी कोई सबक नहीं लिया! कांग्रेस और टीएमसी ने रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव से इस्तीफा मांगा है।

लेकिन आज का नेता-मंत्री लाल बहादुर शास्त्री नहीं है जो नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए अपना पद त्याग दे। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने मामले की उच्च स्तरीय जांच के आदेश दिए हैं। मृतकों के लिए मुआवजे का एलान कर दिया गया है। कई मंत्रियों सहित प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हादसे पर शोक संवेदना प्रकट की है। चार-छह महीने में जांच रिपोर्ट आ जाएगी। दो-चार कर्मचारी- अधिकारी निलंबित कर दिए जाएंगे।

उसके बाद जैसे चल रहा है, फिर सबकुछ उसी तरह चलता रहेगा। ऐसे में सवाल उठता है कि जिनकी जान-माल का नुकसान हुआ है, उनकी भरपाई कैसे होगी?

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