आपकी कलम

पिता दिवस की शुभकामनाएं : एक बार जरूर पढ़े...

paliwalwani.com
पिता दिवस की शुभकामनाएं : एक बार जरूर पढ़े...
पिता दिवस की शुभकामनाएं : एक बार जरूर पढ़े...

【 जून माह का तृतीय रविवार 】 

● माता के गर्भ में 9 माह रहने वाले शिशु का एक माँ से ज्यादा ही लगाव होता है , सत्य है किंतु...

● यदि हम अपनी शारीरिक रचना को देखें - दो आँखे , दो हाथ , दो पैर , 2 नथुने , दो कान ...एक साइकिल के दो पहिये... एक चक्की के दो पाट,  प्रकृति के दो रूप - दिन और रात...उसी प्रकार माता और पिता...धूंप और छांव...

● यदि माता ममता की मूरत है तो , पिता त्याग की सूरत... उइ माँ ! अरे बाप रे ! कोई छोटा दुख, या बड़ा, छोटे दुख - अभाव, ज्ञान,  व्यवहार तो याद आती है, माँ किन्तु ... बड़े दुख, व्यवहार, परेशानी, कष्ट तो...भुलाये नही भूलते ' पिता '...

● आपके अपने चाहते हैं की आप सफल हो, खूब उन्नति करें, आप का भला हो, किन्तु ... शर्ते लागू का चिन्ह है-किन्तु

1 उनके बाद और 

2 उनसे कम ! 

अर्थात आप सफल तो हो वे भी चाहते हैं , किन्तु उनके बाद, उनसे कम, यदि उनसे पहले या उनसे ज्यादा हो गए तो वे बनेंगे आप के सबसे बड़े शत्रु !

【 हर जगह नही किन्तु बहुत जगहों पर 】

● किन्तु एक पिता चाहता है कि उसका पुत्र उस से भी ज्यादा सफल हो एवम कम समय मे ... एक पिता ही चाहता है , की जो अच्छा कार्य वो कर रहा है, उस का बेटा भी दोहराए , एवम जो कार्य वह कर रहा है, यदि अच्छा नही तो, उसका पुत्र भी वो न करे , 

● जहाँ बेटियां अपने पति में अपने पिता के ही गुण देखती हैं , 

तो एक समय के बाद पिता पुत्र दोनो मित्र बन जाते हैं , और बनना भी चाहिए , जैसे एक  माँ - बेटी , सहेली...

● माता सैद्धान्तिक एवम घर का ज्ञान देती हैं, तो पिता व्याहारिक एवम बाहरी दुनिया का...

● माँ किसी एक मुलायम फल जैसी तो पिता नारियल समान, बाहर से कठोर किन्तु अंदर से मुलायम...

● अपने अधूरे सपने, जिंदगी, अपने बेटे में देखकर जवां होता पिता...और सबसे बड़ा और असहनीय दर्द ! एक बूढे पिता के कंधों पर एक जवा बेटे की लाश

【और बेटा यदि ज्यादा ही काबिल हो तो दर्दकई गुना बढ़ जाता है,】 

पूछो अर्जुन से क्या गुजरी उस पर जब इस दर्द को सहा उसने ? 

● पिता रुदन नही करता, रुदन, क्रोध, शाब्दिक या शारीरिक रूप से आँखो से खामोशी से व्यक्त करता है, स्वयम कम एवम ठंडी रोटी खाता है, वो ही देरी से ताकि परिवार गर्म रोटी खा सके वो भी समय से...

● उसे फैशन इसीलिए पसन्द नही, क्योकि बच्चो को पसंद है, उसे पुराने कपडो, जूतो एवम अन्य में भी इसीलिए आनंद आता है, और कदाचित वो इसीलिए मांग भी नही रखता, या करता, 

● एक पुराने और प्रसिद्ध गीत के बोल भी उसपर सटीक बैठते है - " तुम इतना जो मुस्कुरा रहे हो, क्या गम है जिसको छिपा रहे हो  ? बस इसी तर्ज पर बस मुस्कुराता रहता है, " कौन समझे कि मुस्काने झूठी हैं " 

● मैं क्या करूँगा, या अब क्या करूँगा कहकर कभी कुछ नही लेता, बस संतान को देकर फिर लेता है, या कम या... 

● डांटता है कि जनता है कि नीम कड़वी होती है , किन्तु सेहत बनाती है, आयुर्वेद की ही तरह उस कि शिक्षाए बहुत दूर जाकर याद या काम आती है, दंगल जैसी फिल्में भी बताने का प्रयास करती हैं, जहाँ बच्चे सख्ती को ऐसे सिद्ध करते है की " बापू सेहत के लिए तू तो हानिकारक है, भले ही करियर जरूर बनता हो "... 

◆ मजबूत बन दिखाता है, जताता है कि " मर्द को दर्द नही होता, पर होता है, उतना ही वैसा ही पर नीलकंठ बन विष पी अमृत बाँटना उसी के कर्म है, कदाचित...

● अपने पिता से सीखी सिख, बढ़ाकर अपने बच्चो को सिखाने वाले पिता को आज ही नही सदा नमन ...

!! धन्यवाद 

धीरज हासीजा @ " मन्थन " इंग्लिश " गुरु " , लाइफ कोच , मनोवैज्ञानिक परामर्शदाता

इंदौर M. 9039531743

● पालीवाल वाणी मीडिया नेटवर्क - अंकित प्रताप सिंग बघेल...✍️

whatsapp share facebook share twitter share telegram share linkedin share
Related News
GOOGLE
Latest News
Trending News