आपकी कलम
मोटाभाई, ये " धमकी" ठीक नही..! : साहब, एक धमकी वोट नही डाल रहे वोटर्स को भी दे दीजिए
नितिनमोहन शर्मा- आपने उम्मीदवार ही ऐसे दिए कि क्या करेगा विधायक, मंत्री?
- आपके उम्मीदवार की जनता में लोकप्रियता चलते चुनाव में कैसे बढ़ाए?
- मंत्री-विधायक से पूछकर तय किये गए थे उमीदवार?
- मंत्री-विधायक वोट परसेंट बढ़ाए, तो फिर क्या कर रहा हैं संगठन?
- सुस्त चुनाव व गिरते वोटिंग प्रतिशत की वजह क्या मंत्री विधायक हैं?
मोटाभाई, ये " धमकी" ठीक नही। अब आप " गुणाभाग" कर उम्मीदवार तय करो, बगेर किसी से राय मशविरा लिए। न ये जाने की जनता में उसकी क्या" बखत" हैं। अब आपके केंडिडेट की कोरोना काल की" कलुषित कथाओं" के शहरभर में गूंजते चर्चो में मंत्री-विधायकों की क्या ख़ता? मत प्रतिशत तो देशभर में गिर रहा हैं।
चुनाव अब तक सुस्त पड़ा हैं। लाख कोशिशों के बाद भी आपका कार्यकर्ता निरुत्साहित हैं। अनेक उपलब्धियों के बाद भी आम चुनाव रंगत नही पा रहा तो इसका दोषी मंत्री-विधायक कैसे हो गए? उम्मीदवार चयन में " दिल्ली" ने इन सबसे कोई राय मशविरा किया था? एक धमकी वोटर्स को भी दे दिजीये। वह भी तो घर से निकल नही रहा हैं न वोट डालने? मंत्री विधायक के पद ले लेंगे लेकिन वोटर्स का क्या करेंगे?
● नितिनमोहन शर्मा...✍️
मोटाभाई, ये ठीक नही। न ये भाजपा की परिपाटी हैं। सांसद के चुनाव में मतदान के प्रतिशत का विधायकों, मंत्रियों से क्या लेना देना? सुस्त पड़े चुनाव औऱ गिरते वोटिंग प्रतिशत का जिम्मेदार क्या सिर्फ विधायक, मंत्री ही हैं? तो फिर क्या कर रहा है आपका संगठन? मत प्रतिशत तो देशभर में गिर रहा हैं न? तो क्या अब जगह आप इसी तरह विधायक, मंत्रियों को " धमकी" देंगे कि आपके इलाके में वोट कम गिरे तो पद ले लिया जाएगा। या ये विधायक, मंत्री काम नही कर रहे या भितरघात कर रहें है जो ये धौस दी गई?
मोटाभाई, कहाँ है आपकी " अक्षोहिणी सेना"? दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी के आप " सेकण्ड इन कमांड" है न? तो ये काम तो आपकी सेना का है न कि वो वोटर्स को मतदान केंद्र तक पहुचाये? अब तक तो ये ही होता आया है न कि संगठन, कार्यकर्ता ही चुनाव लड़ता है, नेता-मंत्री-विधायक नही? आप मिशन 2023 में इंदौर में ये ही बात तो भरे मंच से कहे थे कि भाजपा को चुनाव मंच पर बैठे नेता नही, जमीन पर बैठे कार्यकर्ता जिताते हैं। है न ये ही कहा था न? आपके इस बयान ने आपकी " अक्षोहिणी सेना" में प्राण फूंक दिए थे। तब मंच पर आप सहित मंत्री, विधायक, मुख्यमंत्री ही तो थे? तो विधानसभा से लोकसभा चुनाव तक आते आते नेता, मंत्री, विधायक कैसे जीत के शिल्पकार हो गए?
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मोटाभाई, अब चलते चुनाव में आपके उम्मीदवार की जनता के बीच लोकप्रियता ये मंत्री विधायक कैसे पैदा करे? उम्मीदवार का चयन क्या इन मंत्री विधायको से राय मशविरे के बाद किया था? उम्मीदवार चयन में तो आपकी दिल्ली ने मुख्यमंत्री तक की नही सुनी, तो फिर अब ये दबाव क्यो बनाया जा रहा हैं? क्या कोई शिकायते आई है इन मंत्रियों, विधायको की कि काम नही कर रहे या फिर " आपके उम्मीदवार" को हराने की जुगत में हैं? अगर ऐसा है तो ये " 400 पार" के लिए बेहद गम्भीर विषय हैं। उदासीनता तो आपके कार्यकर्ताओं के बीच भी पसरी हुई हैं। आपको नजर नही आई क्या?
मोटाभाई, इंदौर में आकर देखिए न? आपका दिया उम्मीदवार अपने ही दल में बल नही भर पा रहा है तो जनता की बात ही क्या? न आपके उम्मीदवार के चेहरे को लेकर आपके दल में कोई रस है, न कार्यकर्ताओ में कोई उत्साह। आपके तय किये कैंडिडेट का न पार्टी नेताओं, न कार्यकर्ताओं से आत्मीय जुड़ाव है, जैसा "ताई " का रहता था। जब उम्मीदवार और दल के बीच ये हाल है तो जनता से जुड़ाव की बात ही बेमानी हैं। ऐसा नही की यहां पार्टी का काम नही हो रहा। सब भिड़े है, दिन रात लगें भी है। संगठन भी, नेता भी, विधायक,मंत्री भी। लेकिन आपके उम्मीदवार का माहौल बन ही नही पा रहा है तो इसमे इन सबका क्या दोष? वह सड़को पर वोट मांगने निकला हुआ है लेकिन दर्जन-दो दर्जन लोग भी उसके साथ नजर नही आ रहें। वह तो गनीमत है कि इंदौर भाजपाई सीट है और कांग्रेस मृतप्राय है मोटाभाई। नही तो इसी चुनाव में 35 साल की परम्परा दांव पर लग जाती।
"रोडमल" के लिये "रोड" पर आ गए "मोटाभाई
"आशिक का है जनाजा"....शर्मनाक...!!
मोटाभाई, माना की आप तल्ख मिज़ाजी हैं। सदन तक इस तल्ख़ी को संसदीय परंपराओं के प्रतिकूल देख चुका हैं। बेबाक़ बयानों के लिए भी आप जाने जाते हैं। लेकिन मौके मौके पर आप संजीदगी भी दिखाते हैं। लेकिन राजगढ़ में वोटो की गुहार लगाते वक्त आपने विरोधी नेता पर तंज कसा हैं, वह भारतीय राजनीति, व लोकतांत्रिक विरासत से मेल नही खाता। किसी के निजी जीवन पर बयानबाजी सार्वजनिक जीवन मे उचित नही मानी जाती। जिस प्रसंग को लेकर आप विरोधी नेता पर कटाक्ष कर रहें थे, वह तो " लिव इन" दौर में एक आदर्श प्रसंग बनकर उभरा हुआ हैं। सबने देखा उस रिश्ते को किस गरिमामय तरीके से जिया गया, निभाया गया।
आप देश के गृहमंत्री भी है और वर्तमान भाजपा के " सेकण्ड इन कमांड" भी। आपसे ही तो सीखेगी, आपकी नई भाजपा। अब ये तो आप जाने की आप इतना "नीचे" किस जोश में उतर गए लेकिन इस तरह के बयान कम से कम अटल-आडवाणी वाली भाजपा की परम्परा नही रही हैं। जार्ज फर्नाडीस व अटलजी के बीच के व्यवहार से शायद आप अनभिज्ञ है? न आपका वैचारिक संगठन इस तरह का व्यवहार का पक्षधर रहता हैं। रोडमल नागर के लिए इन तरह आपका " रोड " पर आ जाना लाखो लाख निष्ठावान भाजपाइयों को भी अखरा। आपके नेतृत्व वाली भाजपा ने जरूर मौके पर तालियां पिटी होगी लेकिन चुनावी मंच से इस तरह का बयान भविष्य की राजनीति के लिए अच्छी बात नही हैं।