आपकी कलम

बम' के साथ "डिफ्यूज़ " हुई भाजपा..! : भाजपा के चुनाव प्रचार अभियान पर हावी हुई नकारात्मकता, फिर से पार्टी होगी चार्ज

नितिनमोहन शर्मा
बम' के साथ "डिफ्यूज़ " हुई भाजपा..! : भाजपा के चुनाव प्रचार अभियान पर हावी हुई नकारात्मकता, फिर से पार्टी होगी चार्ज
बम' के साथ "डिफ्यूज़ " हुई भाजपा..! : भाजपा के चुनाव प्रचार अभियान पर हावी हुई नकारात्मकता, फिर से पार्टी होगी चार्ज

 बम' के साथ "डिफ्यूज़" हुई भाजपा..!! 

  •  चुनाव का काम तो अपनी गति से चल रहा, लेकिन कार्यकर्ता हताश निराश, उत्साहविहीन 
  •  पार्टी को चार्ज करने के लिए आज से बूथवार सम्मेलनों की शुरूआत, 38 मंडलों पर 3 दिन चलेगी चुनावी जमावट 
  •  28 शहरी व 10 ग्रामीण मंडलों के लिए भाजपा ने बनाई विशेष रणनीति, आज से आगाज़ 
  •  पहली बार आर्थिक संकट भी मंडराया, खर्च के नाम पर प्रत्याशी ने हाथ ऊंचे किये 

बम की गूंज कांग्रेस में तो गुंजी ही, भाजपा भी इसकी चपेट में आ गई। बम को फुस्स करने में पार्टी भूल गई कि इसका असर अपने ही दल पर हो सकता हैं। हुआ और पार्टी वर्कर्स की चार्ज बैटरी चलते चुनाव में डिस्चार्ज हो गई। अब फिर से समुचे चुनावी तंत्र को चार्ज करने की कवायद शुरू हुई हैं। रविवार को मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने ही इसकी शुरुआत अपनी विधानसभा से की। एयरपोर्ट रोड की नरसिंह वाटिका इसकी साक्षी बनी। जहां से एक बार फिर कार्यकर्ताओ को वो बाते बोली गई, जो चुनावी शंखनाद के वक्त महीने-सवा महीने पहले बोली गई थी। आज से ये काम हर विधानसभा ही नही, पार्टी की प्रत्येक मण्डल इकाइयों में शुरू होगा। मंडल स्तर पर पार्टी को पुनः चार्ज किया जाएगा जो बम को डिफ्यूज़ करने में डिचार्ज हो गई थी। 

नितिनमोहन शर्मा 

फुस्सी बम को डिफ्यूज करने निकली भाजपा स्वयम को ही डिफ्यूज कर बैठी। पार्टी ने चुनावी मैदान में शह मात की बाजी तो जीत ली लेकिन अपने ही दल में नकारत्मकता ने घर बना लिया। पार्टी वर्कर्स किंकर्तव्यविमूढ़ हो गए कि अब क्या करें? जो उत्साह उनका चुनावी शंखनाद के साथ हिलोरे मार रहा था, वह चुनाव मैदान में चुनावी चुनोती खत्म होते ही सुस्त हो गया। अब फिर से एक बार समूची पार्टी को चुनाव के लिहाज से चार्ज करने की क़वायद शुरू हुई है ताकि कम से कम शहर में चुनाव तो नजर आए। इसके लिए पार्टी के तमाम नेताओ की एक लंबी बैठक भी दिल्ली दरबार की देखरेख में हुई। वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये ये बैठक रविवार 5 मई को अकस्मात आहूत हुई। इस बैठक में सभी विधायक, सांसद व चुनावी कोर टीम के सदस्य शामिल हुए।

भाजपा का चुनाव प्रचार नकारत्मकता की भेंट चढ़ता जा रहा हैं। पार्टी कार्यकर्ताओं ने इस चुनाव को लेकर जो उम्मीदें लगाई थी, वे पूरी नही हुई। पार्टी वर्कर इस चुनाव को उत्साह व उत्सव के रूप में ले रहा था। पार्टी की झोली में केंद्र सरकार की उपलब्धियों के एक से बढ़कर एक चमचमाते तमगे थे। राम मंदिर से उत्साहित कार्यकर्ता सीमा ठोककर वोटर्स के दरवाजे पर दस्तक देने जाने का मन व मंसूबा बनाये बेठा था। अब वो ही कार्यकर्ता उत्साहविहीन हो गया हैं। वह चुनाव मैदान में मतदाताओं के उन सवालों का जवाब दे नही पा रहा जो इंदौर के चुनाव के हालातों पर पैदा हुए। कहा तो पार्टी हर बूथ पर 370 अतिरिक्त वोट डालने के अभियान से चुनाव का आगाज करती है और अब कहा वोटिंग करवाने के लाले पड़े हुए है कि कैसे वोटिंग का प्रतिशत सम्मानजनक स्तर तक लेकर आये? 

इस संकट से पार पाने के लिए पार्टी सोमवार 6 मई से प्रत्येक विधानसभा के हर मण्डल में एक बार फिर नए सिरे से पार्टी को चार्ज करने जा रही हैं। यह काम शहरी क्षेत्र के सभी 28 मण्डल इकाइयों में होगा। ग्रामीण विधानसभा के 10 मंडल भी इसमे शामिल किए गए हैं। ये मंडलवार पार्टी वर्कर्स को चार्ज करने का काम 3 दिन चलेगा। 6 से 8 मई तक हर मंडल में बड़ी बैठकों के जरिये एक बाए फिर से भाजपा चुनावी माहौल खड़ा करना चाहती है। इस "चार्ज़िंग प्रोग्राम" के जरिये पार्टी अपने कार्यकर्ताओं व नेताओ में हावी हो गए नकारत्मकता के भाव को दूर करना चाह रही हैं। ये नकारत्मकता इंदौर जैसे शहर में चुनाव का उत्साह खत्म होने से शहर तो दूर पार्टी मे ही हर तरफ़ पसर गई हैं।

खर्च के मामले में प्रत्याशी ने हाथ खड़े किए, कहा- कहां से लाउ पैसे? 

इतने मुफ़ीद चुनाव में भी भाजपा आर्थिक संकट का सामना कर रही हैं। ये बात सुनने में अजीब लग जरूर रही है कि भाजपा और आर्थिक संकट? लेकिन ये हकीकत है और इस हकीकत से समूची पार्टी रोज सामना कर रही हैं। चुनाव विधानसभा क्षेत्रो व मंडल स्तर पर जो गुमशुदा है, उसका अहम कारण ये आर्थिक संकट ही हैं। हालात इस कदर खराब है कि एक पूर्व विधायक ने तो अपने कार्यकर्ताओं को दो टूक कह भी दिया कि बूथ पर बैठने वालों को जो अंतिम समय मे दिया जाता है, उससे ज्यादा की उम्मीद कोई नही करे। बीते लोकसभा चुनाव में हर विधानसभा को पहली ही किश्त में 35-35 लाख रुपये मिल गए थे। इस बार एक वार्ड को जनसम्पर्क के 20 हजार भी बमुश्किल से मिल पाए। कार्यकर्ता इस राशि मे स्वागत मंच ठुकवाये या फूल लाये? लिहाज़ा भाजपा का जनसम्पर्क कब विधानसभावार पूर्ण हो गया, किसी को खबर ही नही लगी। 

 पार्टी वर्कर्स ने भी " जैसा गाना-वैसा बजाना" की तर्ज पर रस्म अदायगी कर दी। सूत्रों की माने तो आर्थिक संकट पर पार्टी के बड़े नेताओं की एक अहम बैठक पार्टी कार्यालय पर भी हो चुकी हैं। विषय इतना गम्भीर था कि ये मैराथन बैठक सुबह की साढ़े 3 बजे तक चली। इस बैठक में प्रत्याशी ने सीधे हाथ खड़े कर दिये कि में कहा से लाऊ पैसे? उनके पास बैठक में पूछे गए उस सवाल का जवाब नही था जिसमे पूछा गया था कि आप जो देशभर से चंदा इकट्ठा कर रहे हो तो वो किसलिए ले रहे हो? आर्थिक संकट का निराकारण आज तक नही हुआ हैं। पार्टी सूत्र बताते है कि एक दो दिन में इसका हल निकल जायेगा। फिर चुनाव में गर्मी नजर आएगी।

साभार : फोटो सोशल मीडिया

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