उज्जैन
उज्जैन : नागचंद्रेश्वर एवं महाकालेश्वर के दर्शन के लिए यह रहेंगे मार्ग
sunil paliwal-Anil Bagoraउज्जैन. श्री महाकालेश्वर मन्दिर में दिनांक 09 अगस्त 2024 को नागपंचमी पर्व मनाया जाएगा। श्री नागचन्द्रेश्वर भगवान के पट दिनांक 08 अगस्त 2024 को रात्रि 12 बजे खुलकर दिनांक 09 अगस्त 2023 को रात्रि 12 बजे तक खुले रहेंगे।
जिला प्रशासन श्री महाकालेश्वर मन्दिर प्रबंध समिति एवं जिला पुलिस की ओर से इस अवसर पर श्रद्धालुओं के लिये व्यापक व्यवस्थाएं की गई है।
दर्शन समय (नागचन्द्रेश्वर) : 8 अगस्त, 2024 को मध्य रात्रि 12ः00 बजे से 09 अगस्त 2024 की रात्रि 12ः00 बजे तक।
नागचन्द्रेश्वर भगवान के दर्शन हेतु निर्धारित मार्ग
आगंतुक समस्त श्रद्धालु भील समाज धर्मशाला से प्रवेश कर - गंगा गार्डन के समीप से - चारधाम मंदिर पार्किंग स्थल जिगजेग- हरसिद्धी चैराहा - रूद्रसागर के समीप से - बड़ा गणेश मंदिर - द्वार नम्बर 04 अथवा 05 के रास्ते - विश्रामधाम - एरोब्रिज से होकर भगवान श्री नागचन्द्रेश्वर जी के दर्शन करेंगे। दर्शन उपरांत एरोब्रिज के द्वितीय ओर से- रेम्प- मार्बल गलियारा - नवनिर्मित मार्ग से - द्वार क्रमांक 04 के सम्मुख से - बड़ा गणेश मंदिर - हरसिद्धि चैराहा - नृसिंह घाट तिराहा होते हुए पुनः भील समाज धर्मशाला पहुंचेंगे।
भगवान श्री महाकालेश्वर जी के दर्शन हेतु निर्धारित मार्ग
आगंतुक समस्त श्रद्धालु त्रिवेणी संग्रहालय के समीप - सरफेस पार्किंग से प्रवेश कर - नंदीद्वार - श्री महाकाल महालोक - मानसरोवर भवन में प्रवेश कर - फेसेलिटी सेंटर-01 - मंदिर परिसर - कार्तिक मण्डपम् में प्रवेश कर, कार्तिक मण्डपम् - गणेश मण्डपम् से बाबा महाकाल के दर्शन कर सकेंगे।
- उज्जैन का नागचंद्रेश्वर मंदिर: क्यों खुलता है सिर्फ साल में एक दिन हिंदू धर्म में सदियों से नागों की पूजा करने की परंपरा रही है।
- हिंदू परंपरा में नागों को भगवान का आभूषण भी माना गया है। भारत में नागों के अनेक मंदिर हैं, इन्हीं में से एक मंदिर है उज्जैन स्थित नागचंद्रेश्वर का, जो की उज्जैन के प्रसिद्ध महाकाल मंदिर की तीसरी मंजिल पर स्थित है।
- इसकी खास बात यह है कि यह मंदिर साल में सिर्फ एक दिन नागपंचमी (श्रावण शुक्ल पंचमी पर ही दर्शनों के लिए खोला जाता है। ऐसी मान्यता है कि नागराज तक्षक स्वयं मंदिर में रहते हैं।
- नागचंद्रेश्वर मंदिर में 11वीं शताब्दी की एक अद्भुत प्रतिमा है, इसमें फन फैलाए नाग के आसन पर शिव-पार्वती बैठे हैं। कहते हैं यह प्रतिमा नेपाल से यहां लाई गई थी। उज्जैन के अलावा दुनिया में कहीं भी ऐसी प्रतिमा नहीं है।
- पूरी दुनिया में यह एकमात्र ऐसा मंदिर है, जिसमें विष्णु भगवान की जगह भगवान भोलेनाथ सर्प शय्या पर विराजमान हैं। मंदिर में स्थापित प्राचीन मूर्ति में शिवजी, गणेशजी और मां पार्वती के साथ दशमुखी सर्प शय्या पर विराजित हैं। शिवशंभु के गले और भुजाओं में भुजंग लिपटे हुए हैं।
- इस दिन विशेष कालसर्प को भगवान महाकाल की नगरी में रुद्राभिषेक पूजन करवाने का महत्व है