उदयपुर
पालीवाल समाज का गौरव रत्न : डॉ. चिरंजीलाल पालीवाल
Paliwalwani NEWS...✍️● राकेश डाॅ. सी.एल.पालीवाल की कलम से...✍️
उदयपुर। पालीवाल ब्राह्मण समाज 24 श्रेणी मूल निवासी मोरवड़, पिपलांत्री राजसमंद, राजस्थान के नव रत्न डॉ.चिरंजीलाल पालीवाल, जिंहे चिकित्सा-जगत में डॉ.सी.एल पालीवाल के रूप एक प्रसिद्व नाम से भी जाना-पहचाना जाता नाम था। आपका जन्म दिनांक 19 जनवरी 1937 को श्री सुंदरलाल जी पालीवाल (मूनिम साहेब) के नाम से पालीवाल समाज ही नहीं अपितृ पूरे मेंवाड़ में पालीवाल समाज का नाम बुलंद करते रहे। आपकी माताजी कस्तूरी बाई पालीवाल के घर हुआ। जिन्होंने दिनांक 6 जनवरी 2019 को अंतिम सांसे ली तो संपूर्ण पालीवाल समाज में शोक की लहर छा गई। हर किसी की जुबां पर एक ही चर्चा थी कि ऐसी मानव सेवा करने वाला अब समाज में कभी दिखाई नहीं देखा...लेकिन उनकी स्मरण यादें हमेशा लोगो के दिलों में बसती रहेगी।
‘‘होनहार वीरवान के होत चिकने पात’’ की कहावत को चिरतार्थ करते हुए, डॉ. चिरंजीलाल पालीवाल अपनी अदभूत बुद्धी क्षमता से शैक्षणिक उन्नति करते रहे साथ ही सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में समाज को अपनी सेवाएं भी देते रहे। सन 1961 में आपने जयपुर स्थित सवाईमान सिंह मेडिकल कॉलेज से एम.बी.बी.एस की ड्रिग्री हांसिल की, अपनी तालीम के दौरान उनके सहपाठी रहे जम्मू-कश्मीर के पूर्व मूख्यमंत्री डॉ.फारूख अब्दुला तथा अहमदाबाद के सुप्रसिद्ध नेत्र विशेषज्ञ डॉ.नागपाल आपके सहपाठी रहे। डॉ.सी.एल पालीवाल ने अधिकांशत अपना सेवा काल ग्रामीण-क्षेत्रो में चिकित्सिय सेवाएँ देते हुए बिताया, जो एक अनुकरणीय बात है। वह कई किलोमीटर साईकिल चलाकर भी मरीज को देखने पहुंच जाते थे। मानव सेवा को समर्पित डॉ.पालीवाल फीस के रूप मे एक रूपया भी स्वीकार नही करते थे, अपितु ज्यादा से ज्यादा गरीब व जरूरतमंद को निःशुल्क सरकारी दवाईयाँ वितरण करते थे। ऐसे कई दृष्टांत है, जहा पर हमें डॉ. पालीवाल का अपने मरीजो के प्रति दया और मानवीय भाव देखने को मिलता है। उनके लिए चिकित्सिय-सेवा धनोपार्जन का माध्यम न होकर ,सिर्फ मानव-सेवा था।
● कुशल प्रशासक के रूप मे अलग अमिट छाप छोडी
एक चिकित्सक से एक प्रशासनिक अधिकारी तक के रूप में अपने सफर को आपने ऐसे ही उत्कृष्ट-कार्यो की वजह से पदोन्नोति एवं राजकीय पुरस्कार प्राप्त करते हुए ,एक कुशल प्रशासक के रूप मे अलग अमिट छाप छोडी। आप मुख्य चिकित्सा अधिकारी ( ब् .ड.भ्.व्.) तथा संयूक्त निर्देशक ( रवपदज कपतमबजवत ) जैसे गौरवशाली व सम्मान जनक पद पर आसीन रहते हुए समाज को गौरवान्वित किया। बहुमुखी प्रतिभा के धनी डॉ.सी.एल पालीवाल साहेब ना केवल एक चिकित्सक थे वरन एक विलक्षण कवि, लेखक एवम् भाषण प्रस्तृतकर्ता भी थे। आपकी कविताएँ तत्कालीन मेगजिन ‘‘धर्मवीर‘‘ मे लगातार कई वर्षो तक प्रकाशित होते रहे। आप कवि ‘‘निरंजन’’ के उप नाम से जाने जाते थे।
● पालीवाल, मेनारिया, नागदा ब्राह्मण समाज में थे काफी चर्चित
आप वर्तमान समय से पालीवाल, मेनारिया, नागदा ब्राह्मण समाज के सामूहिक विवाह समिति के सक्रिय सदस्य के रूप में काफी चर्चित थें। कई संस्थानों से जुडे हुए थे एवं मेंटर के रूप अपनी सेवाएं देते हुए करीब सौलह सामुहिक विवाह समारोह संपन्न कराने का गौरव हासिल किया। एक अच्छे प्रशासक के रूप मे आपने दक्षिणी राजस्थान के कई जिलो मंे कई स्वास्थ्य केंद्र खुलवाए तथा मौसमी बीमारियो से निपटने के लिए दवाईयो की उचित व्यवस्था करवाई।
● एक आदर्श पिता के रूप में नेक इंसान थे
डॉ.सी.एल.पालीवाल एक अच्छे पिता तथा नेक व्यक्ति के रूप मे सदैव आदरणीय रहेगे। उनके निधन से जो क्षति-पूर्ति हुई वह कभी भर तो नही पाएगी, हम सबको उनके द्वारा स्थापित जीवन आर्दश मूल्यों तथा सत्य-निष्ठा, ईमानदारी का पाठ, सदैव प्रेरणा देता रहेगा।
● सभी बच्चों से करते थे काफी प्यार
हमारे आदरणीय पिताजी डॉक्टर श्री चिरंजीलाल जी पालीवाल, निवासी छोटा गोपालपुरा, नाथद्वारा, हाल निवासी मोती मगरी स्कीम उदयपुर शहर में एक अतुलनीय उदाहरण देते हुए अपनी संपत्ति का बांटवारा अपने 4 विवाहित पुत्रियों एवम् 3 पुत्रों में समान रूप से करते हुए समाज, देश के सामने समानता का व्यवहार करने का अनुठा नजारा पेश किया है।
● अंतिम सांसे भी परिवार के कल्याण में लगा दी-दिया समाज में एक संदेश
पिताजी डॉ. चिरंजीलाल पालीवाल ने अपने जीवन काल में सभी परिजनों को एक समान रूप रहने ओर समाज में कार्य करने की प्रेरणा हमेशा देते रहे, उन्होंने सभी बच्चों को समान रूप से ख्याल रखते हुए, हर पल खुश रहने का संदेश दिया...जन्म से लेकर मृत्यु तक अंतिम सांसे भी परिवार के कल्याण में लगा दी। उन्होंने कभी भी किसी बच्चों के साथ भेदभाव नहीं रखा...ओर उनके पास जो कुछ भी था...उन्होंने अंतिम समय के पूर्व ही सबको अपनी इच्छानुसार बांट दिया...इतने सहज दिल वाले डां. के बारे में संपूर्ण समाज जानता है कि उन्होंने समाज के प्रति काफी कुछ किया...उनके बताया गए मार्ग पर उनके बच्चें भी समाज में अपना अतुत्य योेगदान देने के लिए तत्पर रहते है। समाज के लोगों के बीच लाने का उद्देश्य सिर्फ और सिर्फ उनकी स्मृति बनाए रखना हैं। सादा जीवन उच्च विचार के साथ जीवन जी कर अपनी संपूर्ण संपती का सभी संतानों में निस्वार्थ भाव से बांटवारा कर उन्होंने समाज में एकजुट हो कर रहे ऐसा प्रयास किया।
● जीवन उच्च आर्दश व सादगी से परिपूर्ण
जीवन उच्च आर्दश व सादगी से परिपूर्ण रहा। वे बाल्यअवस्था से ही प्रखर बुद्धी तथा उच्चकोटि के विद्वान रहे है। अपनी ओजस्वी वाणी से एक विशिष्ठ पहचान रखते थे। उनका जीवन संघर्षो व कठिनाईयो से भरा पड़ा था। अनेक मुसीबतो व कठिनाईयों को, उन्होने डटकर सामना किया। वर्तमान मे वे 24 श्रेणी पालीवाल समाज के सक्रिय समाजसेवी सदस्य के रूप में जुड़कर, समाज की सामाजिक गतिविधियो से लगातार जुडे हुए थे। डॉ. सी.एल पालीवाल ने अपना पूरा जीवन सादगी के साथ जीया। वे एक संत प्रकृति के तथा धार्मिक व आध्यात्मिक व्यक्ति थे। सरकारी सेवा में रहते हुए उन्होने अपना कार्यकाल पूरी ईमानदारी व कर्तव्य निष्ठा के साथ पूरा किया। आदरणीय ब्रह्मलीन श्री डॉ. चिरंजीलाल पालीवाल सुपुत्र स्वर्गीय श्री सुंदरलाल जी पालीवाल (मुनीम साहेब-नाथद्वारा श्रीनाथ मंदिर) के ज्येष्ठ पुत्र थे, मूल निवासी मोरवड़, पिपलांत्री राजसमंद, राजस्थान था। आप पालीवाल समाज के पहले व्यक्ति थे जिन्होंने चिकित्सा अधिकारी के रूप में काम किया, आप एक डॉक्टर, सीएमएचओ, ज्वाइंट डायरेक्टर के पद पर कार्यरत थे।
● परिवार एक गुलदस्ता
आप सर्वश्री लक्ष्मीनारायण जी, भंवरलाल जी, रामचंद्र जी, राजेन्द्र जी, सुशील जी, दिलीप पालीवाल के भाई एवं डॉ. अनिल (राजकीय महाविद्यालय खेरवाड़ा), कमलेश-गीता, पंकज-सीमा (सीए), राकेश-डाॅ. लोरी, नितिन-दिपिका पालीवाल (पुरोहित) पुत्र-पुत्रवधु एवं महेश-अनिता पानेरी, डाॅ. मोहन-सविता मेनारिया, मुकेश-हेमलता पालीवाी, प्रदीप-संगीता शर्मा (पुत्री-दामाद) एवं समस्त परिजनों को डॉ.सी.एल पालीवाल हमेशा प्रेरणास्त्रोत बनकर हमारे परिवार को मार्गदर्शन देते रहेगे।
● संपूर्ण जीवन मानव सेवा में लीन रहते हुए बिना कोई फीस लिए निःशुल्क दवा और सेवाएं दी।
● समाज के उत्थान के लिए आपने सामूहिक विवाह समारोह भी करवाए।
● संपूर्ण परिवार उनके इस कदम पर गौरवान्वित महसूस करता हैं।
● पिता पालीवाल जी को समर्पित कविता ●
मेरी सजली आँखो का ख्वाब है पिता...
मेरे उदर की भूख और प्यास है पिता...!
उड जाऊँ मै पंख पसार कर नभ में...
मेरे हौसले की ऊँची सी उडान है पिता...!
लिखूँ मै कोरे कागज पर, वो कलम है पिता...
मेरे भाव, मेरी अभिव्यक्ति, मेरी लेखनी है पिता...!
पिता ही मेरे जग की पहचान है...
पिता मे ही मेरी कलम की जान है...!
क्या लिखूँ, क्या कहूँ मै पिता के लिए...
इस धरती पर पिता ही मेरा भगवान है...!
ऊँगली पकडकर जिसने चलना सिखाया...
कँधे पर अपने बिठाकर खुब घुमाया...!
लगी थी ठोकर जब पैरो पर हमारे...
स्नेह का लेप लगा, उसने जब सहलाया...!
हेमलता पालीवाल ‘‘हेमा’’...✍️
उदयपुर, राजस्थान
पालीवाल वाणी ब्यूरो...✍
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▪ एक पेड़...एक बेटी...बचाने का संकल्प लिजिए...
▪ नई सोच... नई शुरूआत... पालीवाल वाणी के साथ...